प्राइवेट स्कूल दो साल में 10 फीसदी से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकते, लेकिन सालाना 39 फीसदी तक फीस वृद्धि कर दी
जमशेदपुर : झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल (जेट) संशोधन अधिनियम राज्य में लागू है. इसके तहत प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकते. लेकिन इस आदेश के खिलाफ राज्य के प्राइवेट स्कूल प्रबंधक हाइकोर्ट चले गये हैं.
जमशेदपुर के अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल के संशोधित अधिनियम को चुनौती दी गयी है. जमशेदपुर से डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल के ज्वाइंट चेयरपर्सन बी चंद्रशेखर ने ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी है. उन्होंने 27 अप्रैल को हाइकोर्ट में उक्त याचिका दायर की है. याचिका को 2 मई को लिस्ट किया गया, जबकि 8 मई को इस मामले में एक बहस भी हो चुकी है. प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों ने 250 पेज में याचिका दायर करते हुए अपना पक्ष रखा है.
इसमें लिखा है कि जेट की ओर से जो संशोधित अधिनियम बनाया गया है, उसमें प्राइवेट स्कूलों का पक्ष नहीं सुना गया है. साथ ही उक्त आदेश को अव्यावहारिक (इंप्रैक्टिकल) बताया गया है.
स्कूल संचालकों का तर्क-गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए फीस बढ़ाना जरूरी
प्राइवेट स्कूल संचालकों का मानना है कि निजी स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में कटौती नहीं करते. ऐसे में सही फीस लिये बिना शिक्षा नहीं दी जा सकती. सरकार कहती है कि शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया जाये और दूसरी तरफ कहती है कि फीस नहीं बढ़ायें. साथ ही सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ानेवाले शिक्षकों को दिये जाने वाले वेतन व प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों को दिये जाने वाले वेतन में भी भारी असमानता की बात बतायी गयी है.
सरकार ने 98 पेज में तैयार किया जवाब
जमशेदपुर प्राइवेट स्कूल प्रबंधक द्वारा हाइकोर्ट में याचिका दायर किये जाने के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव एपी सिंह ने इस मामले में सरकार का पक्ष तैयार करने का जिम्मा जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवेंद्र कुमार को दिया था. उन्होंने 98 पेज का जवाब तैयार किया है. साथ ही देश में प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाने से संबंधित जो भी फैसले सुनाये गये हैं, उससे संबंधित जजमेंट की करीब 700 पन्ने की कॉपी भी तैयार की है.
क्या कहता है अधिनियम
जेट अधिनियम के तहत निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकते. अधिनियम प्रभावी होने के बाद अगर स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ाते हैं, तो 50,000 रुपये से लेकर 2.5 लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा. साथ ही, स्कूल की मान्यता भी रद्द कर दी जायेगी.