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सर्द हवाओं का सितम जारी, ठंड से राहत की उम्मीद लगाये बैठे हैं आमलोग

किशनगंज : लगातार लुढ़क रहे पारा के बीच सितम ढा रही कनकनी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. गुरुवार को अधिकतम तापमान 16 एवं न्यूनतम तापमान 9 डिग्री रहा. यद्यपि दोपहर बाद हल्की धूप खिली थी, लेकिन सर्द हवाओं के कारण यह भी पूरी तरह बेअसर साबित हुआ. ठंड के कारण जनजीवन सिहर […]

किशनगंज : लगातार लुढ़क रहे पारा के बीच सितम ढा रही कनकनी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. गुरुवार को अधिकतम तापमान 16 एवं न्यूनतम तापमान 9 डिग्री रहा. यद्यपि दोपहर बाद हल्की धूप खिली थी, लेकिन सर्द हवाओं के कारण यह भी पूरी तरह बेअसर साबित हुआ. ठंड के कारण जनजीवन सिहर सा गया है.

मौसम का असर इस कदर हावी हो चुका है कि लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे हैं. ठंडी हवाओं के कारण कनकनी थमने का नाम नहीं ले रही है. मानव स्वास्थ्य पर भी मौसम का असर दिखने लगा है. ठंड के कारण लोग घरों में दुबके हुए हैं. यद्यपि फिलहाल मौसम सर्द रहने का पूर्वानुमान मौसम विभाग ने जारी किया है. लगातार गिरते तापमान व बर्फीली हवाओं के कारण अलाव के सहारे लोग ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं.
ठंड के कारण दोपहर तक लोग घरों में दुबके रह रहे हैं. जबकि शाम ढलते ही सड़कें वीरान हो रही हैं. ठंड के कारण कुहासे के बढ़े प्रकोप से वाहनों की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा हुआ है. लोगों से गुलजार रहने वाले रेल स्टेशन और बस स्टॉप पर भी ठंड का असर दिख रहा है. ठंड से पूरा जनजीवन ठहर सा गया है.
कहर ढा रहा कनकनी, और पारा लुढ़का :
दिघलबैंक. मौसम की बेरुखी अब लोगों के लिए आफत बन चुकी है. लगातार गिर रहा पारा लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. एक पखवाड़ा से पड़ रही सर्दी के सितम से अब लोग ऊब चुके हैं. ठंड ने रोजगार पर भी आफत ला दी है. दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने वाले परिवार के लिए बेदर्द मौसम का सितम कहर बरपा रहा है. ठंड के कारण आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित है.
मौसम के कारण भवन निर्माण सहित अन्य कार्य ठप पड़े हुए हैं. मजदूरों को रोजगार मिलना भी मुश्किल हो गया है. फिलहाल मौसम से राहत मिलने की भी आस नहीं दिख रही है. पछुआ हवा के कारण कनकनी थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को अधिकतम तापमान 16 व न्यूनतम तापमान 9 डिग्री रहने के कारण आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित रहा.
आधा पेट खाकर कैसे कटेगी ठंडी
ठंड के कारण परेशान परिवारों को ठंड के साथ ही पेट भरने की समस्या भी परेशानी का सबब बनती जा रही है. रोजगार नहीं मिलने के कारण थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी अब खत्म होने लगी है. ऐसे में अपने और परिवार का पेट भरना भी दैनिक मजदूरों के लिए मुश्किल बनता जा रहा है. ठंड में गर्म कपड़ों की कमी के साथ ही आधा पेट खाकर ठंड की रात काटना किसी मुसीबत से कम नहीं हैं. दैनिक मजदूरी करने वाले रेहान आमल, अजमल, लक्ष्मण सदा, डोमन मूर्मू आदि ने बताया कि ठंड ने उनका जीना मुहाल कर दिया है. दस दिनों से रोजगार नहीं मिलने के कारण अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.
ठंड से जनजीवन अस्त व्यस्त : कोचाधामन.
कड़ाके की ठंड से कोचाधामन प्रखंड क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कड़ाके की ठंड के साथ ही चल रही पछुआ पवन से लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुहाल हो गया है. मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने वाले लोगों के लिए स्थिति और भी बुरी है. सड़कों पर वाहनों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गया है. गरीब तबके के लोगों के लिए ठंड काटना मुश्किल होता जा रहा है.
