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सेहतमंद जीवनशैली से काबू में होगा मधुमेह

डॉ अजय कुमार अजमानी सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राईनोलॉजी एवं एंडोक्राईन सर्जरी, बीएलके सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली डायबिटीज एक क्रोनिक बीमारी है, जिसमें शरीर खून में शूगर की मात्रा नियंत्रित नहीं कर पाता. हमारे शरीर में पेन्क्रियाज नाम की एक ग्रंथि होती हैं, जिसे ‘अग्नाशय’ कहते हैं. इस ग्रंथी से कुछ हार्मोन्स का स्त्राव होता हैं. इंसुलिन पेन्क्रियाज […]

डॉ अजय कुमार अजमानी
सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राईनोलॉजी एवं एंडोक्राईन सर्जरी, बीएलके सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
डायबिटीज एक क्रोनिक बीमारी है, जिसमें शरीर खून में शूगर की मात्रा नियंत्रित नहीं कर पाता. हमारे शरीर में पेन्क्रियाज नाम की एक ग्रंथि होती हैं, जिसे ‘अग्नाशय’ कहते हैं.
इस ग्रंथी से कुछ हार्मोन्स का स्त्राव होता हैं. इंसुलिन पेन्क्रियाज से स्त्रावित होने वाला एक महत्वपूर्ण हार्मोन है. हमारे भोजन मे कार्बोहाइड्रेट एक महवपूर्ण तत्व होता है, जिससे हमें कैलोरी और ऊर्जा प्राप्त होती है. कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर मे जाकर ग्लूकोज के छोटे-छोटे कणों में बदल जाता है और इसी ग्लूकोज को इंसुलिन शरीर की प्रत्येक कोशिका तक ले जाता है, जिससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है. जब यह इंसुलिन शरीर में बनना बंद हो जाता है या इसकी मात्रा इतनी कम रहती हैं कि कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता, तो ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिस स्थिति को डायबिटीज कहते हैं.
डायबिटीज के प्रकार एवं खतरे : डायबिटीज मुख्यत: दो प्रकार की होती है. हर प्रकार के लिए कारण एवं जोखिम अलग-अलग होते हैं.
टाइप 1 डायबिटीज : यह किसी भी आयु में हो सकती है, लेकिन यह ज्यादातर बच्चों, किशोरों या युवा, व्यस्कों में पायी जाती है. इस बीमारी में शरीर इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनाता है या बहुत कम बनाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पैन्क्रियाज़ की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. इसलिए इंसुलिन के दैनिक इन्जेक्शनों की जरूरत होती है. इसका ठीक कारण अभी पता नहीं.
टाइप 2 डायबिटीज : यह लोगों में अधिक आम है. टाइप 2 डायबिटीज (नॉन-इंसुलिन-डिपेंडेंट या एडल्ट-ऑनसेट) शरीर में इंसुलिन का सही प्रयोग न हो पाने के कारण होती है.
विश्व में डायबिटीज़ से पीड़ित 90 प्रतिशत लोग टाइप 2 से पीड़ित होते हैं, जो उनके अत्यधिक वजन एवं शारीरिक गतिविधि न होने के कारण होती है. इसके लक्षण टाइप 1 डायबिटीज की तरह ही होते हैं, लेकिन ये लक्षण दिखते कम हैं. परिणामस्वरूप इस बीमारी के बारे में पता कई सालों बाद चलता है. अब तक यह बीमारी केवल व्यस्कों में देखने को मिलती थी, पर अब यह बच्चों को भी हो रही है.
लक्षण एवं कारणों पर करें गौर : डायबिटीज के लक्षणों में धुंधली दृष्टि, अत्यधिक प्यास, थकान, बार-बार पेशाब आना, भूख, वजन कम होना आदि हैं.
यह महामारी बच्चों एवं व्यस्कों की शिथिल जीवनशैली, जैसे बैठे रहना, खाते रहना और व्यस्त जीवन और तनाव के चलते आलस्य के कारण फैलती है. आजकल बच्चे साइक्लिंग, पेड़ों पर चढ़ने या दोस्तों के साथ दौड़ने के मुकाबले अधिकतर समय घर के अंदर खेलते हैं, ज्यादातर टीवी, टैब आदि से चिपके रहते हैं और वीडियो गेम्स खेलते रहते हैं. उनकी आहार की आदतों में सोडा, फ्राइ, पिज्ज़़ा एवं बर्गर आदि शामिल हैं, जो बच्चों की सेहत पर विपरीत प्रभाव डालते हैं.
