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Friday, March 29, 2024

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अंडा पर फंडा समझा नहीं, फल हैं गायब

खगड़िया : अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा या मौसमी फल दिया जायेगा. खगड़िया में यह घोषणा हवा-हवाई साबित हो रहा है. स्थिति यह है कि अधिकांश सरकारी विद्यालय भोजनालय बन कर रह गया है. स्कूल में पठन-पाठन की जगह मध्याह्न भोजन खिलाने के नाम पर जमकर लूट-खसोट हो रहा है. […]

खगड़िया : अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा या मौसमी फल दिया जायेगा. खगड़िया में यह घोषणा हवा-हवाई साबित हो रहा है. स्थिति यह है कि अधिकांश सरकारी विद्यालय भोजनालय बन कर रह गया है. स्कूल में पठन-पाठन की जगह मध्याह्न भोजन खिलाने के नाम पर जमकर लूट-खसोट हो रहा है.

जिले के सरकारी स्कूलों का सच पता लगाने निकली प्रभात खबर टोली ने जो देखा वह व्यवस्था की पोल खोलने के लिये काफी है. कहीं शिक्षक से ज्यादा रसोइया ही विद्यालय में मौजूद मिली तो किसी स्कूल में मध्याह्न भोजन में गड़बड़ी सामने आयी. अलौली प्रखंड के अधिकांश विद्यालयों की स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है. ऐसी ही स्थिति कमोवेश हर प्रखंड की है. नियमित रूप से अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं होने से बच्चों के भविष्य निर्माण पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है. हाल के दिनों में खगड़िया शिक्षा विभाग में बढ़ी कमीशनखोरी व अवैध उगाही के फेर में बच्चे के साथ साथ शिक्षक भी कराह रहे हैं.

