सड़क दुर्घटना में घायल आठ वर्षीया दुर्गे की स्थिति गंभीर, आंख खोलते ही बोलती है- पापा को बुलाओ
जमशेदपुर : स्टेशन रोड चाईबासा बस स्टैंड में ट्रेलर के डिवाइडर पर चढ़ने से घायल आठ वर्षीय बच्ची दुर्गे कुमारी की स्थिति गंभीर है. दुर्गे जब आखें खोलती है, तो एक ही बात कहती है, पापा को बुलाओ. बच्ची का एमजीएम के ऑर्थो वार्ड के बेड नंबर 37 पर इलाज चल रहा है. वहीं दुर्गे […]
जमशेदपुर : स्टेशन रोड चाईबासा बस स्टैंड में ट्रेलर के डिवाइडर पर चढ़ने से घायल आठ वर्षीय बच्ची दुर्गे कुमारी की स्थिति गंभीर है. दुर्गे जब आखें खोलती है, तो एक ही बात कहती है, पापा को बुलाओ. बच्ची का एमजीएम के ऑर्थो वार्ड के बेड नंबर 37 पर इलाज चल रहा है. वहीं दुर्गे की मां सानू देवी के टूटे पैर का डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया.
अस्पताल में सानू, उनकी बेटी के अलावा मां, भाई और बहन रह रही है. वहीं दूसरी तरफ दुर्घटना के बाद बागबेड़ा थाना में घायल सानू देवी के पिता भागीरथ पासी के बयान पर ट्रेलर नंबर (एनएल01एबी05477) के चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने गिरफ्तार चालक आजमगढ़ निवासी राहुल विश्वकर्मा को जेल भेज दिया है. पुलिस ने घटना में मृतक नारायण और उसके दस वर्षीय बेटे राजू का दिन में पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया. परिजनों ने शव का सुवर्णरेखा घाट पर अंतिम संस्कार किया.
मालूम हो कि तीन जनवरी को तड़के साढ़े चार बजे चालक को झपकी आने के कारण ट्रेलर डिवाइडर पर चढ़ गया था, जिसके कारण डिवाइडर पर सो रहे एक ही परिवार के छह लोगों को रौंद दिया था. दुर्घटना में घायल बाप-बेटे की मौत घटना स्थल पर हो गयी थी, जबकि अन्य घायलों को पुलिस ने इलाज के लिए एमजीएम में भर्ती कराया था.
अखबार पढ़कर बागबेड़ा गांधी नगर से पहुंचे मामा
दुर्घटना की खबर अखबार में पढ़ने के बाद बागबेड़ा में रहने वाले सेवा लालकी को पता चला की उनकी भांजी के परिवार के साथ दुर्घटना हुआ है. इसके बाद सेवा लालकी एमजीएम पहुंचे.
उन्हें वहां जानकारी हुई कि उनकी भांजी के पति की मौत हो चुकी है. साथ ही साथ भांजी के बेटे राजू की भी मौत हो चुकी है. बेड पर बड़ी भांजी व अन्य को देख उनके होश उड़ गये.
नहीं है कोई मदद करने वाला
दुर्घटना से प्रभावित धनबाद के पाथरडीह के सुदामडीह थाना क्षेत्र के पांडेय बस्ती का परिवार बेबस है. घर के मुखिया व बेटे मौत हो चुकी है. वहीं और लोगों का इलाज चल रहा है. परिवार के पास जितने पैसे थे उससे ही इलाज हो रहा है. परिवार के लोगों को कभी दवा लानी पड़ती है, तो कभी कुछ और सामान. उसके बाद जो रुपये बचे थे वह भी अंतिम संस्कार में खर्च करने पड़े.
अब न्याय की आस में अस्पताल में भटक रहा है परिवार. दुर्घटना के बाद मुआवजा के बिंदु पर बातचीत करने कोई आगे नहीं आया. परिवार के लाल्टू पासी के अनुसार गरीब के मौत हुई है, इस वजह से कोई मदद करने नहीं आया. अमीर की मौत होती, तो लोग एकजुट होकर गाड़ी मालिक को बुला उन्हें मुअावजा दिलाते.