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2014 के चुनाव परिणाम ने चौंकाया था, नहीं जीत सके थे चार CM और विधानसभा अध्यक्ष, हार गये थे कई मंत्री

सुनील चौधरी रांची : झारखंड के चुनाव में अक्सर चौंकाने वाले परिणाम आते हैं. कई बार जो उम्मीद रहती है ठीक उसके विपरीत परिणाम झारखंड देता है. वर्ष 2014 का चुनाव एक ऐसा चुनाव था, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके चार-चार उम्मीदवार चुनाव हार गये थे. कई मंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा सके […]

सुनील चौधरी
रांची : झारखंड के चुनाव में अक्सर चौंकाने वाले परिणाम आते हैं. कई बार जो उम्मीद रहती है ठीक उसके विपरीत परिणाम झारखंड देता है. वर्ष 2014 का चुनाव एक ऐसा चुनाव था, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके चार-चार उम्मीदवार चुनाव हार गये थे.
कई मंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा सके थे. वर्ष 2014 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, हेमंत सोरेन और मधु कोड़ा भी चुनाव हार गये थे. वहीं मंत्री पद पर रह चुके बंधु तिर्की, मथुरा महतो, हरिनारायण राय, हेमलाल मुर्मू, अन्नपूर्णा देवी, समरेश सिंह जैसे दिग्गज नेता चुनाव हार गये थे. यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष के पद पर रह चुके शशांक शेखर भोक्ता न केवल हारे थे, बल्कि तीसरे स्थान पर चले गये थे.
राजकुमार यादव ने धनवार सीट से बाबूलाल को दी थी शिकस्त
अर्जुन मुंडा
तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. खरसावां उनकी पारंपरिक सीट मानी जाती है. पर 2014 में झामुमो के दशरथ गगराई ने उन्हें 11966 वोटों से हरा दिया था.
बंधु तिर्की
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की मांडर सीट से दो बार लगातार जीत दर्ज की थी. पर वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा की गंगोत्री कुजूर जो पहली बार चुनाव लड़ रही थी, ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बंधु तिर्की को 7605 वोटों से हरा दिया था.
हेमंत सोरेन
2014 में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने दुमका से भी चुनाव लड़ा था. पर भाजपा की लुईस मरांडी से वह 5262 वोटों से हार गये थे. पर दूसरी सीट बरहेट से चुनाव जीते थे.
बाबूलाल मरांडी
झाविमो के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धनवार सीट से चुनाव लड़े थे. पर भाकपा माले के राजकुमार यादव ने उन्हें 10712 वोटों से हरा दिया था.
हेमलाल मुर्मू
हेमलाल मुर्मू झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. पर 2014 के चुनाव में वह बरहेट से भाजपा के टिकट पर लड़े थे उनके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खड़े थे. वह हेमंत सोरेन से 24087 से हार गये थे.
सुदेश महतो
सिल्ली सीट से लगातार तीन चुनाव जीत रहे सुदेश महतो को वर्ष 2014 के चुनाव ने झटका दिया. झामुमो के अमित महतो ने उन्हें 29740 वोटों से हरा दिया था.
मधु कोड़ा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा मंझगांव सीट से जय भारत समानता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. वह झामुमो के नीरल पुर्ति से 11182 वोटों से हार गये थे.
मथुरा महतो
झामुमो के बड़े नेता हैं और पूर्व मंत्री हैं. पर 2014 के चुनाव में टुंडी सीट से आजसू के राजकिशोर महतो ने उन्हें 1126 वोटों से हरा दिया था.
हरिनारायण राय
पूर्व मंत्री हरिनारायण राय जरमुंडी सीट से चुनाव लड़ रहे थे. वह लगातार दो बार से इस सीट से विजयी हो रहे थे.2014 में कांग्रेस के बादल ने उन्हें 2708 वोटों से हरा दिया.
साइमन मरांडी
लिट्टीपाड़ा सीट उनकी पारंपरिक सीट मानी जाती है. चुनाव के ठीक पहले वह भाजपा में चले गये थे. तब झामुमो के डॉ अनिल मुर्मू ने उन्हें 25083 वोटों से हरा दिया था.
हाजी हुसैन अंसारी
मधुपुर से झामुमो के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी भी भाजपा के राज पलिवार से 6884 वोटों से हार गये थे.
अन्नपूर्णा देवी
राजद की कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी तब कोडरमा सीट से भाजपा की डॉ नीरा यादव से हार गयी थी.
विनोद सिंह
महेंद्र सिंह के निधन के बाद से पुत्र विनोद सिंह माले से जीतते रहे. 2014 में भाजपा के नागेंद्र महतो ने उन्हें 4339 वोटों से हरा दिया था.
राजेंद्र सिंह
तत्कालीन सरकार में मंत्री राजेंद्र सिंह को बेरमो सीट से भाजपा के योगेश्वर महतो ने 12613 वोटों से हरा दिया था.
समरेश सिंह
बोकारो से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे और भाजपा से पहली बार चुनाव लड़ रहे विरंची नारायण ने उन्हें 72643 वोटों से हरा दिया था.
शशांक शेखर भोक्ता
शशांक शेखर भोक्ता झामुमो के टिकट पर सारठ से वर्ष 2014 में चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर चले गये.

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