सरकारी स्कूलों का सच जानने के लिये शुक्रवार को प्रभात खबर के नौ रिपोर्टरों ने अलग अलग जगहों पर जायजा लिया. अधिकांश स्कूलों में एमडीएम में अंडा या मौसमी फल देने के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा था. कहीं कहीं अंडा भी दिया गया था लेकिन मौसमी फल के नाम पर बच्चों को केला परोसा गया. कुल मिलाकर स्कूलों में मध्याह्न भोजन में अंडा या मौसमी फल देने के फरमान के बीच सरकारी स्कूलों में गोलमाल जारी है. पठन-पाठन व्यवस्था चरमरा गयी है. अधिकारी कागज पर ही निरीक्षण कर मौज कर रहे हैं.
नहीं बन रहा था मध्याह्न भोजन
प्राथमिक विद्यालय शिवाना में 11.30 बजे तक मध्याह्न भोजन को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं थी. अभी तक चूल्हा नहीं जला था. पूछने पर शिक्षिका सरिता कुमारी ने बताया कि बच्चों को 1.30 में मध्याह्न भोजन देते हैं. उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन बनाने में कोई समय नहीं लगता है. जबकि उस विद्यालय में लकड़ी पर खाना बनाने की व्यवस्था थी. अंडा के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी अंडा नहीं लाये है. अधिकांश बच्चे शाकाहारी हैं. इसलिए अंडा नहीं फल देंगे. प्रखंड के कई विद्यालयों में शिक्षक से अधिक संख्या में रसोईया ही विद्यालय में मौजूद पाये गये. रामपुर अलौली पंचायत के प्राथमिक विद्यालय शिवाना में भी एक शिक्षक उपस्थित थी. जबकि रसोइया की संख्या दो थी. हालांकि दोनों रसोइया मध्याह्न भोजन बना नहीं रही थी. बल्कि दोनों आपस में गप्पे लड़ा रही थी.
एचएम ने कहा, सत्संगी हैं, अंडा कैसे देंगे
चौथम. सरकारी स्कूलों में बच्चों को फल या अंडा तो दूर, मध्याह्न भोजन पर आफत है. प्रखंड के नवादा गांव के पूरब टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नजारा नजर आया. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका कांति देवी ने बताया कि रसोईया एक बजे तक विद्यालय नहीं पहुंचती हैं. जिसके कारण मध्याह्न भोजन बंद है. शुक्रवार को स्कूली बच्चों को फल या अंडा क्यों नहीं दिया गया सवाल के जवाब में प्रधानाध्यापिका ने बताया कि हमारे स्कूल में अंडा नहीं चलाया जाता है. अंडा के बदले फल दिया जाता है. ऐसा क्यों? के जवाब में बताया गया कि सत्संगी हैं. अंडा से परहेज है. प्रभारी प्रधानाध्यापिका जवाबी हरकत से विभागीय आदेश की अनदेखी का पोल खुल रही है.
नामांकित 205 मौजूद थे मात्र 33
शुक्रवार को विद्यालय में कुल नामांकित बच्चों की संख्या 205 के विरुद्ध कुल 33 बच्चे ही मौजूद मिले. पहली कक्षा में 17, दूसरे वर्ग में चार, तीसरी कक्षा में पांच, चौथी कक्षा में पांच जबकि पांचवीं कक्षा में मात्र दो बच्चे उपस्थित पाये गये. विदित हो कि प्रखंड में 67 प्राथमिक विद्यालय एवं 67 मध्य विद्यालय हैं. स्कूली बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने की दिशा में विभाग ने स्कूली बच्चों को सप्ताह में शुक्रवार को उबले अंडे देने का आदेश सभी विद्यालय प्रधान को दिया हैं.
जो बच्चे शाकाहारी है, उसे फल दिए जाने का विभागीय निर्देश दिया गया है. लेकिन अंडा तो दूर मौसमी फल के नाम पर केला देकर मध्याह्न भोजन के उद्देश्यों पर डाका डाला जा रहा है. सरकार की लाख कोशिश के बावजूद स्कूलों में बच्चाें की संख्या नहीं बढ़ रही है. कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग में जरूर खामियां है. इसकी वजह से स्कूलों में छात्रों की संख्या नहीं बढ़ रही है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामकुमार सिंह ने बताया कि इसकी जांच कर मामला सच पाये जाने पर प्रधानाध्यापिका के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
प्रावि शिवाना : कमरा छह, बच्चे 21
दिन शुक्रवार, समय साढ़े ग्यारह बजे. प्रभात खबर टोली अलौली-खगड़िया मुख्य पथ पर स्थित प्राथमिक विद्यालय शिवाना में पहुंची. दो मंजिल वाले इस प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करते ही रसोइया का एक बच्चा बिना पैंट का खेलता हुआ दिखता है. विद्यालय में प्रवेश करने पर सामने दो रसोइया आपस में बात कर रही थी. पूछने पर रसोइया बताती है कि मैडम पहली मंजिल पर हैं. ऊपर के छह कमरे के इस विद्यालय के एक कमरे विद्यालय की प्रधानाध्यापक सरिता कुमारी एक ही कमरे में एक से पांच तक के कुल 21 बच्चों को लेकर पढ़ा रही थी.
उपस्थिति पंजी खाली थी
21 बच्चों को लेकर पढ़ा रही प्राथमिक विद्यालय शिवाना में 11.30 बजे तक हाजिरी नहीं बनायी थी. प्रधानाध्यापिका सरिता कुमारी एक वर्ग में कुल नामांकित 68 बच्चों के विरुद्ध मात्र 21 बच्चे को पढ़ा रही थी. पूछने पर वह एक बड़े से ट्रंक से रजिस्टर निकाली कर छात्र छात्राओं की संख्या गिनाने लगी. अभी तक बच्चों की उपस्थित क्यों नहीं बनायी तो उन्होंने झट से कहा कि अभी तो बच्चे आ ही रहे हैं. उपस्थिति बन जाएगी.
ऊंची दुकान, फिकी पकवान
एक नजर में देखने से प्राथमिक विद्यालय शिवाना दो मंजिला भव्य विद्यालय है. लेकिन इस विद्यालय के अंदर शिक्षक, छात्र- छात्राओं की घोर कमी थी. पूछने पर प्रधानाध्यापिका सरिता कुमारी ने बताया कि यहां एक से पांच कक्षा तक की पढ़ाई होती है. उन्होंने बताया कि पहली से पांचवीं तक कुल 68 छात्र छात्राएं नामांकित हैं. जबकि नामांकित बच्चों में से मात्र 21 बच्चे एक ही कमरे समय काट रहे थे. कुल दो शिक्षक इस विद्यालय में पदस्थापित हैं लेकिन एक शिक्षक नवल किशोर दो वर्षीय ट्रेनिंग में गये हुए हैं.
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