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आइओ पर कार्रवाई नहीं हुई तो कानूनी प्रक्रिया अपनायेंगे – सरयू

जमशेदपुर : मानगाे गांधी मैदान में ढाई साल पहले बस जलाने के मामले को लेकर मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास काे पत्र लिखा है. उन्होंने इस मामले में लापरवाही बरतनेवाले दाेषी पदाधिकारियाें के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी मांगी है. सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि जब उनके सदृश व्यक्ति […]

जमशेदपुर : मानगाे गांधी मैदान में ढाई साल पहले बस जलाने के मामले को लेकर मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास काे पत्र लिखा है. उन्होंने इस मामले में लापरवाही बरतनेवाले दाेषी पदाधिकारियाें के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी मांगी है.
सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि जब उनके सदृश व्यक्ति को अपने विधानसभा क्षेत्र में हुए एक कांड का पुलिस अनुसंधान कराने में इतनी परेशानी हाे रही है, ताे पार्टी के कार्यकर्ताअाें एवं सामान्य जन की क्या स्थिति हाेती हाेगी.
पत्र में कहा है कि अंतिम प्रयत्न के रूप में वह इसकी सूचना मुख्यमंत्री काे दे रहे हैं. पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अंदर यदि ठाेस कार्रवाई नहीं हुई, ताे वह अपने स्तर से स्वयं इस बारे में विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए उपलब्ध अन्य संवैधानिक एवं वैधानिक विकल्पाें काे अपनाने की दिशा में अग्रसर हाेंगे.
मंत्री ने लिखा है कि इस विषय के लंबा खिंचने या अनसुलझा रहने से राज्य में शासन की विश्वसनीयता आैर पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा हाे रहा है. श्री राय ने कहा कि सवाल यह है कि राज्य में कानून के शासन के प्रति जिम्मेदार अधिकारियाें का यह रवैया किस कारण से है?
क्या इस कांड का अनुसंधान नहीं करने के लिए उन पर काेई दवाब है, या वे अपने कर्तव्य के प्रति सजग नहीं हैं, या फिर कानून व्यवस्था के प्रति अपने माैलिक दायित्व से मुंह माेड़ रहे हैं आैर उच्चाधिकारियाें का निर्देश नहीं मानते हैं. पुलिस आपराधिक कांड काे अंजाम देनेवालाें के प्रभाव में है, जिसके कारण दाेषियाें काे बचाने के क्रम में निर्दाेषाें पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
वह इस मामले में ढाई साल से लगातार पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन पुलिस अधिकारियाें द्वारा उनके निर्देशाें की अवहेलना किया जाना चिंता का विषय है. राज्य का मंत्री हाेने के नाते उनके द्वारा लिखित रूप से दी गयी प्रामाणिक सूचना पर विधिसम्मत कार्रवाई करना जिला प्रशासन की बाध्यता है.
राज्य के मुख्य सचिव, गृहमंत्री काे भी उनके पत्र पर यथाशीघ्र संज्ञान लेना चाहिए था आैर कार्रवाई के संबंध में उन्हें अवगत भी कराना चाहिए था. उन्हें इतना अवश्य पता है कि उनके पत्र काे गंभीरता से नहीं लिया गया या इस संबंध में उनके निर्देशाें का अनुपालन पुलिस अधिकारियाें ने आवश्यक नहीं समझा.

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