20.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

सिसई मामला : हिंसा ने परिवार का जीने का सहारा छीना, प्रशासन से अब मदद की दरकार

दुर्जय पासवान, गुमला सिसई प्रखंड में बघनी गांव है. यहां सात दिसंबर को मतदान के दौरान हिंसा हुई थी. हालांकि अब हिंसा खत्म हो गयी है. गांव का माहौल शांत है. मृतक जिलानी अंसारी के शव का दफन क्रिया हो गया. प्रशासन गांव में कैंप कर रही है. शांति व्यवस्था के लिए फ्लैग मार्च भी […]

दुर्जय पासवान, गुमला

सिसई प्रखंड में बघनी गांव है. यहां सात दिसंबर को मतदान के दौरान हिंसा हुई थी. हालांकि अब हिंसा खत्म हो गयी है. गांव का माहौल शांत है. मृतक जिलानी अंसारी के शव का दफन क्रिया हो गया. प्रशासन गांव में कैंप कर रही है. शांति व्यवस्था के लिए फ्लैग मार्च भी निकाला गया. परंतु वोटिंग के दौरान हुई हिंसा में बूढ़ी मां ने बेटा, पत्नी ने पति और तीन बच्चों ने अपने पिता को खो दिया.

हिंसा के बाद जरूर गांव का माहौल शांत है. परंतु एक परिवार ने उस (जिलानी अंसारी) सहारे को खो दिया. जिसके सहारे घर का चूल्हा जलता था. परिवार का पेट पल रहा था. बच्चे जिसकी गोद में खेलते थे. हंसी ठहाके लगाते थे. घर में खुशनुमा माहौल हुआ करता था. आज जिलानी की मौत से पूरा परिवार गम में डूबा हुआ है. जरूरी दफन क्रिया में कौम के लोग जुटे. परंतु रह-रहकर परिवार के लोगों के जेहन में एक बात आ रही है. अब उनका सहारा कौन बनेगा.

तीन दिन पहले सलमा खातून ने अपने पति सखावत अंसारी को खो दिया. सखावत अंसारी की स्वभाविक मौत हुई थी. सलमा अपने पति की मौत के गम से अभी भी नहीं निकली थी कि उसके जिगर के टुकड़े जिलानी अंसारी हिंसा की बलिवेदी पर चढ़ गया.

घटना को लेकर प्रभात खबर ने जिलानी की मां सलमा खातून से बात की. बूढ़ी हो चली सलमा ने कहा. उसका पूरा परिवार टूट चुका है. पति की मौत के बाद बेटा जिलानी ही सहारा था. परंतु हिंसा में मेरा बेटा मारा गया. अब किसके सहारे परिवार चलेगा. यह कहते हुए सलमा रोने लगती है. उसके आंसू यह बयां कर रही थी. हिंसा किसी पर जीतने का माध्यम नहीं है.

सलमा ने कहा कि अब सरकार व प्रशासन मेरे परिवार को पाले. क्योंकि प्रशासन मदद नहीं करेगा तो हम कैसे जीयेंगे. मृतक जिलानी की पत्नी रोशन खातून ने कहा कि उसके तीन बच्चे हैं. अब इन बच्चों की परवरिश कैसे होगी. उसने बताया कि उसका पति लोहरदगा जिले में काम करता था. जो मजदूरी मिलती थी. उसी से घर का चूल्हा जलता था. सात दिसंबर को भी वह लोहरदगा में था.

किसी ने उसे वोटिंग को लेकर गांव बुलाया था. सात दिसंबर की सुबह को वह लोहरदगा से गांव वोट डालने आया था. परंतु क्या पता था कि एक वोट के लिए उसे हिंसा का शिकार होना पड़ेगा.

सिसई के सीओ सुमंत तिर्की ने कहा कि मृतक जिलानी अंसारी के परिवार को 20 हजार रुपये मुआवजा दिया गया है. डीलर से 59 किलो चावल भी दिलवा दिया गया है. कागजी कार्रवाई के बाद मृतक की मां को वृद्धावस्था पेंशन व पत्नी को विधवा पेंशन मिलेगी. साथ ही घर की जो समस्या है. उसे भी दूर करने की पहल की जायेगी.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें