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झारखंड की राजनीति का फ्लैश बैक : निरसा से तीन बार विधायक थे मार्क्सवादी समन्वय समिति के गुरुदास चटर्जी, मार दी गयी थी गोली

क्लर्क की नौकरी की, गये जेल रांची : मासस (मार्क्सवादी समन्वय समित) के दिग्गज नेता रहे गुरुदास दास चटर्जी मूल रूप से प बंगाल के पुरुलिया के निवासी थे. उनके भाई रामदास चटर्जी निरसा, धनबाद में एक कोलियरी में काम करते थे. पुरुलिया में एक विवाद में फंसने के बाद उनके भाई गुरुदास को लेकर […]

क्लर्क की नौकरी की, गये जेल
रांची : मासस (मार्क्सवादी समन्वय समित) के दिग्गज नेता रहे गुरुदास दास चटर्जी मूल रूप से प बंगाल के पुरुलिया के निवासी थे. उनके भाई रामदास चटर्जी निरसा, धनबाद में एक कोलियरी में काम करते थे. पुरुलिया में एक विवाद में फंसने के बाद उनके भाई गुरुदास को लेकर धनबाद आ गये. धनबाद में ही निजी कोयला कंपनी में क्लर्क की नौकरी करने लगे.
1975 में जब निजी कोयला कंपनियों का राष्ट्रीयकरण हुआ, तो वह कोल इंडिया की कंपनी इस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) में क्लर्क हो गये. मुग्मा कोलियरी में पदस्थापन के दौरान नौकरी करते-करते वह पार्ट टाइम राजनीति भी करते थे. मजदूरों की हक की लड़ाई भी लड़ते थे. कोयला माफिया के लिए वह परेशनी का कारण बन गये थे. इसी दौरान एक झूठी हत्या के मामले में उनको फंसा कर जेल भेज दिया. इसको राजनीतिज्ञ साजिश करार दिया गया.
उनके पर लगे अारोप अदालत में सिद्ध नहीं हुए. इसके बाद वह सक्रिय राजनीति करने लगे. नौकरी भी छोड़ दी. चुनावी राजनीति में उतर गये. 1990, 1995 और वर्ष 2000 में वह मासस के टिकट से निरसा के विधायक रहे. 14 अप्रैल 2000 को जीटी रोड में न्यायालय से लौटने के क्रम में गोली मार कर श्री चटर्जी की हत्या कर दी गयी. तीन बार के विधायक रहे श्री चटर्जी अपने एक समर्थक के साथ मोटरसाइकिल से आ रहे थे. इसी दौरान उनको गोली मार दी गयी थी.

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