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बिहार का लाल कश्मीर में हुआ शहीद आज जमुई पहुंचेगा पार्थिव शरीर

खैरा (जमुई) : खैरा प्रखंड की हरणी पंचायत के लेंगड़ीटांड़ निवासी सुनील कुमार मुर्मू जम्मू-कश्मीर के तंगधार में एलओसी पर मंगलवार को पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गये. शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह तक उनके गांव लाये जाने की संभावना है. उनकी शहादत की खबर सुनकर पूरे गांव के लोग स्तब्ध रह गये. लोगों […]

खैरा (जमुई) : खैरा प्रखंड की हरणी पंचायत के लेंगड़ीटांड़ निवासी सुनील कुमार मुर्मू जम्मू-कश्मीर के तंगधार में एलओसी पर मंगलवार को पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गये. शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह तक उनके गांव लाये जाने की संभावना है.
उनकी शहादत की खबर सुनकर पूरे गांव के लोग स्तब्ध रह गये. लोगों को इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि अब उनके गांव का लाल उनके बीच नहीं रहा. लोगों के चेहरे पर गर्व और दुख के मिश्रित भाव उनकी स्थिति को बयां कर रहे थे. शहीद के परिजनों ने बताया कि बीते मंगलवार रात लगभग साढ़े आठ बजे के आसपास जानकारी मिली कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया है. लेकिन रात में ही सूचना दी गयी कि सुनील शहीद हो गया.
2013 में फौज में हुआ था भर्ती
परिजनों ने बताया कि सुनील वर्ष 2013 में फौज में भर्ती हुआ था तथा वर्तमान में एलओसी पर तंगधार सेक्टर के कुपवाड़ा में तैनात था. मंगलवार को वह अपनी ड्यूटी के दौरान फाॅरवर्ड डिफेंडेंट लोकेशन (एफएलडी) पर अपनी कमान संभाले हुए थे कि उसी दौरान उन्हें निशाना बनाकर गोली मारी गयी. इधर गांव के लाल के सीमा पार से हुए आक्रमण में शहीद हो जाने के बाद परिजनों का तो रो-रोकर बुरा हाल है ही साथ ही पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया है.
परिजनों का रो-रोकर था बुरा हाल
थाना क्षेत्र के हरणी पंचायत अंतर्गत लंगड़ीटांग निवासी सीमा सुरक्षा बल के जवान सुनील मुर्मू के शहादत के बाद उनके परिजनों का रो-रोकर हाल बुरा हो गया था. बीते मंगलवार देर रात उनके मौत की खबर सुनने के बाद से ही सुनील की मां रानी हांसदा रो-रो कर बेजार हुए जा रही थी. छाती पीट-पीटकर दहाड़ मारकर रो रही शहीद की मां बेसुध होकर गिर जा रही थी तथा होश में आने के बाद पुनः वह दहाड़ मारकर रो रही थी.
परिजनों के इस करुण क्रंदन से आसपास के लोगों की भी आंखें नम हो जा रही थी. शहीद जवान एसके मुर्मू के पिता कैलाश मुर्मू अपने परिजनों को ढांढ़स बंधा रहे थे. परंतु अपनी पत्नी के करुण विलाप से उनकी आंखें भी नम हो रही थी. शहीद के परिवार का हालचाल जानने पहुंचे लोग भी उनके परिजनों की हालत देखकर खुद की पीड़ा को नहीं रोक पा रहे थे.
तथा उन्हें सांत्वना देने की भी हिम्मत किसी में नहीं हो रही थी. शहीद की पत्नी दुलिया हेंब्रम की तो मानो तो दुनिया ही उजड़ गयी. उसकी आंखों में यह साफ देखा जा सकता था कि अपने पति की मौत का गम उसे खाये जा रहा है, परंतु वह पत्थर की बुत की तरह बस चुपचाप एकटक अपने बच्चों को ही देखे जा रही थी. शहीद की मौत की खबर के बाद परिजनों का हाल काफी बेहाल हो गया है.
शहीद परिवार से मिलने बुधवार को नहीं पहुंचे एक भी पदाधिकारी
प्रखंड क्षेत्र के हरणी पंचायत अंतर्गत लंगड़ीटांड़ निवासी सुनील के शहादत की सूचना बीत मंगलवार की रात को ही परिजनों को मिल गया. घटना की सूचना पाते ही परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था. लेकिन बुधवार संध्या तक जिले सहित प्रखंड के अधिकारियों के द्वारा शहीद के परिजनों का कोई सुधि नहीं लेने से लोगों में असंतोष है. शहीद के पिता ने बताया कि उनके परिवार से मिलने कोई भी अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचे है और न ही प्रखंड के किसी पदाधिकारियों ने यहां आने की जहमत उठायी है.
हैरानी की बात यह है कि एक जवान की शहादत से बड़ी और क्या बात हो सकती है कि जिले के एक भी पदाधिकारी शहीद परिवार को सांत्वना देने तक जरूरी नहीं समझा. हालांकि आज सुनील के पार्थिव शरीर को अंतिम सलामी देकर उन्हें अंतिम विदाई दी जायेगी. परंतु यह सवाल सदैव लोगों के जेहन में कायम रहेगा कि आखिर वह बेटा जिसने पूरे देश की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी उसके घर तक जिले के पदाधिकारियों ने पहुंचना तक जरूरी नहीं समझा.
काफी मिलनसार प्रवृत्ति के थे शहीद सुनील
शहीद एसके मुर्मू काफी मिलनसार प्रवृत्ति के थे तथा वह जब भी गांव आते थे तो अपने साथियों से काफी घुल-मिलकर बातें करते थे. लंगड़ीटांड निवासी अजय सोरेन ने बताया कि सुनील खेल में भी काफी रुचि रखते थे तथा जब भी छुट्टी पर घर आते थे तब खेल प्रसाधन की सामग्री युवकों के बीच वितरित करते थे.
