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हर बार बढ़ रही सुनवाई की तिथि

खगड़िया : लोक शिकायत अधिनियम को लागू किये जाने के पूर्व यही सोचा गया होगा कि इस अधिनियम से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. उनके समस्याओं की एक समय सीमा के भीतर निष्पादन किया जाएगा. और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी. करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बने इस अधिनियम को लेकर लोक प्राधिकार […]

खगड़िया : लोक शिकायत अधिनियम को लागू किये जाने के पूर्व यही सोचा गया होगा कि इस अधिनियम से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. उनके समस्याओं की एक समय सीमा के भीतर निष्पादन किया जाएगा. और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी. करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बने इस अधिनियम को लेकर लोक प्राधिकार अब भी गंभीर नहीं हो पाये हैं.

लगातार आदेश की अनदेखी किये जाने की बातें सामने आती रही है. पहले तो यह सवाल उठते थे कि लोक प्राधिकार क्यों नहीं आदेश का अनुपालन कर रहे हैं. लेकिन अब यह सवाल पुराना हो गया है. अब सवाल यह उठ रहे हैं कि लगातार आदेश की अनदेखी करने वालों पर कब और कौन कार्रवाई करेंगे. कई लोक प्राधिकारों की लापरवाही अब तक सामने आई है. अब कृषि विभाग के पदाधिकारी की लापरवाही देखने को मिली है. लोक शिकायत अधिनियम के तहत दर्ज शिकायत के समाधान के लिए आत्मा के परियोजना निदेशक सह डीपीओ को एक नहीं

बल्कि पांच बार बुलाया गया. शिकायतकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई करना तो दूर ये सुनवाई में भाग तक नहीं लिये. इनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने को लेकर डीएम को भी लिखा गया. सूत्र बताते हैं कि इनसे डीएम ने स्पष्टीकरण भी मांगा जिसका भी कोई असर इनपर नहीं हुआ.

क्या था मामला
बीतें कई वर्षों आत्मा कार्यालय के लेखापाल राणा रंधीर सिंह अपने वेतन वृद्धि व पुनरीक्षण वेतन की मांग को लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. हाई कोर्ट व राज्य सरकार से जारी आदेश के बाद भी इन्हें पुनरीक्षण वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है. इन्होंने इसकी शिकायत जिला लोक शिकायत कार्यालय में दर्ज कराई थी. लेकिन यहां से भी इन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा. जिला कृषि पदाधिकारी सह निदेशक आत्मा को इस मामले में स्पष्ट रिपोर्ट के साथ पूरे सुनवाई में पांच बार बुलाया गया. फिर भी ये सुनवाई ने तो उपस्थित हुए और न ही शिकायकर्ता की जायज मांग को पूरा किया. जानकारी के मुताबिक डीपीजीआरओ विजय कुमार सिंह की रिपोर्ट पर डीएम के द्वारा लोक प्राधिकार से स्पष्टीकरण भी पूछा गया. फिर भी संबंधित लोक प्राधिकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा.
सिर्फ आदेश पत्र मिला
दो माह तक सुनवाई में काम छोड़कर भाग लेने वाले शिकायकर्ता को वेतनवृद्धि का लाभ मिलने की जगह सिर्फ दो पन्ने का आदेश मिला. जिसे लेकर अब वे अनुपालन कराने के लिए प्रमण्डलीय आयुक्त के पास जाएंगे. अगर यहां भी इनकी शिकायत का निदान नहीं हुआ तो कृषि विभाग के प्रधान सचिव के पास द्वितीय अपील के तहत जाएंगे. लेकिन इससे कोई भी शिकायतकर्ता को निदान से अधिक परेशानी होगी. यह अकेले इनके साथ नहीं बल्कि सैकड़ों शिकायकर्ता के साथ होता आ रहा है. पहले वे शिकायत को लेकर चक्कर कहते हैं फिर पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कराने के लिए मुंगेर फिर पटना के दरबार में हाजिरी लगाते हैं.
पीजीआरओ नहीं बरत रहे सख्ती
ऐसे कई मामले सामने आये है, जिसमें सुनवाई पदाधिकारी पीजीआरओ लगातार पत्र लिखकर लोक प्राधिकार को सुनवाई ने भाग लेने के लिए बुलाते रहे. सुनवाई के दौरान भी संबंधित पदाधिकारियों को भाग लेने के लिए बुलाया जाता है. फिर वे उपस्थित नहीं होते. जानकार बताते हैं कि सभी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को सम्मन जारी कर लोक प्राधिकार को उपस्थित कराने की शक्ति मिली हुई है. लेकिन इस शक्ति का पीजीआरओ इस्तेमाल नहीं करते.
कृषि पदाधिकारी सह आत्मा निदेशक भी लेखापाल के मामले में सम्मन जारी नहीं किया गया. जबकि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को लोक प्राधिकार को सम्मन जारी करना चाहिये था. इन्होंने लोक प्राधिकार को उपस्थित कराने के लिए डीएम को सुनवाई के दौरान पत्र लिखा था. जिसके बाद भी लोक प्राधिकार ने सुनवाई में भाग लेने नहीं आये. सुनवाई पदाधिकारी ने अंतिम आदेश में नाराजगी व्यक्त की.
लगातार हो रही आदेश की अनदेखी
लापरवाह लोक प्राधिकार पर कार्रवाई कने को लेकर कई बार राज्य स्तर से आदेश जारी होते रहे हैं. सुनवाई से अनुपस्थित रहने एवं आदेश के अनुपालन में उदासनिता बरतने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव के कई बार दिये हैं.लेकिन स्थानीय स्तर पर लगातार लापरवाही की बातें सामने आने के बावजूद कार्रवाई में कोताही बरती जा रही है. शायद लोक प्राधिकार पूरी तरह आश्वस्त हो चुके हैं कि उन पर कार्रवाई नहीं होने वाली है तभी तो वे सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की अनदेखी करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
कहते हैं अधिकारी
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने कहा कि अनुपस्थित लोक प्राधिकार को सम्मन जारी नहीं किया गया था. इसके लिए जिलाधिकारी को लिखा गया था. जिसके बाद परियोजना निदेशक आत्मा से वरीय पदाधिकारी द्वारा स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. आदेश की प्रति डीएम को भेजी गयी है तथा आत्मा के परियोजना निदेशक को 15 दिसंबर तक इस मामले में कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा गया है.

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