कोहरे के कारण सड़क पर आवागमन प्रभावित: पाठामारी कोहरे का प्रकोप गुरुवार को सुबह 10 बजे तक कायम रहा. इस दौरान सड़क पर गाड़ियां रेंगती नजर आयी. जिसके चलते लोग देर से अपने गंतव्य तक पहुंचे. मौसम खराब होने और ठंड का असर बाजारों व कार्यालयों में भी दिखा. ठंड के चलते गर्म कपड़ों की बिक्री भी बढ़ गयी है.
ग्रामीण क्षेत्रों में मौसम के बदले मिजाज व कोहरे के चलते जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कोहरे की धुंध के कारण सड़कों पर वाहन लाइट जलाकर चल रहे थे. मार्निंग वाक पर निकलने वाले लोग भी घरों में दुबके रहे. शहरी क्षेत्र में भी दुकानें देर से खुली रहीं. बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा. ठंड के चलते लोग घरों में दुबकने को मजबूर रहे. बचाव के लिए अलाव का सहारा लिया.
फसलों को पाला से बचाएं: बहादुरगंज
पारा गिरने के साथ ही पाला का प्रकोप शुरू हो रहा है. जिसकी चपेट में आकर रबी की फसलों के बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है. सेवानिवृत केंद्रीय कृषि उप निदेशक डॉ पीपी सिन्हा ने कहा कि पाला के चलते फसलों, सब्जी, फूल व फल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. दिसंबर व जनवरी माह में पाला अधिकतर रात्रि के तीसरे पहर में तथा जब रात्रि लंबी, आकाश स्वच्छ और वायु शांत होता है तो पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है.
पाला से बचाव के लिए सबसे सुगम एवं आसान उपायों में फसल की ¨सचाई कराना है. इसके अलावा जब पाला पड़ने की संभावना हो तो रात्रि के समय खेत के चारों ओर कूड़ा-करकट जलाकर धुआं कर देना चाहिए. रासायनिक उपायों में पाला से बचाव के लिए फसल पर यूरिया का दो से तीन प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए.
किसान परेशान, फसल हो रहा नुकसान
ग्रामीण इलाके के किसानों की ¨चिंता घने कोहरे के चलते बढ़ गई. आलू, सरसों, अरहर और मटर की फसल में रोग का खतरा बढ़ गया है. जिला प्रशासन द्वारा अलाव की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गयी है. ग्रामीण निजी व्यवस्था कर काम चला रहे हैं.
कुहासे ने रोकी जनजीवन की रफ्तार
किशनगंज. पूरे जिले में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. लेकिन सबसे बुरा हाल भारत-नेपाल बॉर्डर से सटे पहाड़ी इलाकों का है. जहां सर्दी से लोग ठिठुर रहे हैं. घने कोहरे के कारण जिंदगी थम सी गयी है. सर्दी का सितम ऐसा मानो जिंदगी जमकर कुल्फी बन गयी हो. आसमान से बरसती आफत के रूप में ओस की बूंदों ने सबों का हाल बेहाल कर दिया है. पहाड़ी नदियों का पानी बर्फ की तरह ठंडा हो गया है.
पिछले एक पखवाड़ा से जारी ठंड का कहर बुधवार को कुछ अधिक ही रहा. अधिकतम 16 और न्यूनतम 10 डिग्री तापमान दर्ज किया गया. मेहनतकश लोग इस ठंड में अपने घरों में दुबके हुए हैं. कृषि कार्य पूरी तरह से प्रभावित है. बीते कुछ दिनों से सर्द पश्चिमी हवाओं ने जीना मुहाल कर दिया है. पूरे दिन हवाओं का रुख कायम रहने से घर से निकलना भी मुश्किल है.
शाम से लेकर अगले दोपहर तक आसमान कोहरे की चादर से ढंक जाता. जिससे वाहनों की आवाजाही कम हो जाती है. ठंड से लोगों का हाल बेहाल हो कर रह गया है. शहर से लेकर गांव तक स्थिति एक जैसी ही है. इस बीच ठंड से बचाव के लिए अलाव का ही सहारा है. मात्र कुछ मिनटों के लिए सूर्य बादलों से निकले लेकिन बादलों के साथ सूर्य की लुकाछिपी के खेल ने लोगों को चैन नहीं लेने दिया.
हालांकि बढ़ती ठंड के कारण स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में भी परिवर्तन कर दिया गया है. इसके बावजूद बच्चों को विद्यालय आने-जाने में काफी असुविधा हो रही है. बाजारों में गर्म कपड़े स्वेटर सहित ऊनी शॉल की बिक्री फिर बढ़ गयी है. फिलहाल हालत ऐसी है कि लोग खेती और अन्य काम के लिए भी निकलने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. मौसमी बीमारियों का प्रभाव भी अब नजर आने लगा है. सर्दी, खांसी, बुखार, कोल्ड डायरिया आदि बीमारियां अब अपना प्रभाव दिखा रही हैं.

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