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यूपी में गठबंधन पर संकट के बादल, मायावती ने कहा – बसपा अब अपने बूते लड़ेगी विस चुनाव

नयी दिल्ली/लखनऊ : बसपा की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को कोई लाभ नहीं होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए भविष्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने की बात कह कर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिये हैं. लोकसभा चुनाव के परिणाम की […]

नयी दिल्ली/लखनऊ : बसपा की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को कोई लाभ नहीं होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए भविष्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने की बात कह कर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिये हैं.

लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक में मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुछ विधानसभा सीटों पर संभावित उपचुनाव बसपा अपने बलबूते लड़ेगी. सूत्रों के अनुसार उन्होंने इसके लिये बसपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने की जरूरत पर बल देते हुए पार्टी पदाधिकारियों को उपचुनाव की तैयारियां तेज करने को कहा है. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के नौ और सपा बसपा के एक-एक विधायक के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे. बसपा, हालांकि अब तक उपचुनाव नहीं लड़ती थी. इसके मद्देनजर मायावती का यह निर्देश अहम माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 और सपा को महज पांच सीट मिल सकी. सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.

सूत्रों के अनुसार, मायावती ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन की सहयोगी, सपा का वोटबैंक बसपा के पक्ष में स्थानांतरित नहीं होने की दलील देते हुये पार्टी पदाधिकारियों को कहा कि पार्टी अब ‘गठबंधनों’ पर निर्भर रहने के बजाय अपना संगठन मजबूत कर अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में बसपा को जिन सीटों पर कामयाबी मिली उसमें सिर्फ पार्टी के परंपरागत वोट बैंक का ही योगदान रहा. समझा जाता है कि मायावती ने सपा से अलग हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की वजह से भी गठबंधन को चुनाव में नुकसान होने की बात कही. उन्होंने कहा कि शिवपाल के अलग चुनाव लड़ने के कारण सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पारिवार के सदस्य भी चुनाव हार गये. उन्होंने माना कि चुनाव में पारिवारिक कलह का नुकसान गठबंधन को उठाना पड़ा.

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली स्थित बसपा कार्यालय में हुई बैठक में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, राज्य में पार्टी के सभी विधायक, नवनिर्वाचित सांसद, प्रदेश के सभी जोनल कोऑर्डिनेटर के अलावा सभी जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया था. समीक्षा बैठक में मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान सपा बसपा गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिए गठित की गयी भाईचारा समितियों का विस्तार प्रत्येक जिले में करने को कहा है. उल्लेखनीय है कि बसपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज और पिछड़े वर्गों को चुनाव में एकजुट करने के लिए इन समितियों का गठन किया था. उन्होंने भाईचारा समितियों को 2007 से पहले की तर्ज पर नये सिरे से सभी जातियों खासकर पिछड़े वर्गों को पार्टी से जोड़ने का निर्देश दिया. बसपा प्रमुख ने मंडल स्तर पर कुछ बसपा को-ऑर्डीनेटरों की जिम्मेदारियों में भी फेरबदल किया है.

बैठक में शामिल पार्टी के एक नेता ने बताया कि बसपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कुशवाहा को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है. ज्ञात हो कि चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन से नाराज मायावती ने शनिवार की बैठक में दो राज्यों, मध्य प्रदेश और दिल्ली के बसपा अध्यक्षों सहित छह राज्यों के पार्टी प्रभारियों को पद से हटा दिया था. इनमें कुशवाहा भी शामिल थे. उन्हें उत्तराखंड के प्रभारी पद से हटा कर मायावती ने एम एल तोमर को राज्य का नया प्रभारी बनाया था.

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