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Thursday, March 28, 2024

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सेंट्रल गवर्नमेंट के ई-गवर्नेंस प्रोग्राम में कैमूर जिले की भी हुई भागीदारी

जिले से ई-पैक्स सिस्टम को विभाग की वेबसाइट पर किया गया अपलोड मनीष पांडेय भभुआ नगर : सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की ओर से ई-गवर्नेंस प्रोग्राम चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोग्राम में अब कैमूर जिले […]

जिले से ई-पैक्स सिस्टम को विभाग की वेबसाइट पर किया गया अपलोड
मनीष पांडेय
भभुआ नगर : सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की ओर से ई-गवर्नेंस प्रोग्राम चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोग्राम में अब कैमूर जिले की भी भागीदारी हो चुकी है. यह जिले के लिए काफी गौरव की बात है.
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार ने ई-गवर्नेंस अवार्ड के लिए जिलास्तर पर जिलाधिकारी को अपने जिले में बेहतर ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट को नामित करने के लिए निर्देश दिया था. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर हुए कार्यक्रम में कैमूर जिले के जिलाधिकारी राजेश्वर प्रसाद सिंह भी शामिल हुए. जिलास्तर पर विभाग के वेबसाइट पर डीएम ने नॉमिनेशन फॉर्म अपलोड कर दिया है. जानकारी के अनुसार, बेहतर ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट के कार्यकलाप को देखते हुए इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत करने की भी योजना है.
अगर, कैमूर जिले से कार्मिक मंत्रालय के वेबसाइट पर अपलोड प्रोजेक्ट का चयन होता है, तो इसके लिए जिलाधिकारी को ई-गवर्नेंस अवार्ड से प्रधानमंत्री द्वारा नई दिल्ली में पुरस्कृत किये जायेंगे.
जिले से ई-पैक्स सिस्टम प्रोजेक्ट का हुआ चयन
कैमूर जिला पूरे राज्य में धान के कटोरे के नाम से मशहूर है. यहां से उपज हुआ चावल देश सहित विदेशों में भी निर्यात होता है. धान की खरीद बिक्री में पारदर्शिता रखने के लिए किसानों की सुविधा के लिए जिले में ई-पैक्स सिस्टम प्रोजेक्ट लागू कर दिया गया है. इस सिस्टम के तहत धान खरीद से लेकर सभी कामकाज ऑनलाईन किया जा रहा है. डीएम ने ई-गवर्नेंस प्रोग्राम के लिए ई-पैक्स सिस्टम प्रोजेक्ट को चयनित करते हुए विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.
क्या है ई-गवर्नेंस
आमलोगों को इंटरनेट के माध्यम से सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराना ई-गवर्नेंस या ई-शासन कहलाता है. इसके अंतर्गत शासकीय सेवाएं और सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं.
भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना 1970 में की और 1977 में नेशनल इंफॉरमेटिक्स सेंटर की स्थापना ई-गवर्नेंस की दिशा में पहला कदम था. आज भारत सरकार और लगभग सभी प्रमुख हिंदी भाषीय की सरकारें आमजनता के लिए अपनी सुविधाएं इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध करा रही हैं. स्कूल में दाखिल हो, बिल भरना हो, या आय, जाति का प्रमाणपत्र बनवाना हो. सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं. आनेवाले समय में सभी मूलभूत सरकारी सुविधाएं कंप्यूटर तथा मोबाइल के माध्यम से मिलने लगेगी, जिससे समय, धन तथा श्रम की बचत होगी. जिलास्तर पर भी ऑनलाइन सुविधा को लेकर कई प्रोजेक्ट‍्स पर काम चल रहे हैं.
बोले डीएम
ई-गवर्नेंस प्रोग्राम के तहत कैमूर जिले की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा चुकी है. जिलास्तर से ई-पैक्स प्रोजेक्ट सिस्टम को विभाग के वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.
राजेश्वर प्रसाद सिंह, डीएम, कैमूर
डोर-टू-डोर कचरा उठाव के लिए नप ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
घर-घर से कूड़ा नहीं मांगे जाने की शिकायतों पर अधिकारियों ने की पहल
भभुआ सदर. शहर में डोर-टू-डोर कचरे का उठाव एजेंसी के तहत शुरू है. लेकिन, शहर के अधिकतर वार्डों में रहनेवाले लोगों की शिकायत है कि उनके यहां से कचरे का उठाव करने सफाईकर्मी नहीं आते.
कर्मी केवल सीटी बजाकर निकल जाते हैं. लेकिन, अब से अगर इस प्रकार की समस्या आ रही हो, या फिर आपके घर से कर्मी कूड़ा मांगने नहीं आता है, तो अब आप नगर पर्षद की ओर से डोर-टू-डोर कचरा उठाव के लिए जारी किये गये हेल्पलाइन नंबरों 7979907488 और 9199311142 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जारी किये गये हेल्पलाइन नंबरों के संबंध में नगर पर्षद अध्यक्ष जैनेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि इधर बीच शहर से डोर-टू-डोर कचरे के उठाव के संबंध में शिकायतें अधिक आ रही थीं.
शहर के लोगों की समस्या थी कि उनके यहां से कूड़ा मांगने के लिए सफाईकर्मी नहीं आते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर पर्षद ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है, जिस पर शहरवासी कार्यअवधि में कभी भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि पहले शहर में डोर-टू-डोर कचरे का उठाव रविवार को बंद रहता था. लेकिन, अब से रविवार की जगह शनिवार को शहर से डोर-टू-डोर कचरे का उठाव बंद रहेगा. उन्होंने शहरवासियों से अपील की कि अपने घरों से निकलने वाले कूड़ों को यत्र-तत्र न फेंकें. बल्कि, उसे घर तक जानेवाले सफाईकर्मियों को सौंप दें, ताकि शहर की स्वच्छता बनी रहे.
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