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फ्लैश बैक : 1990 में गुलशन लाल आजमानी ने लहराया था झंडा, तब से अपराजेय है भाजपा, पॉल दयाल बने थे रांची के पहले विधायक

विवेक चंद्र रांची : 1951 में हुए देश के पहले चुनाव के समय रांची से झारखंड पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीते थे. उस समय रांची में दो विधानसभा सीट हुआ करती थी. रांची सदर सामान्य सीट थी, जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए भी रांची से एक सीट आरक्षित हुआ करती थी. झारखंड पार्टी के पॉल […]

विवेक चंद्र

रांची : 1951 में हुए देश के पहले चुनाव के समय रांची से झारखंड पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीते थे. उस समय रांची में दो विधानसभा सीट हुआ करती थी. रांची सदर सामान्य सीट थी, जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए भी रांची से एक सीट आरक्षित हुआ करती थी.

झारखंड पार्टी के पॉल दयाल रांची सामान्य सीट से चुनाव जीते थे. जबकि, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रांची सीट से कांग्रेस के राम रतन राम विधायक बने थे.

1957 में हुए देश के दूसरे चुनाव में भी रांची सामान्य सीट से झारखंड पार्टी जीती थी. झारखंड पार्टी के जगन्नाथ महतो रांची सदर के विधायक बने थे. जबकि, कांग्रेस के रामरतन राम दूसरी बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रांची सीट से विधायक बने थे.

1962 में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड पार्टी रांची से चुनाव हार गयी. इस बार रांची सदर से स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी अंबिका नाथ शाहदेव विधायक चुने गये. झारखंड पार्टी के लाल ब्रजकिशोर नाथ शाहदेव तीसरे स्थान पर रहे. वहीं, रांची आरक्षित सीट से कांग्रेस पार्टी के वीरेंद्र नाथ रे ने चुनाव जीता था. इसके बाद झारखंड पार्टी रांची से कभी चुनाव नहीं जीत सकी.

1967 के चुनाव में रांची की दो सीटों को मिला कर एक अनारक्षित सीट का गठन किया गया. भारतीय जनसंघ के ननी गोपाल मित्रा वर्तमान रांची सीट के पहले विधायक बने. श्री मित्रा 1969 में दोबारा भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीत कर आये. उन्होंने सीपीआइ के मृत्युंजय घटक को हराया था.

ननी गोपाल मित्रा 1972 का चुनाव हार गये. कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी देवदत्त साहू ने उनको लगभग 15 हजार वोटों के अंतर से हराया. 1977 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला. जगन्नाथ प्रसाद चौधरी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े.

अब तक भारतीय जनसंघ जनता पार्टी में बदल चुका था. ननी गोपाल मित्रा ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस विरोधी लहर में बड़े अंतर से जीत गये. 1980 में जनता पार्टी भाजपा बन गयी. नानी गोपाल मित्रा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. कांग्रेस आइ के उम्मीदवार ज्ञानरंजन उनको करीब पांच हजार वोटों से हरा कर विधानसभा पहुंच गये थे.

1985 में भी कांग्रेस से ही रांची का विधायक बना. भाजपा के टिकट पर लड़ रहे ननी गोपाल मित्रा इस बार फिर कांग्रेस के जयप्रकाश गुप्ता से हार गये. लेकिन, 1990 में श्री गुप्ता भाजपा के गुलशन लाल आजमानी से चुनाव हार गये. उसके बाद से अब तक रांची सीट पर भाजपा का ही कब्जा बना हुआ है.

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