कैरो/लोहरदगा : कैरो प्रखंड मुख्यालय सहित अन्य गांवों में दो से तीन माह के अंदर घर-घर पेयजल की सौगात मिलने वाली है. प्रखंडवासियों के लिए अरसे से सपना बना पाइप लाइन जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. अप्रैल 2018 में इसका काम शुरू हुआ था़ काम दो साल में पूरा करना था.
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समय से पहले पूरी होगी जलापूर्ति योजना
कैरो/लोहरदगा : कैरो प्रखंड मुख्यालय सहित अन्य गांवों में दो से तीन माह के अंदर घर-घर पेयजल की सौगात मिलने वाली है. प्रखंडवासियों के लिए अरसे से सपना बना पाइप लाइन जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. अप्रैल 2018 में इसका काम शुरू हुआ था़ काम दो साल में पूरा […]
लेकिन काम कर रहे एसएस कंस्ट्रक्शन नामक एजेंसी का कहना है कि यह काम दो-तीन माह में ही पूरा हो जायेगा़ इससे कैरो व कुड़ू प्रखंड के विभिन्न गांवों के हजारों परिवार इस योजना से लाभांवित होंगे. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने लगभग 11 करोड़ की लागत से एसएस कंस्ट्रक्शन नामक एजेंसी द्वारा योजना का क्रियान्वयन कराया जा रहा है. संवेदक का कहना है कि दो से तीन माह के अंदर योजना का लाभ ग्रामीणों को मिलेगा.
सरकार द्वारा ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए प्रखंड मुख्यालय में पाइप लाइन जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य हो रहा है़ इंटक वेल निर्माण को लेकर कोयल नदी पर उमरी के ग्रामीणों के विरोध के बाद कैरो टंगराटोली में इंटक वेल का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण होने को है़ वहीं गली- मुहल्ले में पाइप बिछाया जा रहा है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा और जलापूर्ति योजना से दो प्रखंड के सात गांव के हजारों ग्रामीणों को जल्द ही लाभ मिलेगा.
इस योजना के तहत कैरो, उतका, विराजपुर, जामुनटोली, सुकुरहुटु, सिंजो व बारीडीह गांव में पाइप लाइन बिछाने काम अंतिम चरण में है. इस संबंध में ग्रामीण बंधन बैठ ने कहा कि वर्षों से कैरोवासियों को पेयजल आपूर्ति घर-घर मिले इसकी इच्छा थी जो आज साकार होता दिख रहा है़ महिलाओं को दूर-दूर से पीने का पानी जुगाड़ करना पड़ता था उससे निजात मिलेगा.
संजय महतो का कहना है कि एक समय जब उमरी के ग्रामीण कोयल नदी में इंटक वेल निर्माण के विरोध कर रहे थे तब लगा कैरो वासियों को पेयजलापूर्ति का लाभ नहीं मील सकेगा. पर विभाग के तत्परता व कार्य कर रहें एजेंसी के कार्य में तेजी से लग रहा है कि बहुत जल्द ही इसका लाभ मिलेगा. इससे हमारे क्षेत्र के ग्रामीणों को पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा.
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