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कैसा हो घर का मंदिर
किसी भी घर में भगवान के मंदिर की अपनी एक विशेष जगह होती है. वास्तु के अनुसार घर के मंदिर को स्थापित करने व सजाने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वास्तु कहता है कि घर में मंदिर स्थापित करने के लिए सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा होती है. […]
किसी भी घर में भगवान के मंदिर की अपनी एक विशेष जगह होती है. वास्तु के अनुसार घर के मंदिर को स्थापित करने व सजाने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वास्तु कहता है कि घर में मंदिर स्थापित करने के लिए सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा होती है.
यह दिशा भगवान के मंदिर के लिए उत्तम है. साथ ही पूजा करते वक्त हमारा मुंह भी पूर्व की दिशा में होना चाहिए. अगर पूर्व दिशा में मुंह नहीं करसकते, तो पश्चिम दिशा भी शुभ है. इन दोनों दिशा की ओर मुंह करके पूजा-पाठ करना चाहिए.
कई घरों में मंदिर जमीन पर बनाया जाता है, जबकि वास्तु के अनुसार मंदिर की ऊंचाई इतनी हो कि भगवान के पैर और हृदय का स्तर बराबर तक आये. ऐसा इसलिए, क्योंकि ईश्वर सबसे सर्वोच्च हैं और हम उनका मंदिर या स्थान अपने से नीचे नहीं दे सकते. मंदिर लकड़ी या संगमरमर का होना उत्तम माना गया है. इससे घर में सुख-शांति आती है.
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