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डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के जनक डॉ लालजी सिंह के निधन पर CM योगी ने जताया शोक, कहा- डॉ सिंह की उपलब्धियां नयी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय

वाराणसी / लखनऊ :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर लालजी सिंह के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि लालजी सिंह के निधन से देश ने एक प्रखर शिक्षक एवं उच्च कोटि का वैज्ञानिक खो दिया है. एक शोक संदेश […]

वाराणसी / लखनऊ :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर लालजी सिंह के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि लालजी सिंह के निधन से देश ने एक प्रखर शिक्षक एवं उच्च कोटि का वैज्ञानिक खो दिया है. एक शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर लालजी सिंह भारत में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जनक थे. उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों के डीएनए के संबंध में काफी अध्ययन किया था. मुख्यमंत्री ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में अध्ययन करते हुए डॉक्टर सिंह ने जो उपलब्धियां हासिल की, वह नयी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है.

देश के मशहूर डीएनए वैज्ञानिक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ लालजी सिंह का 70 साल की उम्र में वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह अपने गृह नगर उत्तर प्रदेश के जौनपुर से हैदराबाद जा रहे थे. निवासी लालजी सिंह को भारत में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का जनक कहा जाता है. वह हैदराबाद के सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं. जानकारी के मुताबिक, डॉ लालजी सिंह अपने जौनपुर जनपद स्थित अपने पैतृक गांव कुछ दिन पहले ही आये थे. हैदराबाद जाने के लिए वह वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट गये. यहीं पर उन्हें दिल का दौरा आ गया. आनन-फानन में उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वह जीवन से जंग हार गये.

एक रुपये लेते थे सैलरी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ लालजी सिंह की सबसे बड़ी खासियत थी कि देश के जाने-माने विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए उन्होंने मात्र एक रुपये सैलरी ली. उनका मानना था कि विज्ञान के क्षेत्र में किये उनके कार्यों के लिए उन्हें भटनागर फेलोशिप मिलता है, जो उनके जीने के लिए काफी है.

डीएनए टेस्ट कर कई चर्चित मामलों को सुलझाया

प्रो डॉ लालजी सिंह डीएनए टेस्ट के जरिये देश के कई चर्चित केसों को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभायी. राजीव गांधी मर्डर केस, नैना साहनी मर्डर केस, स्वामी श्रद्धानंद, मुख्यमंत्री बेअंत सिंह, मधुमिता मर्डर केस, मंटू मर्डर केस आदि की जांच में डीएनए फिंगर प्रिंट के जरिये सुलझाने में उनकी सक्रिय भूमिका रही है.

साधारण किसान के घर में लिया जन्म

लालजी सिंह का जन्म पांच जुलाई, 1947 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के सदर तहसील स्थित कलवारी गांव निवासी किसान ठाकुर सूर्य नारायण सिंह के घर हुआ था. जौनपुर जनपद में इंटरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की. यहीं से उन्होंने बीएससी और एमएससी करने के बाद पीएचडी की उपाधि ग्रहण की. वर्ष 1971 में देश में पहली बार 62 पन्नों का उनकी पीएचडी की थीसिस जर्मनी के फॉरेन जनरल में छपी थी. उसके बाद वह कलकत्ता यूनिवर्सिटी के रिसर्च जेनेटिक से वर्ष 1971 से 1974 तक जुड़े रहे. वर्ष 1987 में वह कोशिकीय और आण्व‍िक जीव विज्ञान केंद्र हैदराबाद में वैज्ञानिक के तौर पर नियुक्त हुए. यहां रहते हुए उन्होंने वर्ष 1988 में डीएनए फिंगर प्रिंट तकनीक की खोज कर क्राइम इन्वेस्टिगेशन को नयी दिशा दी. उन्हें भारत में डीएनए टेस्ट का जनक कहा जाता है. वह यहीं 1999 से 2009 तक डायरेक्टर के पद पर तैनात रहे. उन्होंने जातिगत विवाह पर भी रिसर्च किया है.

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