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सिर चढ़ कर बोल रही है फगुआ की मस्ती

मधेपुरा : होली के त्योहार का असर परवान चढ़ चुका है. विभिन्न संस्थानों में होली मिलन समारोह की तैयारी जोरों पर है. वहीं होली की खरीदारी में लोग जूट गये है. चारों तरफ फगुआ की मस्ती सिर चढ़ कर बोल रही है. युवा होली खेलने की योजना बना रहे हैं और बच्चे पिचकारी के लिए […]

मधेपुरा : होली के त्योहार का असर परवान चढ़ चुका है. विभिन्न संस्थानों में होली मिलन समारोह की तैयारी जोरों पर है. वहीं होली की खरीदारी में लोग जूट गये है. चारों तरफ फगुआ की मस्ती सिर चढ़ कर बोल रही है.
युवा होली खेलने की योजना बना रहे हैं और बच्चे पिचकारी के लिए मचल रहे हैं. बुजुर्ग बच्चों के साथ बच्चे व युवा के साथ और युवा हो गये हैं. बाजार पूरी तरह होली के रंग में रंग चुका है. दुकानों पर लटकते विभिन्न डिजाइन की पिचकारियां सबको आकर्षित कर रही है.
टोपी और रंग के साथ पकवान के लिए भी जरूरी सामान की खरीदारी चल रही है. हालांकि बढ़ी हुई महंगाई साधारण परिवार के होली को बैरंग करने की कोशिश में करने में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ रही है. होली में इस बार टोपी, पिचकारी और रंग-अबीर में कुछ लेटेस्ट डिजाइन और प्रोडक्ट की मांग है.
युवाओं में खास उत्साह : इंटर परीक्षा समाप्त होने के बाद छात्र-छात्राओं ने राहत की सांस ली है. इसके बाद युवाओं ने होली की तैयारी शुरू कर दी है. होली को लेकर युवाओं में खास उत्साह देखा जा रहा है.
छात्राओं के साथ होली खेल रहे संजीव कुमार ने कहा परीक्षा के बाद होली के रंग डूब जाना है. रजनीश कहते हैं होली तक न ही पढ़ाई होगी और न ही परीक्षा देनी है, सिर्फ मस्ती करना है.
राजीव व पिंटू कहते हैं कि दोस्तों के साथ दो दिन पहले से होली खेल रहे है. वह होली को यादगार बनाने के लिए खास तैयारी कर रहे है. राधा कुमारी होली के दिन विशेष व्यंजन बना कर दोस्तों को खिलायेगी.
शहर में रहेगी होली की धूम : होली के मौके पर जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों के विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें मुख्य रूप से मटका फोड़ कार्यक्रम शामिल है. मटका फोड़ कार्यक्रम सिंहेश्वर, मुरलीगंज, मधेपुरा सहित विभिन्न जगह पर आयोजित की जायेगी.
जिला मुख्यालय में कई संस्थानों में होली मिलन समारोह का आयोजन किया जायेगा. होली में विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए डीएम व एसपी ने संयुक्त आदेश जारी किया है.
विभिन्न टोपी व मुखौटे का है क्रेज : होली के रंग में रंगे शहर में परंपरागत तौर पर मिलने वाली टोपियों की भरमार है, लेकिन इनमें चाइनीज टोपी के अलावा अन्य मुखौटे लोगों को लुभा रहा है.
जोकर टोपी, चटाई टोपी, तिरंगा टोपी,मलिंगा टोपी, राक्षसी टोपी, पड़ी टोपी, सिंग और मुर्गा के बीच धोनी टोपी की अलग ही शान है. इसके अलावा एक से बढ़कर एक डिजाइन के मुखौटे व चश्मा बाजार में उपलब्ध हैं.
हर्बल होली पर है जोर : हर्बल का जमाना है साहब. हर्बल फैशन में है. जब चाय और पाउडर, क्रीम हर्बल है तो रंग और अबीर हर्बल क्यों नहीं. हर्बल रंग कई प्रकार के उपलब्ध हैं. खुश्बूदार अबीर में राकेश व गोल्डी हर्बल अबीर लोगों के होली को खुशनुमा बनायेंगे.
बच्चे में है अलग उत्साह : बच्चे अपने पापा के साथ होली की खरीदारी के लिए निकले हैं. वे पिचकारी के लिए मचल रहे हैं, लेकिन पिता अपने लिए पिचकारी और टोपी देखने में मशगूल हैं. शिवम, संजीव, मोनू , बंटी सहित कई युवाओं ने बताया कि महंगाई चाहे जितनी अधिक हो जाय पर होली तो हर हाल में खेलेंगे.
महंगाई है तो क्या, होली है!: महंगाई के कारण घर के मुखिया कम-से-कम खरचे में बच्चों को पिचकारी व रंग दिलाना चाहते हैं. शहर के वार्ड 13 से आये पिचकारी व रंग खरीदने मो आतीफ कहते हैं कि महंगाई ने जीना मुहाल कर दिया है. सभी सामान की कीमत में अधिक बढ़ोतरी हो गयी है.
टोपी में 20 से 25 प्रतिशत की तेजी है. शहर के सुभाष चौक स्थित दुकानदार दीपक कुमार कहते हैं कि पिछले बार से इस बार रंग-अबीर में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. दीपक ने बताया कि मुखौटा में जानवर से लेकर भूत प्रेत का मुखौटा उपलब्ध है. वहीं सौ से दो सौ डिजाइन की पिचकारी तथा रंग में पाउडर, पेस्ट और स्प्रे उपलब्ध है.
जोगीरा… स…र…र…. जोगीरा स..र…र…र, होली रे होली…, होली खेले रघुवीरा… इन पुराने हिंदी फिल्मों के अलावा नयी फिल्मों के रिमिक्स गानों की भारी डिमांड देखी जा रही है. इसके अलावा भोजपुरी होली गाना का क्रेज है. होली से दो दिन पहले ही शहरी सहित ग्रामीण ईलाकों के लोग मोबाइल में होली गाना लोड करा रहे है. नये रिमक्सि व भोजपुरी गीत की विशेष मांग है.
होली ड्रेस कोड कुर्ता-पजामा : युवा सहित हर उम्र के लोग होली के यादगार बनाने में लगे हुए है. बाजार में कुरता पायजामा का डिमांड बढ़ गया है. कोई रेडीमेड ब्रांडेड दुकानों में तो कोई ट्रेलर्स में कुर्ता पजामा सिला रहे हैं. अलग-अलग रंग और नफफासत वाले कुर्ते बाजार में डेढ़ सौ रुपये से दो हजार तक बाजार में मौजूद हैं.
भंग का रंग चकाचक : वैसे तो होली में शराब बंदी है, लेकिन बंद दरवाजे के पीछे सौ खिड़कियां खुली होती है. प्रशासन भी शराब को चैलेंज के रूप में लेकर तू डाल डाल मैं पात पात के अंदाज में जुटा है.
हालांकि इन सबके बीच भंग का रंग अब भी चकाचक है भाई.! दूध की खोये वाली ठंडई में भंग मिला कर बनाये गये दूधभंगा की मांग तो हमेशा से है. होली में दूध की भी भारी डिमांड को देखते आॅर्डर बुक कर दिये गये है.

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