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कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज कर जांच कर रही पुलिस. 70 लाख में से 25 कर चुके हैं वापस

जमशेदपुर : बिरसानगर थाना अंतर्गत विजया गार्डेन ट्वीलिप अपार्टमेंट निवासी विशाल प्रसाद से 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी उसके ही रिश्तेदारों ने मोबाइल कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलाने के नाम पर कर ली है. विशाल ने बिरसानगर थाना में मुंबई के लोकमान्य तिलक मार्ग स्थित एक मोबाइल कंपनी और रांची लालपुर गोपीनाथ गली निवासी मोबाइल कंपनी […]

जमशेदपुर : बिरसानगर थाना अंतर्गत विजया गार्डेन ट्वीलिप अपार्टमेंट निवासी विशाल प्रसाद से 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी उसके ही रिश्तेदारों ने मोबाइल कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलाने के नाम पर कर ली है.
विशाल ने बिरसानगर थाना में मुंबई के लोकमान्य तिलक मार्ग स्थित एक मोबाइल कंपनी और रांची लालपुर गोपीनाथ गली निवासी मोबाइल कंपनी के पदाधिकारी (एबीपी-एसआइटी) विकास रंजन वर्मा और जवाहरलाल वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.
दोनों आरोपी विशाल के मौसा व मौसेरे भाई है. दर्ज शिकायत में बताया गया है कि 19 नवंबर 2016 को दोनों आरोपियों ने विशाल को एक मोबाइल कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटरशिप देने के नाम पर 70 लाख रुपये लिया था.
कुछ दिनों तक डिस्ट्रीब्यूटरशिप नहीं देने पर रुपये वापस मांगे तो आरोपियों ने 25 लाख रुपये वापस कर दिये. दो अक्तूबर 2018 को बकाया 45 लाख मांगने पर आरोपियों ने मारपीट कर धमकी दी. इसके बाद विशाल ने कोर्ट में शिकायतवाद दर्ज कराया. जिसके बाद पुलिस मामले की जांच कर रही है.
नरभेराम मोटर्स के सीइओ और इंजार्ज ने 6.20 लाख की जालसाजी की, केस
जमशेदपुर. बिष्टुपुर स्थित नरभेराम मोटर्स कंपनी में काम करने वाले सीइओ श्रीरूप बनर्जी (कोलकाता) और स्टोर इंचार्ज चिरंजीवी घोष (दुमका, कुम्हारपाड़ा वार्ड नंबर 3) ने 6.20 लाख की धोखाधड़ी कर ली.
इस संबंध में कंपनी के सहायक मैनेजर साधन कुमार चटर्जी ने बिष्टुपुर थाना में दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है. घटना 20 नवंबर 18 को दुमका कार्यालय की है. दर्ज मामले के अनुसार नरभेराम मोटर्स कंपनी बिहार व झारखंड के अधिकृत विक्रेता है.
उनकी कंपनी में स्टोर इंचार्ज चिरंजीवी घोष और सीइओ श्रीरूप बनर्जी द्वारा कंपनी का 6.52 लाख रुपये का पार्ट्स अवैध तरीके से बेच दिया गया और राशि को दोनों ने अपने निजी कार्य में खर्च किया. इसकी जानकारी कंपनी के पदाधिकारी राजीव अग्रवाल और संजीव तिवारी को तो उन्होंने दुमका कार्यालय में जाकर पार्ट्स की जांच करने लगे. जांच में पाया कि श्रीरूप बनर्जी ने 5.72 लाख रुपये और चिरंजीवी घोष ने 80 हजार रुपये अपने निजी कार्य में खर्च किये.
दोनों ने कंपनी के अधिकारियों को 22 नवंबर को लिखित दिया कि 15 दिनों के अंदर वह कंपनी का पैसा लौटा देंगे, लेकिन अभी तक श्रीरूप बनर्जी ने किसी तरह की राशि नहीं लौटायी है, जबकि चिरंजीवी घोष ने दुमका खाता में 14 दिसंबर को 35 हजार रुपये लौटाये हैं. इसके बाद कोई राशि नहीं मिलने पर जानकारी पुलिस को दी.

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