27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

तीसरे नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई कब

खानापूर्ति. नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी पांच सौ, मानक पर खरे एक भी नहीं मधेपुरा : जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है, जबकि ऐसे अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की संख्या पांच सौ […]

खानापूर्ति. नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी पांच सौ, मानक पर खरे एक भी नहीं

मधेपुरा : जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है, जबकि ऐसे अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की संख्या पांच सौ के करीब बतायी जा रही है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग अब तक कार्रवाई के नाम पर एक्शन प्लान ही बना रही है. स्वास्थ्य विभाग भी इस बात से इनकार नहीं कर रही है कि जिले में एक भी नर्सिंग होम क्लिनिक व पैथोलॉजी नियमानुसार चल रही है.
इसके बावजूद मौत होने के बाद ही कार्रवाई का सिलसिला शुरू होता है. डीएम के निर्देश पर जिले में अवैध नर्सिंग होम, पैथोलॉजी व क्लिनिक के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने सघन कार्रवाई शुरू तो कर दी, लेकिन तीन-तीन मरीजों की मौत होने के बाद जिले के दो अवैध नर्सिंग होम को स्वास्थ्य विभाग ने सील करवाया. लेकिन 15 दिन बीतने के बाद भी तीसरा नर्सिंग होम या पैथोलॉजी सेंटर सील नहीं हो पाया है. इससे कार्रवाई के प्रति स्वास्थ्य विभाग की ढूलमूल नीति स्पष्ट हो रही है.
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने जिले भर के 23 पैथोलॉजी संचालक को पत्र जारी कर अविलंब क्लिनिक बंद करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि क्लिनिक बंद नहीं करने पर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई यही तक सिमित होकर रह गयी और आज तक एक भी संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है.
सही नहीं तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं. स्वास्थ्य विभाग से मिल रही जानकारी के अनुसार जिले में केवल 49 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का औपबंधिक पंजीयन करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था. डीएम की अध्यक्षता व सिविल सर्जन के संयोजन में बैठक कर इनका पंजीयन किया गया. औपबंधिक पंजीयन की समय सीमा केवल छह माह की होती है. इसमें छह माह पहले ही 44 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की पंजीयन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. इस प्रकार जिले में केवल पांच नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी हैं जिन्हें वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से औपबंधिक पंजीयन प्राप्त है.
बताया जाता है कि औपबंधिक पंजीयन देने के समय ही स्वास्थ्य विभाग ने छह माह के भीतर एमसीआइ के मानक अनुसार संसाधन व सुविधा को पूरा करने का निर्देश नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी संचालक को दिया था, लेकिन एमसीआइ के मापदंड को पूरा करने की बात तो दूर मधेपुरा में अधिकतर नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी अवैध रूप से संचालित हो रहे है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, क्लिनिक खोलने के लिए कई प्रावधान हैं, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है.
कार्रवाई से क्यों पीछे हट रहा विभाग
विभाग दो नर्सिंग होम के बाद अब तक न तो तीसरा नर्सिंग होम को सील कर पाया है और न ही अवैध रूप से संचालित पैथोलॉजी संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा सका है. इससे कार्रवाई के प्रति स्वास्थ्य विभाग की शिथिलता स्पष्ट होती है. जबकि जिले भर में पांच सौ से अधिक अवैध नर्सिंग होम, पैथोलॉजी व क्लिनिक संचालित हो रही है. एमसीआइ के मानकों को यहां ठेंगा दिखाते हुए मरीजों का मानसिक व आर्थिक दोहन किया जाता है, लेकिन जिले में धड़ल्ले से खुल रहे अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ स्वास्थ्य कार्रवाई से पीछे हट गयी है. जबकि जिला पदाधिकारी ने मधेपुरा में फर्जी डॉक्टरों के भरोसे अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम, क्लिनिक एवं पैथोलॉजी के खिलाफ 48 घंटे में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. उसकी समय सीमा समाप्त हो गयी है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई अब तक सिफर रही है.
प्रशासन के नाक के नीचे चल रहा गोरखधंधा
जिला मुख्यालय में प्रशासन के नाक के नीचे वर्षों से बिना डॉक्टर के अवैध नर्सिंग होम का संचालन हो रहा था, लेकिन इस बीच प्रशासन इससे अनभिज्ञ रही. इधर, स्वास्थ्य विभाग मेहरबान तो गधा हुआ पहलवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी नियमानुसार संचालित है कि इसकी जांच स्वास्थ्य विभाग को करना है, लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य विभाग उदासीन बनी हुई है.
बता दें कि नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी में फर्जी डॉक्टरों को तो छोड़िये की वहां कार्यरत कंपाउंडर व नर्स भी फर्जी बताये जा रहे है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी में कार्यरत नर्स को नर्सिंग कोर्स करना अनिवार्य है. बिना प्रशिक्षित नर्स व कंपाउंडर के भरोसे चल रहे नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई के बदले मेहरबान बनी हुयी है.
उधर, बताया जाता है कि एमसीआइ के मानक अनुसार नर्सिंग होम व क्लिनिक में डॉक्टर को एमबीबीएस की डिग्री तो पैथोलॉजी खोलने के लिए एमडी डॉक्टर का होना अनिवार्य है. इसके अलावे एमसीआइ के मापदंड के अनुसार नर्सिंग होम व क्लिनिक में मरीजों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन इन नियमों की अनदेखी कर नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का संचालन हो रहा है.
एमसीआइ के मानक अनुसार एक भी नहीं
शहर में सौ से अधिक ऐसे नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के बोर्ड व साइन बोर्ड लगे है जिस पर बड़े बड़े डॉक्टर के नाम लिखा हुआ है. मुख्यालय के अलावा विभिन्न प्रखंडों में इनकी संख्या पांच सौ से अधिक बतायी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे 49 संचालकों को छह माह के भीतर एमसीआइ के मानक अनुसार संसाधन व सुविधा को पूरा करने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद एमसीआइ के मापदंड को पूरा करने में असफल मधेपुरा के नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट का अनुपालन अब तक नहीं हो रहा है.
जिले भर में संचालित अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी सेंटर के खिलाफ कार्रवाई होगी. स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
डाॅ गदाधर प्रसाद पांडे, सीएस, मधेपुरा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें