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देशी भाषाओं में रामकथा का संपादन कर चर्चा में आये थे बीएचयू के प्रोफेसर

कोल्हान विवि में आज होने वाले हिन्दी विभाग की शोध बैठक में करेंगे शिरकत कुलपति व प्रतिकुलपति के साथ वार्ता, वीमेंस यूनिवर्सिटी का भी करेंगे दौरा जमशेदपुर : भारतीय भाषाओं में रामकथा का संपादन कर हाल ही में देश भर में चर्चा के केंद्र में आये काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रभाकर सिंह […]

कोल्हान विवि में आज होने वाले हिन्दी विभाग की शोध बैठक में करेंगे शिरकत

कुलपति व प्रतिकुलपति के साथ वार्ता, वीमेंस यूनिवर्सिटी का भी करेंगे दौरा
जमशेदपुर : भारतीय भाषाओं में रामकथा का संपादन कर हाल ही में देश भर में चर्चा के केंद्र में आये काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रभाकर सिंह मंगलवार को जमशेदपुर पहुंचे. डॉ. प्रभाकर की संपादित पुस्तक उपन्यास : मूल्यांकन के नये आयाम और रीतिकाव्य : मूल्यांकन के नये आयाम हिन्दी साहित्य के इतिहास और विधा को नये सिरे से परिभाषित करती है.
डॉ. प्रभाकर चाईबासा स्थित कोल्हान विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित होने वाले हिन्दी विभाग के शोध बैठक में शिरकत करने वाले हैं. डॉ. प्रभाकर का विवि के कुलपति प्रो. डॉ. शुक्ला माहांती व प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. रणजीत कुमार सिंह से मिलने का कार्यक्रम है. इसके अलावा वह जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी का भी दौरा करने वाले हैं.
डॉ. प्रभाकर की ओर से तैयार की गयी अध्ययन सामग्री ई-पाठशाला, हिन्दी साहित्य कोष और उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के विभिन्न पाठ्य सामग्रियों में चयन की गयी हैं.इसके अलावा आधुनिक साहित्य : विकास और विमर्श नाम की पुस्तक भी काफी चर्चा में रही है.
साहित्य का इतिहास लेखन : परंपरा और इतिहास दृष्टि नाम की उनकी नयी पुस्तक जल्द प्रकाशित होने वाली है. जमशेदपुर आगमन पर बातचीत में डॉ. प्रभाकर ने बताया कि वह वर्तमान में भाषा-विमर्श और रीतिकाव्य पर काम कर रहे हैं. डॉ. प्रभाकर मूलरूप से इलाहाबाद जिले के मानपुर गांव के रहने वाले हैं. वर्ष 2005 से बीएचयू में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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