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यूपीः मोदी लहर के सामने महागठबंधन का प्रयोग फेल, बसपा को फायदा, सपा को घाटा

लखनऊः उत्तर प्रदेश से भाजपा को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ बनी सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन को लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कहीं कम सफलता हाथ लगी. प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से गठबंधन को महज 15 सीटें ही मिली. वोट प्रतिशत के लिहाज से देखें तो सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन का प्रयोग बिल्कुल नाकाम साबित हुआ. […]

लखनऊः उत्तर प्रदेश से भाजपा को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ बनी सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन को लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कहीं कम सफलता हाथ लगी. प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से गठबंधन को महज 15 सीटें ही मिली. वोट प्रतिशत के लिहाज से देखें तो सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन का प्रयोग बिल्कुल नाकाम साबित हुआ. एक-दूसरे को अपना वोट ट्रांसफर करने का दावा कर रही सपा और बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ने के बजाय घट गया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां सपा को 22.35 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर 17.96 फीसद ही रह गया.
पिछली बार बसपा को 19.77 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, जो इस बार घटकर 19.26 फीसद रह गये. जहां तक रालोद का सवाल है तो पिछली बार की तरह इस बार भी जीरो साबित हुआ. हालांकि उसका वोट प्रतिशत 0.86 प्रतिशत से बढ़कर 1.67 फीसद हो गया. 2014 में जीरो साबित हुई बसपा के लिए यह गठबंधन संजीवनी साबित हुआ. वोट प्रतिशत में गिरावट के बावजूद उसे इस दफा 10 सीटें मिलीं, जबकि सपा को पिछली बार की ही तरह इस बार भी पांच सीटों से संतोष करना पड़ा. बसपा की झोली में अंबेडकर नगर, अमरोहा, बिजनौर, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर, लालगंज, नगीना, सहारनपुर और श्रावस्ती सीटें आयीं. वहीं, सपा को आजमगढ़, मैनपुरी, मुरादाबाद, रामपुर और सम्भल सीटें ही मिल सकीं. यादव कुनबे के लिहाज से देखें तो इस बार का चुनाव उसके लिये करारा झटका साबित हुआ.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव क्रमश: आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव जीतने में जरूर कामयाब रहे. मगर, अखिलेश की पत्नी एवं कन्नौज की मौजूदा सांसद डिंपल यादव को भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसके अलावा फिरोजाबाद सीट से अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय यादव और बदायूं सीट से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को अपनी-अपनी सीट गंवानी पड़ी. गठबंधन के भविष्य को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने तो सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, लेकिन सपा की ओर से इस बारे में अभी तक कोई ठोस बात सामने नहीं आयी है.
मायावती ने चुनाव नतीजों की घोषणा के बीच संवाददाताओं से कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ गठबंधन के सभी उम्मीदवारों को जिताने के लिये जी-जान से प्रयास किया है, उसके लिये वह उनका आभार प्रकट करती हैं. दूसरी ओर, सपा विचार-मंथन की मुद्रा में है. अपने वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी और उनके अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने से भी सपा को नुकसान हुआ है. सपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक करके परिणामों की समीक्षा की.

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