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गरीब आदिवासियों का धर्मांतरण रोकें

लोहरदगा :भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह खिजरी विधायक रामकुमार पाहन के नेतृत्व में मोर्चा पदाधिकारियों ने उपायुक्त को जनजातीय मामलों को लेकर ज्ञापन सौंपा. इसमें जनजातीय समाज की सुरक्षा व संरक्षण के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर संविधान में प्रदत्त जनजातीय अधिकारों को धरातल पर उतारने की […]

लोहरदगा :भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह खिजरी विधायक रामकुमार पाहन के नेतृत्व में मोर्चा पदाधिकारियों ने उपायुक्त को जनजातीय मामलों को लेकर ज्ञापन सौंपा. इसमें जनजातीय समाज की सुरक्षा व संरक्षण के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर संविधान में प्रदत्त जनजातीय अधिकारों को धरातल पर उतारने की अपील की गयी.

ज्ञापन में कहा गया है कि आदिवासी समाज के लिए संवैधानिक कानूनों के होते हुए भी आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन पर जनजातीय दबंगों, भूमि दलालों एवं विशेषकर मिशनरियों द्वारा आदिवासी समाज का लगातार अस्तित्व मिटाने के लिए छल-प्रपंच पर उन्हें धर्मांतरित किया जा रहा है़ इस मामले पर आपत्ति जताते हुए आदिवासी समाज के संरक्षण, सुरक्षा के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया.
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम व संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के बावजूद जनजाति समाज के नाम पर मिशनरियों व अन्य दलाल द्वारा गलत दस्तावेजों के आधार पर जनजाति वर्ग की भूमि पर मिशनरियों द्वारा कब्जा किया जाता है, जिससे उक्त कानूनों का घोर उल्लंघन हो रहा है. सीधे-साधे जनजाति समुदाय को बहला-फुसला कर अकूत भू संपत्ति जमा कर लिया गया है जो अंततः जनजाति समाज के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है.
गरीब आदिवासी परिवारों को लालच, प्रलोभन देकर धर्मांतरित कराया जाता रहा है. अनुसूचित जनजाति समाज के प्रमुख, पाहन, पुजार, वैगा, मांझी, नाईक जो धार्मिक व सामाजिक पूजा अनुष्ठान कार्य संपन्न कराते थे, उन्हें जीवन यापन के लिए पारंपरिक, सामाजिक भूमि दी गयी थी. धर्मांतरित होने के बाद वे स्वयं अथवा उनके द्वारा मिशनरी संस्थाओं काे उक्त भूमि पर भी कब्जा एवं अधिकारिता जतायी जाती है जो सर्वथा अनुचित है.
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 46 व 49 के प्रावधानों व संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के उल्लंघन करने वालों की विस्तृत जांच कराने की आवश्यकता है़ संबंधित जनजातीय परिवारों को संबंधित भूमि को वापस कराये जाने की आवश्यकता है. मौके पर महामंत्री बिंदेश्वर उरांव, अशोक बड़ाइक, अशेष बारला, जगरनाथ भगत, बजरंग उरांव, बिहारी भगत, रवि नारायण महली, भगवान दास उरांव आदि मौजूद थे.

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