तमिलनाडु : आंध्र प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान लगभग हर किसी को यह लग रहा था कि यहां भाजपा और कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पायेंगे. परिणामस्वरूप असली लड़ाई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाइएसआर कांग्रेस के बीच रहेगी. परिणाम भी ऐसा ही रहा, क्योंकि दोनों पार्टियां यहां अपना खाता तक नहीं खोल पायीं.
राज्य के नंबर दिखाते हैं कि इस बार नोटा (इनमें से कोई नहीं) श्रेणी को दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में लोकसभा और विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. नोटा को 25 लोकसभा सीटों में से 1.5 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 0.96 रहा. कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा सा बेहतर रहा और उसे 1.29 फीसदी मत मिले.
राज्य की 175 विधानसभा सीटों में नोटा को 1.28% वोट मिले हैं. कांग्रेस को 1.17 और भाजपा को 0.84 फीसदी वोट मिले. राज्य में दोनों पार्टियों के लोकसभा और विधानसभा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी है. इसमें भाजपा के राज्य अध्यक्ष कन्ना लक्ष्मीनारायण भी शामिल हैं, जिन्होंने नारासोरापेट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसी तरह कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष एन रघुवीर रेड्डी भी चुनाव हार गये. उन्हें विधानसभा में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस को उस पार्टी के तौर पर देखा गया जिसने राज्य का बंटवारा किया था. जिसे 2014 में राज्य की सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और तब उसे केवल 2.8% वोट मिले थे.