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चूरी पायलट प्रोजेक्ट पर मंडराने लगा आंदोलन का खतरा, महाप्रबंधक ने मांगा 14 दिन का समय

डकरा : कंटीन्यूअस माइनिंग के क्षेत्र में देश के सबसे अत्याधुनिक सीसीएल का भूमिगत कोयला खदान पायलट प्रोजेक्ट चूरी पर उद्घाटन के पहले ही आंदोलन का खतरा मंडराने लगा है. परियोजना के लिए अपनी जमीन देनेवाले रैयत हक अधिकार की मांग को लेकर परियोजना नहीं चलने देने की चेतावनी देते हुए सामने आ गये हैं. […]

डकरा : कंटीन्यूअस माइनिंग के क्षेत्र में देश के सबसे अत्याधुनिक सीसीएल का भूमिगत कोयला खदान पायलट प्रोजेक्ट चूरी पर उद्घाटन के पहले ही आंदोलन का खतरा मंडराने लगा है. परियोजना के लिए अपनी जमीन देनेवाले रैयत हक अधिकार की मांग को लेकर परियोजना नहीं चलने देने की चेतावनी देते हुए सामने आ गये हैं.
रैयतों की मांग को पूर्व के प्रबंधन ने टालते हुए इस स्थिति में पहुंचा दिया है कि वर्तमान प्रबंधन मामले को लेकर चिंता में है. इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि 1985 में हमलोगों की 48 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था. जिसके एवज में 2007 में सभी को मुआवजा भी दिया गया. कहा गया था कि नौकरी का फार्म जल्द ही भरवाया जायेगा, लेकिन पिछले 33 साल से ग्रामीण मांग करते रहे और प्रबंधन सिर्फ आश्वासन देता रहा.
अब हमलोग आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिये हैं. जब तक हमलोगों को नौकरी व अन्य अधिकार नहीं दिये जायेंगेे तब तक हमलोग परियोजना को चलने नहीं देंगेे. अपनी मांग को लेकर लगभग 100 की संख्या में ग्रामीण सोमवार को महाप्रबंधक से बात करने कार्यालय पहुंचे और अपनी मांग को लिखित रूप में प्रबंधन को दिया.
महाप्रबंधक खुद ग्रामीणों के बीच में जाकर सभी की बात सुने और पूरे मामले को समझने के लिए 14 दिन का समय लिया है. उन्होंने कहा कि काफी पुराना मामला है और मुआवजा देने के बाद नौकरी क्यों नहीं दी गयी. इसे समझने के बाद अगली बार जब साथ बैठेंगे, तब एक सकारात्मक निर्णय कर पायेंगे. महाप्रबंधक के इस आश्वासन के बाद ग्रामीण वापस लौट गये.
इस मौके पर महाप्रबंधक के साथ चूरी पीओ, मैनेजर, जीएम ऑपरेशन व ग्रामीणों की ओर से मंगरु मुंडा, मोहन महतो, विजय महतो, भुनेश्वर महतो, दीपक लोहरा, राजेश महतो, अनु महतो, लालेश्वर महतो सुमित महतो, तुलसी महतो, रंजीत महतो, किरण देवी, विराजो देवी, रीता देवी, पवन महतो, सर्फू महतो, बुधनी देवी, सुमन देवी, आशा देवी, बालेश्वर महतो, राजू महतो, नागेश्वर महतो आदि मौजूद थे.
रैयतों का हक मारनेवाले पायलट प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरेगा
एक तरफ सीसीएल प्रबंधन अखिल भारतीय स्तर पर रैयतों को उसका वाजिब हक व अधिकार देने का ढिंढोरा पीट रही है. वहीं चूरी जैसे छोटे जगह पर रैयतों का हक व अधिकार मारनेवाला पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया है. यानि चूरी की तरह जहां भी भूमिगत खदान का अब काम होगा, वहां रैयतों को कुछ नहीं मिलेगा. अगर यही पायलट प्रोजेक्ट है तो इसे किसी भी हालत में धरातल पर उतरने नहीं दिया जायेगा. उक्त बातें कांके विधायक प्रतिनिधि रमेश विश्वकर्मा ने कही. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वे पिछले एक साल से प्रबंधन से कई चरण की वार्ता कर चुके हैं. विधायक और सांसद भी प्रबंधन से कई बार बात किये, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
परेशान है जॉय माइनिंग के लोग
कंटिन्यूअस माइनिंग का काम करनेवाली अमेरिकी कंपनी जॉय माइनिंग के अधिकारी चूरी के बदलते माहौल को देख कर परेशान हैं. अधिकारियों ने बताया कि हमलोगों ने अपना काम लगभग अंतिम चरण में पहुंचा दिया है. ऐसे में जिस तरह के हालात यहां बन रहे हैं, उसे देख कर चिंता हो रही है. कंपनी ने यहां अब तक करोड़ों रुपये का निवेश कर चुकी है.
चूरी के नये पीओ एके राय ने योगदान दिया
चूरी के नये पीओ एके राय ने सोमवार को चूरी में अपना पदभार संभाल लिया है. पूर्व पीओ बिनेश शर्मा का पिछले महीने पुंडी प्रोजेक्ट में स्थानांतरण कर दिया गया था, तब से यह पद खाली था. एके राय जयरंगडीह प्रोजेक्ट से आये हैं. श्री राय जिस समय महाप्रबंधक से मिलने पहुंचे थे, उस समय महाप्रबंधक चूरी की समस्या पर ही रैयतों से बात कर रहे थे.

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