अजय ने यह भी बताया कि वह युवाओं को अपना कैरियर बनाने तथा भारतीय सेना ज्वाइन करने के लिए भी प्रेरणा देते रहते थे. सुनील युवाओं को उनके उज्ज्वल भविष्य का रास्ता भी दिखाया करते थे. अजय ने यह भी बताया कि उनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा उनकी कमी पूरे गांव को हमेशा महसूस होती रहेगी.
दो बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया
शहीद सुनील मुर्मू की मौत के बाद अब उसके दो बच्चे के सिर से पिता का साया छिन गया है. जानकारी के अनुसार सुनील वर्ष 2013 में सेना में भर्ती होने से एक साल पहले 2012 में शादी नवादा जिले के गायघाट निवासी दुलिया हेंब्रम से हुई थी. सुनील को दो बेटाे में बड़ा पांच वर्षीय आनंद राज वर्तमान में एलकेजी का छात्र हैं, तो वही दूसरा छोटा बेटा तीन वर्षीय आदित्य राज की पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हो पायी है.
फिलवक्त दुलिया अपने दोनों बच्चे आनंद और आदित्य, सुनील के भाई संदीप और उसकी बहन निकिता के साथ जमुई में किराये के मकान में रह कर अपने बच्चों की देखभाल करती है. शहीद की पत्नी शोक में डूबी हुई है कि अब उनके बच्चों की पढ़ाई कैसे जारी रह पायेगी.
अपने बेटे पर मुझे फख्र है
पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए बीएसएफ के जवान एसके मुर्मू के पिता कैलाश मुर्मू ने बताया कि मुझे अपने बेटे पर नाज है. उन्होंने कहा कि हालांकि एक पिता के लिए अपने बेटे का शव देखना सबसे भारी दुख होता है, परंतु इसके बावजूद मेरे लिए यह फक्र की बात है कि मेरा बेटा अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है.
कैलाश मुर्मू बताते हैं कि मुझे इस बात की पीड़ा हमेशा रहेगी कि एक तरफ मेरा बेटा देश की रक्षा के लिए शहीद हो गया, तो वहीं दूसरी तरफ जिले के किसी भी कनीय या वरीय पदाधिकारी ने हम परिजनों का हाल जानना भी उचित नहीं समझा. उन्होंने बताया कि घटना के 18 घंटे से अधिक गुजर जाने के बाद भी स्थानीय थाना तक से कोई पदाधिकारी हमसे मिलने नहीं आया है और न ही जिले के कोई वरीय अधिकारी या पुलिस पदाधिकारी हम से मिलने पहुंचे हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि मेरी तीन बेटियों में से एक बेटी की शादी हो चुकी है और दो बेटियों की शादी होनी बाकी है. कैलाश मुर्मू ने बताया कि बेटे की कमाई से ही मेरे परिवार का गुजारा होता था. मैं खेतीबाड़ी करता हूं पर इतनी जमीन नहीं है कि उस पर पैदावार कर मैं अपने और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूं. इसके अलावा अब दोनों बेटियों की शादी का बोझ भी छोटे बेटे के कंधे पर आ गया है. रूंधे गले से उन्होंने कहा कि पता नहीं इस परिवार का गुजारा कैसे होगा.
आखिर लड़ाई क्यों : शहीद का भाई
शहीद सुनील मुर्मू के छोटे भाई संदीप मुर्मू ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी मसले हैं उन्हें राजनयिक और राजनीतिक तरीके से सुलझाया जा सकता है तो फिर यह लड़ाई क्यों.
संदीप मुर्मू ने बताया कि इस लड़ाई से कुछ भी हासिल नहीं हो सकता. आज मेरा भाई शहीद हुआ है कल किसी और का भाई शहीद होगा. एक सिपाही की शहादत के बाद उसके परिवार को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है यह किसी से छुपा नहीं है. उसने यह भी बताया कि मैं भी अपने भाई की तरह ही भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था. परंतु अब अपनी भाई की मौत के बाद मेरी यह इच्छा दृढ़ निश्चय में बदल गयी है.अब मैं हर हाल में भारतीय सेना ही ज्वाइन करूंगा तथा अपने मातृभूमि की अपने मातृभूमि की रक्षा करूंगा.
मई में छुट्टी पर घर आनेवाले थे सुनील
सुनील मुर्मू की मां रानी हांसदा ने बताया कि मई में सुनील छुट्टी पर घर आनेवाला था. जिसे लेकर वह काफी खुश भी रहा करती थी. रानी हांसदा ने बतायी कि वह बीते वर्ष दशहरा में छुट्टी पर घर आया था.
दो महीने की छुट्टी बिताकर 28 अक्तूबर को वापस अपनी ड्यूटी पर चला गया था. पर हमें कहां पता था कि हमारा बेटा कभी लौटकर नहीं आयेगा और उसके मौत की खबर आयेगी. बेटे की मौत की खबर ने रानी हांसदा को हिला दिया है. उसने बताया कि मेरा सुनील ने अंतिम बार मंगलवार सुबह दूरभाष पर पत्नी से बातचीत की थी. इस दौरान उसने परिवार का हाल-चाल भी लिया था तथा और भी बातें की थी. परंतु हमें कहां पता था कि यह उससे हमारी अंतिम बातचीत है. हम अपने बेटे से कभी बात भी नहीं कर पायेंगे. उसने बतायी कि मेरे बेटे की मौत की खबर उसके ही एक साथी ने मुझे दूरभाष पर दी.

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