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#BulandshahrViolence : आरोपी जीतू फौजी भेजा गया 14 दिन की न्यायिक हिरासत में

मेरठ/लखनऊ : बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में कथित रूप से शामिल मुख्‍य आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी को 14 दिनों की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. जीतू को गिरफ्तार कर सेना के अधिकारियों ने एसटीएफ के सुपुर्द कर दिया था और उसे रविवार को बुलंदशहर की अदालत […]

मेरठ/लखनऊ : बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में कथित रूप से शामिल मुख्‍य आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी को 14 दिनों की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

जीतू को गिरफ्तार कर सेना के अधिकारियों ने एसटीएफ के सुपुर्द कर दिया था और उसे रविवार को बुलंदशहर की अदालत में पेश किया गया. इससे पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि अगर जीतू के खिलाफ सबूत होगा, तो उसे पुलिस के सामने पेश किया जाएगा.

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उन्होंने कहा, अगर कोई सबूत होगा और पुलिस को उस पर शक है तो हम उसे सामने लाएंगे. हम पुलिस को पूरी तरह से मदद कर रहे हैं. उनके इस बयान के बाद अब सेना ने जीतू को एसटीएफ को सौंप दिया है. एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने यहां गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि फौजी जितेंद्र उर्फ जीतू को आधी रात को गिरफ्तार कर लिया गया.

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उन्होंने कहा, उसे सेना ने शनिवार रात 12:50 बजे हमें सौंपा. उससे प्राथमिक पूछताछ की गई है. उल्लेखनीय है कि कथित गोकशी को लेकर बुलंदशहर में हुई हिंसा के मामले में जीतू 27 आरोपियों में से एक है. हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और प्रदर्शनकारी सुमित की मौत हुई थी. ऐसे आरोप सामने आ रहे हैं कि जीतू फौजी ने ही इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पिस्तौल से उन्हें गोली मारी थी.

एसटीएफ के एसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि जीतू ने यह स्‍वीकार किया है कि जब भीड़ एकत्र होनी शुरू हुई तो वह घटनास्‍थल पर मौजूद था. प्रथम दृष्टया यह सही पाया गया है. हालांकि अभी यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि उसी ने इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार या सुमित को गोली मारी.

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जीतू ने पूछताछ में बताया है कि वह गांववालों के साथ वहां पर गया था, लेकिन उसने पुलिस पर पथराव करने के आरोप को खारिज किया है. संवाददाताओं के इस सवाल पर की क्या जीतू ने अपने मोबाइल की डिटेल डिलीट कर दी है, एसपी ने कहा कि जीतू के मोबाइल की फॉरेंसिक जांच होगी. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.

गौरतलब है कि 24 साल का जीतू फौजी 22 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा है और जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात है. तीन दिसंबर को स्याना कोतवाली के गांव महाव में गोकशी के बाद हिंसा हो गई थी, जिसमें स्याना पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और चिंगरावठी गांव के युवक सुमित की गोली लगने से मौत हुई थी. इस मामले में एसआई सुभाष चंद्र ने थाना कोतवाली में 27 नामजद और 50- 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

नामजदों में बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज और जीतू फौजी निवासी गांव महाव भी शामिल हैं. जीतू फौजी जम्मू कश्मीर में तैनात बताया गया था और हिंसा के समय छुट्टी पर गांव आया हुआ था. हिंसा के बाद वह ड्यूटी पर चला गया था. परिजनों ने बताया था कि उसे चार दिसंबर को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी.

हिंसा का एक वीडियो देखकर पुलिस का कहना था कि जो युवक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के पास नजर आ रहा है, वह जीतू फौजी है. इसलिए पुलिस का शक यह गहराया कि सुबोध कुमार सिंह की हत्या में जीतू फौजी का हाथ हो सकता. इसको लेकर एसटीएफ और पुलिस टीम जीतू फौजी को हिरासत में लेने के लिए जम्मू कश्मीर गई हुई थीं.

रविवार की सुबह जीतू फौजी को लेकर एसटीएफ और पुलिस की टीम स्याना कोतवाली पहुंची, जहां पर जीतू फौजी से एसटीएफ, एसआईटी और क्राइम ब्रांच की पुलिस टीमें अलग-अलग सघन पूछताछ की. जीतू फौजी से पूछताछ के बाद ही इस मामले में अहम खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

हालांकि, उधर जीतू फौजी का भाई धर्मेंद्र जो खुद सेना में है, उसकी पत्नी प्रियंका और मां रतन कौर ने जीतू फौजी को झूठा फंसाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें उम्मीद है मुख्यमंत्री और सेनाध्यक्ष जीतू फौजी को फंसने नहीं देंगे. जीतू फौजी पूरी तरह से निर्दोष है.

धर्मेंद्र जो फिलहाल पुणे में तैनात हैं, ने दावा किया है कि उनके पास कई ऐसे सबूत हैं, जिनसे वह जीतू को बेगुनाह साबित कर देंगे. गौरतलब है जीतू चार साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था. जीतू शादीशुदा है और उसका दस महीने का एक बच्चा भी है.

उधर, इस घटना की गाज बुलंदशहर के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर गिरनी शुरू हो गई है. इस क्रम में केबी सिंह को हटाकर प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर का नया एसएसपी बनाया गया है.

केबी सिंह को डीजीपी कार्यालय से संबद्ध किया किया गया है. इसके अलावा स्याना के डीएसपी सत्यप्रकाश शर्मा और चिंगरावटी के चौकी प्रभारी सुरेश कुमार को मुख्यमंत्री के आदेश पर हटा दिया गया. सत्यप्रकाश का मुरादाबाद के पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में तबादला कर दिया गया है जबकि सुरेश कुमार का तबादला ललितपुर किया गया है.

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