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हेल्थ गाइड : दांत और मसूढों को मजबूत करता है अकरकरा

नीलम कुमारी टेक्निकल ऑफिसर,झाम्कोफेड भारत में लगभग सभी जगहों पर पाया जानेवाला महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है अकरकरा. इसका पौधा छोटा, रोयेदार होता है. फूल गोल, गुच्छे और पीला रंग का होता है. फूल गर्मी के मौसम में लगता है. फल लंबा और चपटा होता है. संस्कृत में इसे आकारकरभ, अकल्लक, हिंदी में अकरकरा और अंग्रेजी […]

नीलम कुमारी

टेक्निकल ऑफिसर,झाम्कोफेड

भारत में लगभग सभी जगहों पर पाया जानेवाला महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है अकरकरा. इसका पौधा छोटा, रोयेदार होता है. फूल गोल, गुच्छे और पीला रंग का होता है. फूल गर्मी के मौसम में लगता है. फल लंबा और चपटा होता है. संस्कृत में इसे आकारकरभ, अकल्लक, हिंदी में अकरकरा और अंग्रेजी में पेलिटरी कहा जाता है. इसका वानस्पतिक नाम एनासाइकल्स पायरेप्रम है. यह एस्टेरेसी परिवार का पौधा है.

उपयोगी भाग : जड़, फूल व पत्ता

औषधीय उपयोग : यह कफवात जनित रोगों में उपयोगी है. यह ह्दय को मजबूत करता है. रक्त संचार को बढ़ाता है. यह दांत और मसूढों को मजबूत करता है. दांतों के दर्द में इसके रस को लगाने से दांत दर्द ठीक होता है. इसके चूर्ण को जीभ पर रख कर चूसने से कंठ सुरिया होता है. यह पेट का रोग, बुखार, खांसी, दमा, सायटिका, जोड़ों का दर्द, त्वचा रोग, लकवा, सफेद दाग आदि रोगों में उपयोगी है.

दंत रोग : इसकी जड़ का काढ़ा दांतों पर लगाने से दांत का कीड़ा, दांत का दर्द, कंठ का सूजन व मुंह के रोग दूर होते हैं. दांत दर्द में इसकी जड़ को दांत के नीचे दबाया जाता है.

लकवा : इसकी जड़ को सूखा कर उसका पाउडर बना लिया जाता है. इस पाउडर को महुबा के तेल में मिला कर मालिश करने से लकवा की बीमारी में फायदा होता है.

सिर दर्द : इसकी जड़ को पानी के साथ पीस कर सिर पर लेप करने से सिर दर्द में आराम मिलता है. यदि ठंड से सिर दर्द होता है, तो इसकी जड़ को दांतों के नीचे दबाये रखने से आराम मिलता है.

सफेद दाग : इसके पत्तों का रस निकालकर उसे दाग पर लगाना चाहिए.

हकलाहट : अकरकरा व काली मिर्च का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला कर एक ग्राम शहद के साथ सुबह शाम प्रयोग करना चाहिए.

त्वचा रोग : इसकी पत्तियों के रस का प्रयोग करना चाहिए.

गले का रोग : इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर इससे कुल्ला करना चाहिए.

ह्दय रोग : अर्जन की छाल का चूर्ण और इसकी जड़ का चूर्ण बराबर मात्र में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए.

बुद्धिवर्द्धक : इसकी जड़ और ब्रह्मी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला कर प्रतिदिन प्रयोग करना चाहिए.

मिरगी : इसकी जड़ को बारीक पीस उसमें थोड़ा सा शहद मिला कर सुंघने से मिरगी का दौरा दूर होता है.

जोड़ों का दर्द : अकरकरा को तिल में मिलाकर मालिश करने से जोड़ों को दर्द में आराम मिलता है.

नोट : चिकित्सीय परामर्श के बाद ही उपयोग करें.

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