By Digital Live News Desk | Updated Date: Jul 13 2019 1:30PM
लखनऊ : भीड़ हिंसा (मॉब लिन्चिंग) की घटनाओं पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने शनिवार को कहा कि इसकी जद में अब केवल दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग भी आ रहे हैं और पुलिस भी इसका शिकार बन रही है.
उन्होंने शनिवार को यहां जारी एक बयान में कहा, 'अब ये घटनायें काफी आम हो गई हैं और देश में लोकतन्त्र के हिंसक भीड़ तन्त्र में बदल जाने से सभ्य समाज में चिन्ता की लहर है. उच्चतम न्यायालय ने भी इसका संज्ञान लेकर केन्द्र व राज्य सरकारों को निर्देश जारी किये हैं, लेकिन इस मामले में भी केन्द्र व राज्य सरकारें कतई गम्भीर नहीं हैं जो दुःख की बात है.' मायावती ने कहा, 'ऐसे में उत्तरप्रदेश राज्य विधि आयोग की यह पहल स्वागत योग्य है कि भीड़ हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अलग से नया सख्त कानून बनाया जाय.
इसके मसौदे के रूप में आयोग ने ‘उत्तरप्रदेश काम्बैटिंग ऑफ मॉब लिंचिग विधेयक, 2019' राज्य सरकार को सौंप कर दोषियों को उम्र कैद की सजा तय किये जाने की सिफारिश की है.' हालांकि, उन्होंने कहा कि वर्तमान कानून के प्रभावी इस्तेमाल से ही हिंसक भीड़तंत्र व भीड़हत्या को रोकने के हर उपाय किये जा सकते हैं, परंतु जिस प्रकार से यह रोग लगातार फैल रहा है, उस संदर्भ में अलग से भीड़तंत्र-विरोधी कानून बनाने की जरूरत हर तरफ महसूस हो रही है और सरकार को सक्रिय हो जाना चाहिए.'
बसपा अध्यक्ष ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार को इस संबंध में अलग से देशव्यापी कानून बना लेना चाहिए था, लेकिन लोकपाल की तरह मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध के मामले में भी केंद्र सरकार उदासीन है तथा इसकी रोकथाम के मामले में कमजोर इच्छाशक्ति वाली सरकार साबित हो रही है.' मायावती ने कहा कि उन्मादी व भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं से सामाजिक तनाव काफी बढ़ गया है.