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मधुमेह के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं हो जाती हैं क्षतिग्रस्त

जमशेदपुर : राजस्थान भवन बिष्टुपुर में रविवार को डायबिटीज से आंखों में होने वाली बीमारी पर एक सेमिनार हुआ. सेमिनार डॉ एसपी फाउंडेशन द्वारा आयोजित था. इसमें डॉ अग्रवाल आई हॉस्पिटल (कटक ) की नेत्र विशेषज्ञ डॉ तनुश्री दत्ता ने विशेष जानकारी दी. बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी एवं डायबिटीज के कारण आंखों में विभिन्न प्रकार […]

जमशेदपुर : राजस्थान भवन बिष्टुपुर में रविवार को डायबिटीज से आंखों में होने वाली बीमारी पर एक सेमिनार हुआ. सेमिनार डॉ एसपी फाउंडेशन द्वारा आयोजित था. इसमें डॉ अग्रवाल आई हॉस्पिटल (कटक ) की नेत्र विशेषज्ञ डॉ तनुश्री दत्ता ने विशेष जानकारी दी.

बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी एवं डायबिटीज के कारण आंखों में विभिन्न प्रकार की बीमारी होती है. डायबिटीज के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही ढंग से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है. अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाये, तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है. इसका खतरा 20 से 70 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है. जब आंखें 40 प्रतिशत इस बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं तब इसका प्रभाव दिखने लगता है.
लेजर तकनीक से इलाज के बाद अंधेपन को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. डॉ टीके चटर्जी ने डायबिटीज के बारे बताया. कहा कि डायबिटीज दो प्रकार का होता है. अधिकतर लोगों में टाइप टू डायबिटीज पाया जाता है. उन्होंने कहा कि शारीरिक श्रम कम एवं मानसिक श्रम ज्यादा करने पर, दवा के कारण, मोटापा एवं बेवजह खाना खाने के कारण भी डायबिटीज होता है.
डायबिटीज के मरीजों को पेशाब होना, कमजोरी, वजन घटना, शरीर में दर्द, आंखों में दिक्कत, शरीर के अन्य अंगों में भी इसका असर होता है. होमियोपैथिक दवा सेवन से इस बीमारी को रोका जा सकता है. सेमिनार में डॉ पीपी बनर्जी, डॉ एसआर महतो, डॉ एसके बनर्जी, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ पीपी बनर्जी, डॉ अनिंदिता राज, डॉ प्रतिभा भट्टाचार्य, डॉ डी पाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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