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बेखौफ अपराधी, लाचार पुलिस

फायरिंग, हत्या व लूट की घटना को अंजाम देने के बाद आराम से घूम रहे हैं अपराधी श्याम झा, जमशेदपुर : हत्या, फायरिंग, गोलीबारी व लूट जैसे संगीन अपराध शहर में पिछले कुछ दिनों में बढ़ गये हैं. अपराधी बेखौफ होकर घटना को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस लाचार नजर आ रही है. इसी […]

  • फायरिंग, हत्या व लूट की घटना को अंजाम देने के बाद आराम से घूम रहे हैं अपराधी
श्याम झा, जमशेदपुर : हत्या, फायरिंग, गोलीबारी व लूट जैसे संगीन अपराध शहर में पिछले कुछ दिनों में बढ़ गये हैं. अपराधी बेखौफ होकर घटना को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस लाचार नजर आ रही है. इसी का नतीजा है कि अपराधी पिस्तौल व कट्टा लेकर घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस की खुफिया तंत्र के कमजोर होने के कारण उन्हें इसका पता नहीं चल पा रहा है, जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं.
पिछले दिनों रिहाइशी इलाका गोलमुरी बाजार में बदमाशों ने तांडव मचाया और फायरिंग की, लेकिन पुलिस अब तक फायरिंग करने वाले सलमान, सादाब और उसके साथी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है.
डिमना चौक पर भी ताबड़तोड़ फायरिंग कर दुकानदार रोहित कुमार और राहगीर सतनाम सिंह को गोली मार दी , लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर सकी. सीतारामडेरा में थाने से महज कुछ दूरी पर अपराधियों ने गुरुचरण सिंह बिल्ला को खदेड़ कर गोली मार दी, लेकिन शूटर का पुलिस अबतक पता नहीं लगा सकी है. वहीं, बावनगोड़ा के काशी हत्याकांड के पांच माह गुजर जाने के बावजूद पुलिस हत्यारे का पता नहीं लगा पायी है. साकची में अपराधी ने अपने आप को पुलिसकर्मी बता सब्जी विक्रेता से 11 हजार रुपये लूट लिये.
वहीं, शहर का सबसे पॉश इलाका माने जाना वाला सर्किट हाउस पेट्रोल पंप के पास धातकीडीह के इंजीनियरिंग के छात्र मो. अशफाक को गोली मारने के बाद हमलावर फरार हो गये, लेकिन वारदात के डेढ़ माह बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. उलियान फूड प्लाजा स्थित निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर के मजदूरों को नकाबपोश बदमाशों ने पीटा. इस घटना को चार दिन बीत गये हैं, लेकिन किसी हमलावर पता चला है.
एसएसपी से ऊपर इंस्पेक्टर और डीएसपी. जिले के पुलिस पदाधिकारी अपने आप को जिला के कप्तान से भी ऊपर समझते हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसएसपी अनूप बिरथरे को देर रात फोन करने पर भी वे आसानी से जवाब देते हैं, जबकि कई पुलिस पदाधिकारी फोन तक नहीं उठाते.
वहीं, रात 10 बजे के बाद सरकारी नंबर पर फोन करने पर कुछ पदाधिकारी इस कदर बात करते हैं कि मानो फोन कर कोई गुस्ताखी कर दी गयी है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है शहर में एसएसपी से ज्यादा बड़े कनीय पदाधिकारी हो गये हैं. यहां एसएसपी से मिलना आसान है, लेकिन कनीय पदाधिकारी से मिलना और बात करना मुश्किल.

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