जमशेदपुर : साकची सुवर्णरेखा बर्निंग घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाये गये महिला के शव में गुरुवार शाम लोगों ने हलचल महसूस की. इसके बाद आनन-फानन में परिजन चिता से शव उठाकर महिला को अस्पताल ले गये, यहां डॉक्टरों ने परीक्षण के बाद महिला को मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों ने जीवन होने की किसी संभावना से साफ इन्कार किया.
इसके बाद देर रात महिला का अंतिम संस्कार सुवर्णरेखा घाट पर किया गया. दरअसल, बारीडीह विजया गार्डेन निवासी लक्ष्मी सिन्हा (69) का शनिवार से अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्हें आइसीयू में रखा गया था. इलाज के क्रम में गुरुवार की सुबह 10:30 बजे उनका निधन हो गया. परिजन शव घर ले गये. घर में अंतिम संस्कार की धार्मिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए शाम साढ़े चार बजे साकची सुवर्णरेखा बर्निंग घाट लाया गया.
संस्कार के लिए शव को चिता पर लिटाया गया, तभी मौजूद एक व्यक्ति ने मृत लक्ष्मी सिन्हा के शरीर में हलचल महसूस की. लक्ष्मी सिंहा के जिंदा होने की आस में आनन-फानन में बिष्टुपुर के एक अस्पताल ले जाया गया.
यहां डॉक्टर ने लक्ष्मी सिन्हा को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजन शाम सात बजे शव लेकर श्मशान घाट पहुंचे और दाह संस्कार किया. लक्ष्मी सिन्हा लक्ष्मीनगर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय से साल 2006 में प्राचार्या के पद से सेवानिवृत्त हुई थी. उनके पति सचिदानंद सिन्हा रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारी है. रिटायर होने के बाद सचिदानंद का परिवार बारीडीह के विजया गार्डेन में रहता है. डॉक्टरों का भी कहना है कि कई बार मृत शरीर में हरकत होने लगती है. गैस की वजह से हिचकियां आती हैं और परिजन उसे जीवित मान लेते हैं.
जाम में फंसी एंबुलेंस.
महिला के शरीर में हलचल होने पर आनन-फानन में परिजनों ने शहर के एक अस्पताल में फोन कर एंबुलेंस बुलाया, लेकिन जाम में एंबुलेंस के फंस जाने पर पति सचिदानंद सिन्हा, पुत्र तरुण, वरुण, भतीजा रंजन सिन्हा सहित अन्य लाेग उसे बिष्टुपुर के एक अन्य अस्पताल में ले गये.
