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लौहनगरी में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, अस्पतालों में ‘नो बेड’

जमशेदपुर : मौसम बदलने के साथ ही सर्दी-खांसी व बुखार से पीड़ित मरीज बढ़े हैं. लौहनगरी के सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड फुल होने के कारण मरीजों की जान पर बन आयी है. मरीज जहां भी जा रहे, उन्हें बेड फुल होने की बात कह कर लौटाया जा रहा है. अस्पतालों के चक्कर लगाने […]

जमशेदपुर : मौसम बदलने के साथ ही सर्दी-खांसी व बुखार से पीड़ित मरीज बढ़े हैं. लौहनगरी के सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड फुल होने के कारण मरीजों की जान पर बन आयी है. मरीज जहां भी जा रहे, उन्हें बेड फुल होने की बात कह कर लौटाया जा रहा है. अस्पतालों के चक्कर लगाने में कुछ मरीजों की जान भी जा चुकी है. पिछले एक हफ्ते में शहर में करीब 70 डेंगू और 200 से अधिक अन्य बीमारियों के मरीज सामने आये हैं. इनमें से अधिकांश मरीजों को विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

लेकिन सबसे अधिक परेशानी अस्पतालों में बेड को लेकर है. सभी अस्पतालों में बेड फुल हैं. कुछ में घोषित तौर पर, तो कुछ में अघोषित तौर पर. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि मरीज अब इलाज कराने कहां जाये? प्रभात खबर की टीम ने मरीजों की इस परेशानी को लेकर अस्पतालों की पड़ताल की, ताे पता चला कि छोटे से लेकर बड़े अस्पताल तक में नो बेड की स्थिति है.
एमजीएम
रोजाना आ रहे 250-300 मरीज
एमजीएम के ओपीडी में 250 से 300 से अधिक मरीज हर दिन इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इसमें से 10-15 को भर्ती करना पड़ रहा. डॉ बलराम झा बताते हैं-अधिकांश मरीज बुखार से पीड़ित हैं. गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है, अन्य को ओपीडी से ही दवा दे भेज दिया जा रहा है.
दर्द से तड़प रहे मरीज, अस्पतालों में बेड फुल, इसे तीन केसों से समझें
हाता के रामेश्वर सरदार बताते हैं- मेरे भाई संजय सरदार को सीने में दर्द है. उसके इलाज के लिए शहर के कई अस्पतालों में गये, लेकिन बेड नहीं होने की बात कहकर दूसरे अस्पताल जाने को कहा गया. अंत में गुरुवार को एमजीएम पहुंचे. यहां उनका स्ट्रेचर पर इलाज चल रहा है. शुक्रवार को भी बेड नहीं मिला. अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
जालान बोले-भूमि मिली तो अस्पताल खोलूंगा
रामाकृष्णा फोर्जिंग के एमपी जालान ने बताया, मेरी इच्छा है कि जमशेदपुर में एक सुपरस्पेशलिटी अस्पताल खाेलूं. मैंने सीएम रघुवर दास से भी बात की है. सरकार जमीन उपलब्ध कराती है, तो यहां के लोगों को कम खर्च में बेहतर इलाज की गारंटी दे सकता हूं.
वायरल फीवर व डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से शहर के अस्पतालों का बेड फुल
जमशेदपुर के बड़े अस्पतालों में करीब 3000 बेड हैं, लेकिन अभी सभी फुल हैं. संक्रामक बीमारियों के कारण सबसे खराब स्थिति सरकारी अस्पतालों की है. यहां बेड से अधिक मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है और उसका नतीजा यह होता है कि फर्श, स्ट्रेचर व कुर्सी पर बैठाकर मरीजों का इलाज किया जाता है. कई मरीज बेड खाली होने की आस लगाये कुर्सी व स्ट्रेचर पर ही रात काट रहे हैं.
सबसे बड़ा सवाल
अगर सभी अस्पतालों में बेड फुल हो गये हैं, तो मरीज का इलाज कैसे होगा और वह कहां जायें ?
कहां कितने बेड
एमजीएम अस्पताल
540
सदर अस्पताल
100
टीएमएच
982
टेल्को
404
ब्रह्मानंद
अस्पताल
200
मर्सी
250
टिनप्लेट
175
मेडिका
100
बुखार आने पर क्या करें
खांसते और छींकते समय नाक और मुंह पर रूमाल या कपड़ा रख लें.
मरीज के आसपास सफाई रखें. कहीं भी पानी न जमा होने दें.
कूलर का पानी नियमित रूप से बदलते रहे.
मरीज के साथ तौलिया शेयर न करें.
साबुन से हाथ धोकर ही कुछ भी खायें-पीयें.

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