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उच्च विद्यालय जयनगर व प्लस टू उवि में पढ़ाई बाधित

जयनगर: सरकार शिक्षा के विकास के लाख दावा करें, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हर वर्ष कई मध्य विद्यालय उत्क्रमित होकर उच्च विद्यालय व कई उच्च विद्यालय उत्क्रमित होकर प्लस टू विद्यालय (इंटर कॉलेज) में परिणत हो रहे है. मगर वर्षों से शिक्षकों की बहाली नहीं होने से उच्च विद्यालयों में शिक्षा का […]

जयनगर: सरकार शिक्षा के विकास के लाख दावा करें, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हर वर्ष कई मध्य विद्यालय उत्क्रमित होकर उच्च विद्यालय व कई उच्च विद्यालय उत्क्रमित होकर प्लस टू विद्यालय (इंटर कॉलेज) में परिणत हो रहे है. मगर वर्षों से शिक्षकों की बहाली नहीं होने से उच्च विद्यालयों में शिक्षा का हाल बेहाल है. स्थिति यह है कि मध्य विद्यालय के शिक्षक उच्च विद्यालय व उच्च विद्यालय के शिक्षक इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं.

कुछ यही हाल है वर्ष 1962 से स्थापित राजकीयकृत उच्च विद्यालय जयनगर का है, जो वर्षों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के भरोसे चल रहा है. यहां लगभग 250 विद्यार्थी नौवीं व दसवीं कक्षा में अध्ययनरत है. यहां शिक्षकों के स्वीकृत 11 पद में प्रधानाध्यापक सहित कुल चार शिक्षक पदस्थापित हैं. प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में रामउदगार यादव, सहायक शिक्षक जवाहर लाल पांडेय, गिरिधर प्रसाद सिंह, विजय कुमार चौबे के अलावे लिपिक सुभाष यादव, अनुदेशक कैलाश चंद्र यादव, बहादुर पासवान आदि कार्यरत हैं.

यहां शिक्षकों के अलावे अनुदेशक व रात्रि प्रहरी का पद रिक्त है. स्कूल में पुस्तकालय व प्रयोगशाला का भी अभाव है. शिक्षकों ने बताया कि रात्रि प्रहरी नहीं रहने के कारण विद्यालय में अब तक चार बार चोरी की घटना हो चुकी है. चोर भवन की खिड़की, पंखा सहित अन्य सामान ले गये हैं.
2008 में मिला प्लस टू का दर्जा
अपने स्थापना काल से लगातार यह उच्च विद्यालय कई समस्याओं से जूझ रहा है. सरकार ने वर्ष 2008 में इस उच्च विद्यालय को उत्क्रमित करते हुए इंटर कॉलेज का दर्जा दे दिया. उस समय क्षेत्र के लोगों की खुशी देखने लायक थी. लोगों को लगा था कि उच्च शिक्षा के लिए बालिकाओं को बाहर नहीं जाना होगा. अभिभावकों ने उत्साहित होकर अपने बच्चों को नामाकंन इस इंटर कॉलेज में कराया था. फिलहाल यहां इंटर में 350 से ऊपर विद्यार्थी नामांकित है. मगर, समस्याएं जस की तस है. कॉलेज की पढ़ाई के लिए बना इंटर संभाग का भवन वर्षों बाद भी अधूरा है. उसकी खिड़कियों का सभी कांच व भवन में लगा पंखा गायब हैं. वायरिंग का अता-पता नहीं. विज्ञान के पढ़ाई के लिए यहां प्रयोगशाला भी नहीं है. साथ ही प्रयोगशाला सहायक का स्वीकृत पद भी रिक्त पड़ा है. यहां विषयवार शिक्षकों की कमी है. इसके अलावे लिपिक व अनुदेशक का स्वीकृत पद भी रिक्त पड़ा है. प्रयोगशाला सहायक व सामग्री के अभाव में प्रयोगशाला कक्ष में ताला लटक रहता है. अभिभावकों ने बताया कि सरकार ने हाइस्कूल को इंटर कॉलेज तो बना दिया पर शिक्षकों सहित अन्य सुविधाएं बहाल नहीं करने के कारण पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
शिक्षकों की बहाली शीघ्र हो
प्रखंड प्रमुख जयप्रकाश राम ने कहा कि शिक्षकों के अभाव में उत्क्रमित विद्यालयों में पठन-पाठन बाधित है. राज्य संपोषित उच्च विद्यालय परसाबाद, उत्क्रमित उच्च विद्यालय रूपायडीह, राजकीयकृत उच्च विद्यालय लतवेधवा, उत्क्रमित उच्च विद्यालय सोनपुरा, परियोजना बालिका उच्च विद्यालय जयनगर, उत्क्रमित उच्च विद्यालय नइटांड़, उत्क्रमित उच्च विद्यालय तिलोकरी, उत्क्रमित उच्च विद्यालय घंघरी, उत्क्रमित उच्च विद्यालय गोदखर उत्क्रमित करने बाद शिक्षकों की बहाली नहीं हुई. सरकार इन विद्यालयों में तत्काल शिक्षक व अन्य कर्मियों की बहाली करे. इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तथा उपायुक्त व जिला शिक्षा अधीक्षक से बात कर यहां शिक्षक बहाली की मांग करेंगे. जिला स्तर बैठक में भी इस मामले को उठायेंगे. इधर, मुखिया अजमेरी खातून ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण विद्यालय उत्क्रमित होने के बाद भी शिक्षा का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है. यदि जरूरत पड़ी तो अभिभावकों के सहयोग से आंदोलन किया जायेगा.

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