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जीवनरक्षक है कॉर्ड ब्लड सेल्स

डॉ अमिता महाजन सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक हीमोटोलाॅजी एंड आॅन्कोलाॅजी, अपोलो अस्पताल, दिल्ली गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए गर्भनाल महत्वपूर्ण अंग है. यह बच्चे को मां से कनेक्ट करती है. इसीके जरिये गर्भ में बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन होता है और मां से पोषण मिलता है. बच्चा जब पैदा होता है, तो कार्ड को […]

डॉ अमिता महाजन

सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक हीमोटोलाॅजी एंड आॅन्कोलाॅजी, अपोलो अस्पताल, दिल्ली
गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए गर्भनाल महत्वपूर्ण अंग है. यह बच्चे को मां से कनेक्ट करती है. इसीके जरिये गर्भ में बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन होता है और मां से पोषण मिलता है. बच्चा जब पैदा होता है, तो कार्ड को काट दिया जाता है. डिलिवरी के बाद बच्चे के साथ बाहर आये कार्ड और प्लेसेंटा की कलैम्पिंग करके 70-110 मिली तक ब्लड प्राप्त हो सकता है. इस काॅर्ड में मौजूद ब्लड में नवजात के हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल्स (एचएससी) से भरपूर होते हैं, जिन्हें काॅर्ड स्टेम सेल्स कहा जाता है. क्रायोजेनिक प्रीजर्वेशन से कार्ड स्टेम सेल्स निकाले जाते हैं और उन्हें -20 डिग्री सेंटीग्रेट पर डीप फ्रीज करके करीब 15-20 साल तक प्रीजर्व किया जा सकता है.

कार्ड ब्लड से कई ब्लड विकारों का उपचार किया जा सकता है. इन स्टेम सेल्स में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और शरीर के क्षतिग्रस्त सेल्स का पुनर्निर्माण करने की क्षमता होती है. थैलेसीमिया जैसे आनुवंशिक रोगों का इलाज इससे संभव है. ल्यूकेमिया, ब्लड कैंसर, लिम्फाेमा जैसी बीमारियों में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है, जिनमें काॅर्ड ब्लड मददगार हो सकता है. काॅर्ड स्टेम सेल्स एनिमिया, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी जैसे डेवलेपमेंट डिसआर्डर के उपचार में भी सहायक है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये सेल्स अपने भाई-बहन के लिए आदर्श मैच होते हैं.

-कार्ड ब्लड बैंकिंग : शायद ही कोई गर्भवती कार्ड ब्लड डोनेट करने से मना करे, क्योंकि इससे न तो उनका कोई नुकसान होता है, न ही कोई तकलीफ होती है. बस इसके लिए उन्हे प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी से पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके लिए कई प्रकार के टेस्ट किये जाते हैं, ताकि भविष्य में किसी को खतरा न हो. कार्ड ब्लड सेल्स दो तरीके से स्टोर किये जाते हैं. बैंक रजिस्टर्ड महिला के अस्पताल में कार्ड ब्लड कलेक्ट करने के लिए संबद्ध डॉक्टर को किट भेजते हैं. कार्ड ब्लड किट में सील करके परीक्षण और स्टोर करने के लिए कार्ड ब्लड बैंक में भेज दिया जाता है.
-पब्लिक कार्ड ब्लड बैंक : गर्भवती की सहमति पर काॅर्ड में से स्टेम सेल्स सरकार की तरफ से चलाए जा रहे पब्लिक काॅर्ड ब्लड बैंक में प्रीजर्व किये जाते हैं. ताकि भविष्य में उसके परिवार या किसी जरूरतमंद को दान दिया जा सके.
-प्राइवेट कार्ड ब्लड बैंक : नवजात के ये सेल्स जरूरत पड़ने पर सिबलिंग भाई-बहन या परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति के काम आ सकते हैं. यहां कार्ड ब्लड सेल्स की स्टोरेज पर सालाना करीब 50 हजार से एक लाख रुपये तक का खर्चा आता है.
-किन बातो का रखें ख्याल : कार्ड ब्लड डोनेट करने की इच्छुक गर्भवती महिला को यह बात पूछ लेनी चाहिए कि संबद्ध अस्पताल कार्ड ब्लड बैंकिंग प्रक्रिया में शामिल होता है या नहीं. अगर न हो, तो अपने कार्ड ब्लड बैंक को सूचित करना चाहिए ताकि वह समय से कॉर्ड ब्लड ले जा सके.
-जागरूकता और संसाधन है जरूरी : आम जनता की पहुंच बनाने के लिए देश में न केवल ज्यादा से ज्यादा पब्लिक काॅर्ड ब्लड बैंक खोले जाने चाहिए, बल्कि प्राइवेट कार्ड ब्लड बैंक की फीस भी कम करनी चाहिए. साथ ही हर गर्भवती और उसके परिवार को गर्भावस्था के दौरान कार्ड ब्लड डोनेट करने या अपने परिवार के लिए संजो कर रखने की जानकारी भी देनी चाहिए.
बातचीत : रजनी अरोड़ा

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