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गिरिराज सिंह : हिंदुत्व को लेकर अपने बयानों से हमेशा सुर्खियां बटोरी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त गिरिराज सिंह के राजनीतिक करियर में पिछले एक दशक में बेहद नाटकीय ढंग से उछाल आया है. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से सिंह उनके करीबी रहे हैं. 66 वर्षीय सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को चार […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त गिरिराज सिंह के राजनीतिक करियर में पिछले एक दशक में बेहद नाटकीय ढंग से उछाल आया है. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से सिंह उनके करीबी रहे हैं. 66 वर्षीय सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को चार लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया.

बेगूसराय इस बार देश के उन चुनिंदा लोकसभा क्षेत्रों में शामिल था जिस पर सभी की निगाहें लगी हुई थी.गिरिराज सिंह बिहार के प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से आते हैं. यह समुदाय कभी कांग्रेस का समर्थक हुआ करता था, लेकिन मंडल के दौर के बाद भाजपा को राज्य में मजबूत करने लगा. सिंह मगध विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही संघ से जुड़ गये. इस दौरान वह एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे. हालांकि, वह राजनीति में 2002 तक गुमनाम ही रहे. 2002 में वह बिहार विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और तीन साल के बाद नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल किये गए.

भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद नीतीश कुमार अलग हुए तो सिंह को भी सरकार में मंत्री पद छोड़ना पड़ा. 2014 में वह भाजपा के टिकट पर नवादा से चुनाव लड़े और जीत भी गए. मोदी के 2014 में सत्ता संभालने के छह महीने बाद मंत्रिमंडल विस्तार में सिंह को भी जगह दी गयी. उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री बनाया गया. वह इस पद पर सरकार के कार्यकाल के पूरा होने तक रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने पर गुरुवार को गिरिराज सिंह ने भी प्रोन्नित के साथ कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली. सिंह अपने बयानों से लगातार सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने अपने नाम के आगे अपना गोत्र ‘शांडिल्य’ लगाया और ‘हिंदू संस्कृति’ के हित के लिए अन्य लोगों से भी ऐसा करने की अपील की थी. वह कई बार देश में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या को लेकर भी कई बयान दे चुके हैं और विपक्षियों को ‘पाकिस्तान भेजने वाले’ बयान के बाद कड़ी आलोचना का शिकार भी हो चुके हैं.

अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा को लेकर सरकार की लाइन के विपरीत जाते हुए उन्होंने कहा था ‘ हिंदुओं का सब्र समाप्त हो रहा है.’ दंगे के आरोपी रह चुके बजरंग दल के कार्यकर्ता से मिलने पर भी उनकी खूब आलोचना हुई थी. यही नहीं, लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले बिहार में नरेंद्र मोदी की ‘संकल्प रैली’ होनी थी और इस बार भी सिंह अपने विवादित बयान के लिए चर्चा में आ गए. उन्होंने कहा था कि जो इस रैली में शामिल नहीं होगा, वह पाकिस्तान के साथ है. लेकिन, वह खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए खुद इस रैली में शामिल नहीं हुए और उन पर सोशल मीडिया में खूब तंज कसा गया.

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