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बच्चे उच्च शिक्षा व किसान सिंचाई के लिए परेशान

कुड़ू : लोहरदगा जिला गठन के मौके पर जिले में जिला प्रशासन जश्न मना रहा है. लोहरदगा जिला का गठन 17 मई 1983 को तथा कुड़ू प्रखंड का गठन 1956 को किया गया है. प्रखंड बनने के बाद पहले बीडीओ के रूप में रामा प्रसाद मुखर्जी ने पदभार ग्रहण किया था. जिला गठन के 36 […]

कुड़ू : लोहरदगा जिला गठन के मौके पर जिले में जिला प्रशासन जश्न मना रहा है. लोहरदगा जिला का गठन 17 मई 1983 को तथा कुड़ू प्रखंड का गठन 1956 को किया गया है. प्रखंड बनने के बाद पहले बीडीओ के रूप में रामा प्रसाद मुखर्जी ने पदभार ग्रहण किया था. जिला गठन के 36 साल तथा प्रखंड गठन के 63 साल बाद भी कुड़ू वासियों को मूलभूत सुविधा मयस्सर नहीं हो पाया है.

हाल यह है उच्च शिक्षा के लिए जहां बच्चे भटक रहे हैं तो सिंचाई के आभाव में किसान खेती नहीं कर पा रहें. रोजगार की तलाश में किसान पलायन को विवश हैं. तपती गर्मी में आमजन पीने के पानी की जुगाड़ में परेशान हैं.

प्रखंड के तीन पंचायतों सलगी, बड़की चांपी तथा सुंदरू के ग्रामीणों की लाइफलाइन सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है. एक दर्जन गांव के लोग आज भी नदी तथा चुआं का पानी पीते हैं. कुड़ू प्रखंड में 14 पंचायत तथा 65 राजस्व गांव हैं. प्रखंड की आबादी लगभग 88 हजार है. प्रतिवर्ष प्रखंड से दो हजार बच्चे मैट्रिक की परीक्षा पास करते हैं. लेकिन उच्च शिक्षा के लिए प्रखंड में कोई व्यवस्था नहीं है.
दो दशक से काॅलेज के निर्माण की मांग हो रही है. प्रखंड के तीन विद्यालयों गांधी मेमोरियल टेन प्लस टू उच्च विद्यालय माराडीह, प्रोजेक्ट बालिका टेन प्लस टू उच्च विद्यालय कुड़ू तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय कुड़ू में इंटर तक पढ़ाई शुरू कराया गया है.
कहीं भी तीनों संकाय में स्वीकृत पद के एवज में शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं. बालिका विद्यालय में जहां विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई बंद है वहीं माराडीह का हाल-बेहाल है. एक मात्र जनता इंटर काॅलेज टाटी आमजनों के सहयोग से चल रहा है. काॅलेज नहीं होने से गरीब तथा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं. प्रखंड में खेल को बढ़ावा देने के लिए एक भी खेल मैदान नहीं है.
संत विनोवा भावे खेल मैदान है. जहां मिनी स्टेडियम बनाने की मांग एक दशक से हो रही है. मामला उपायुक्त के पास लंबित है. खेल मैदान के आभाव में खेल प्रतिभा कुंद हो कर रह जा रही है. प्रखंड की कुल आबादी के 70 प्रतिशत ग्रामीण किसान हैं. खेतीबारी से इनके परिवार का जीविकोपार्जन चलता है. लेकिन सिंचाई के साधन के आभाव में 50 प्रतिशत ग्रामीण बरसात पर आश्रित रहते हैं. धान फसल के बाद रोजगार की तलाश में सपरिवार दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं.
प्रखंड में जिला गठन के 36 साल तथा प्रखंड गठन के 63 साल बाद भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है. शहरी जलापूर्ति योजना का हाल बेहाल है. चापाकल जवाब दे रहे हैं. ग्रामीण कुआं का दूषित जल पीने को विवश हैं. प्रखंड के एक दर्जन गांव मसियातू, मसुरियाखांड़, चूल्हापानी, नामुदाग, जवरा, खम्हार, नामनगर, काशीटांड़, चारागदी, पिपराही समेत अन्य गांव के ग्रामीण चुआं तथा नदी का पानी पीते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में प्रखंड आज भी पिछड़ा हुआ है. सड़कों का हाल बेहाल है. तीन पंचायतों की लाइफ लाइन प्रखंड मुख्यालय से सलगी को जोड़ने वाली सड़क बेहाल है.
इसके अलावा सलगी से धौरा सड़क का हाल बेहाल है. आधे दर्जन गांव चूल्हापानी, मसुरियाखांड़, मसियातू, जवरा, नामुदाग, चारागदी के ग्रामीण जंगली पगडंडियों से होकर गांव आते -जाते हैं. स्वास्थ के क्षेत्र में प्रखंड को अपेक्षित सुविधा नहीं मिल पायी है. सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीन 13 उपकेंद्र संचालित है. कुड़ू में कार्यरत चिकित्सकों को रोस्टर के आधार पर उपकेंद्रों में ड्यूटी देनी है.
लेकिन शायद किसी उपकेंद्र में नियमित चिकित्सक मिल पाते हैं. कुल मिला कर जिला गठन के 36 साल तथा प्रखंड के 63 साल बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इस संबंध में कुड़ू बीडीओ राजश्री ललिता बाखला ने बताया कि मूलभूत सुविधा बहाल कराने का प्रयास किया जायेगा. आवागमन का साधन बनाया जायेगा.

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