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अतिक्रमण के नाम पर बेच दी करोड़ों की वनभूमि, जानें क्या है रिपोर्ट में

कार्य नियोजना अंचल चाईबासा के वन क्षेत्र पदाधिकारी की रिपोर्ट में सामने आया मामला सरकार के उप सचिव ने पीसीसीएफ से मांगी रिपोर्ट जमशेदपुर : कोल्हान के अलग-अलग वन प्रमंडलों में हजारों करोड़ रुपयों की वनभूमि को अतिक्रमण के नाम पर बेचने, कागजी वनरोपण करने तथा घोटालों को दबाने के उद्देश्य से कार्य नियोजना प्रक्षेत्र […]

कार्य नियोजना अंचल चाईबासा के वन क्षेत्र पदाधिकारी की रिपोर्ट में सामने आया मामला

सरकार के उप सचिव ने पीसीसीएफ से मांगी रिपोर्ट
जमशेदपुर : कोल्हान के अलग-अलग वन प्रमंडलों में हजारों करोड़ रुपयों की वनभूमि को अतिक्रमण के नाम पर बेचने, कागजी वनरोपण करने तथा घोटालों को दबाने के उद्देश्य से कार्य नियोजना प्रक्षेत्र को ही डिफंग (शक्तिहीन) बनाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में राज्य सरकार के उप सचिव सुनील कुमार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को पत्र लिखकर इस पर विस्तृत प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. उप सचिव ने यह निर्देश कार्य नियोजना अंचल चाईबासा के वन क्षेत्र पदाधिकारी अानंद कुमार से प्राप्त उन दो पत्रों के आलोक में दिया है जिनमें उन्होंने गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख करते हुए निष्पक्ष केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाने की मांग की है.
आनंद कुमार ने 19 जनवरी 2018 और 28 फरवरी 2018 को भेजे गये अपने पत्र के माध्यम से बताया है कि 22 नवंबर 2017 को पदभार करने के बाद उन्होंने नियोजना अंचल के अंतर्गत आने वाले सभी वन प्रमंडलों में वन भूमि के अतिक्रमण, वनरोपण तथा अपयोजित वन भूमि के रकबे से संबंधित स्थलों की सघन जांच की जिसमें उन्होंने गंभीर अनियमिततायें पायीं. वनभूमि के अतिक्रमण के नाम पर लकड़ी माफियाओं व भू माफियाओं को वन भूमि की बिक्री कर दी गयी है.
इसके अलावा, अधिकारियों से मिलीभगत कर एक ही वन भूमि पर कई योजनाओं के मद से कागज पर वनरोपण दिखाकर प्रायोजित राशि के गबन का भी पता चला क्योंकि एफडीए, मनरेगा तथा अन्य मदों से कराये गये वनरोपण कार्यों का वनरोपण स्थल या पथतट वनरोपण का कोई अस्तित्व जांच में पाया ही नहीं गया. इसी तरह कई सरकारी व गैरसरकारी खनन संस्थानों को अपयोजित भूमि की लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी मेजर और माइनर खनिजों का जान-बूझकर अवैध दोहन करने की छूट देने जैसे संगीन अपराध भी प्रकाश में आये.
जांच में पायी गयी अनियमितताओं के आधार पर श्री कुमार ने क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ), जमशेदपुर के क्षेत्राधिकार वाले वन प्रमंडलों की अतिक्रमित वनभूमि के आंकड़ों के साथ प्रतिवेदित किया कि वन भूमि के अतिक्रमण के नाम पर वन अधिकारियों ने वन भूमि को बिल्डरों, भू-माफियाओं को खुलेआम बेच दिया तथा अपराध को छुपाने की नीयत से कार्य नियोजना अंचल में पदस्थापित वन प्रक्षेत्र पदाधिकारियों को पूरी तरह डिफंग (शक्तिहीन) बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2014 से ही कार्य नियोजना मद में आवंटन शून्य कर दिया. और तो और, प्रक्षेत्र कार्यालय में एक भी वनकर्मी का पदस्थापन नहीं किया गया न ही कार्यालय में बैठने के लिए कुर्सी-टेबल की व्यवस्था की गयी.
इस संबंध में श्री कुमार ने सभी संबंधित पदाधिकारियों व उच्चाधिकारियों से आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला. श्री कुमार के पत्र के मुताबिक अधिकारियों की संलिप्तता से वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत दंडनीय अपराध किये गये और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवज्ञा कर वन भूमि के प्रति हेक्टेयर अतिक्रमण पर प्रतिमाह पांच लाख जुर्माना न वसूल कर झारखंड सरकार को अरबों रुपयों की राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी. पत्र के माध्यम से आनंद कुमार ने राज्य सरकार के सचिवालय में पदस्थ उच्चाधिकारियों, भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से मिलीभगत कर लोक-संपदा व पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचाने का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की जांच सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमिटी से करने तथा राज्य सरकार के स्तर से इंटरवेन एप्लिकेशन दायर करने अथव दायर करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है.
बिना कार्य के वेतन भुगतान : उप सचिव द्वारा पीसीसीएफ को भेजे गये पत्र के मुताबिक, आनंद कुमार ने 19 जनवरी 2018 और 28 फरवरी 2018 को अपने पत्र के माध्यम से बताया है कि कार्य नियोजना अंचल, चाईबासा, जमशेदपुर में पदस्थापित किसी भी वन क्षेत्र पदाधिकारी कार्य नियोजना के स्टॉक मैपिंग कार्य मद में विगत वर्षों से शून्य सरकारी राशि आवंटित की गयी है और सभी वन क्षेत्र पदाधिकारियों को मुख्यालय में बैठाकर बगैर सरकारी कार्य करवाये वेतन का भुगतान किया जा रहा है.
क्या है रिपोर्ट में
एक ही भूमि पर विभिन्न मदों से वनरोपण दिखाकर राशि का गबन किया गया
खनन संस्थानों को लीज खत्म होने पर भी दोहन की छूट दी
अतिक्रमण पर प्रति हेक्टेयर प्रतिमाह पांच लाख जुर्माना न वसूल कर सरकार को अरबों की राजस्व क्षति पहुंचायी गयी
अतिक्रमित वनभूमि की स्थिति एक नजर में
सारंडा वन प्रमंडल :
5827 हेक्टेयर
कोल्हान वन प्रमंडल : 5542.48 हेक्टेयर
पोड़ाहाट वन प्रमंडल : 25206.4 हेक्टेयर
चाईबासा दक्षिणी वन प्रमंडल: 588.72 हेक्टेयर
सरायकेला वन प्रमंडल : 512.42 हेक्टेयर
धालभूम वन प्रमंडल : 75.59992 हेक्टेयर
जारी हो चुका है अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश : आनंद कुमार का आरोप है कि 2007 में उन्होंने पहली बार वन अधिकारियों की मिलीभगत से वनभूमि बेचने का मामला सरकार के संज्ञान में लाया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी और सरकारी संरक्षण में सुनियोजित लूट चलती रही. सूचना देने पर उनके ही विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश जारी हो गया.

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