व्यस्कों की दिनचर्या में भी घंटों बैठकर काम करना, थकान के कारण तनाव शामिल हैं, जिसके चलते डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. गृहिणियां केवल घरेलू काम करती हैं, जिससे उनका पर्याप्त शारीरिक व्यायाम नहीं हो पाता है. शारीरिक गतिविधि या व्यायाम की कमी डायबिटीज का खतरा पैदा करती है. मोटापा बढ़ाने के अलावा शिथिल जीवनशैली इंसुलिन की सेंसिटिविटी खराब करती है एवं खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ाती है. डायबिटीज़ बढ़ाने वाले अन्य खतरों में धूम्रपान, अल्कोहल लेना, खराब आहार एवं अत्यधिक शुगर वाला आहार शामिल हैं.
शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं एवं उचित आहार लें
सहज जीवनशैली के उपाय डायबिटीज़ की रोकथाम में काफी प्रभावशाली होते हैं. डायबिटीज़ एवं इसकी समस्याएं रोकने के लिए लोगों को शरीर का वजन नियंत्रित करने एवं शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हुए रोज कम से कम 30 मिनट का नियमित व्यायाम करना चाहिए.
वजन नियंत्रित करने के लिए अधिक शारीरिक गतिविधि, सेहतमंद आहार, जिसमें दिन में 3 से 5 बार फलों और सब्जियों का लिया जाना शामिल है. इसके अलावा शुगर एवं सैचुरेटेड फैट इनटेक घटाने की और तंबाकू, धूम्रपान आदि छोड़ने की जरूरत है. धूम्रपान से कॉर्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
फिजि़शियन के लगातार संपर्क में रहें
सेहतमंद जीवनशैली के साथ संतुलित आहार डायबिटीज़ रोकने का मूलमंत्र है. व्यायाम करने से मांसपेशियां ऊर्जा के लिए शुगर (ग्लूकोज़) का प्रयोग करती हैं.
नियमित शारीरिक गतिविधि शरीर को इंसुलिन का प्रभावशाली प्रयोग करने में मदद करती है. इंसुलिन एवं अन्य डायबिटीज़ मेडिकेशन खून में शुगर के स्तर को कम करने के लिए डिज़ाइन किये गये हैं. आहार एवं व्यायाम अकेले डायबिटीज़ कंट्रोल के लिए पर्याप्त नहीं. लेकिन इन दवाइयों का प्रभाव उचित खुराक एवं टाइमिंग पर निर्भर करता है. डायबिटीज़ के अलावा अन्य रोगों के लिए लिया गया मेडिकेशन भी खून में शुगर की मात्रा को प्रभावित करता है, इसलिए फिजि़शियन के लगातार संपर्क में रह कर सही डेटा लेना जरूरी है.
डायबिटीज़ को जानलेवा स्थिति तक नहीं बढ़ने देना चाहिए. डायबिटीज़ नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन, उपचार योजना का पालन एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता है. इस बीमारी से पीड़ित अधिकांश लोग इसके लिए तैयार नहीं होते. डायबिटीज़ को समय पर पहचानें और उचित उपाय करें. जिन्हें इसका खतरा है, उन्हें इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक जानकारी व सहयोग दें.
कटिचक्रासन से करें काबू
डायबिटीज रोगियों के लिए कटिचक्रासन मुख्य रूप से उपयोगी है, जिसके प्रयोग से आप बहुत हद तक इस रोग पर काबू पा सकते हैं. अभ्यास करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं. दोनों पैरों के बीच डेढ़-दो फुट की दूरी रखें. कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं. बायें हाथ को दायें कंधे पर रखें और दायें हाथ को पीछे से बायीं ओर लाकर धड़ से लपेटें. सांस क्रिया सामान्य रूप से रखते हुए मुंह को घुमाकर बायें कंधों की सीध में लाएं. इस स्थिति में कुछ देर खड़े रहें और फिर दायीं तरफ से भी इस क्रिया को इसी प्रकार से करें. इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें. ध्यान रखें कि कमर को घुमाते हुए घुटने न मुड़ें तथा पैर भी अपने स्थान से बिल्कुल न हिलें. इसे रोज सुबह खाली पेट में नियमित 5-10 बार करें.
स्वामी ध्यान पवन, योगाचार्य, ओशोधारा
रखें इन बातों का ध्यान
शाम को व्यायाम करें, इससे शुगर लेवल को रातभर में ज्यादा बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा.
रात में खाना सोने से करीब तीन घंटे पहले खाएं और कुछ देर टहलें.
सुबह हल्का नाश्ता लें. नाश्ता मिस न करें.
आहार में फाइबर को ज्यादा शामिल करें, मैदा और चीनी से बने खाद्य पदार्थों से बचें.
मरीज़ों को अमरूद, आंवला, नीबू, जामुन, संतरा और पपीता खाना चाहिए. केला, चीकू या अधिक मीठे फलों से बचना चाहिए.
अपना वजन नियंत्रित रखें. तला-भुना और फैटयुक्त भोजन न करें.
शरीरिक तौर पर सक्रिय रहें. योग, व्यायाम, ध्यान और वाक करते रहें. दिमाग शांत रखें.

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