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रोजाना दो बार करें ब्रश नहीं तो पड़ जाएंगे फेरे में

डॉ जे के भगत, एमडीएस, एंडो डॉन्टिस्ट, कांके रोड, रांची ओरल केयर का मतलब है, मुंह की देखभाल. मुंह के सबसे अभिन्न अंग हैं दांत, जिसे मसूड़े जकड़ कर रखते हैं और जीभ. अत: दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है. हममें से 90 प्रतिशत लोग डेंटिस्ट के पास तभी जाते हैं, जब दांतों में असहनीय […]

डॉ जे के भगत, एमडीएस, एंडो डॉन्टिस्ट, कांके रोड, रांची

ओरल केयर का मतलब है, मुंह की देखभाल. मुंह के सबसे अभिन्न अंग हैं दांत, जिसे मसूड़े जकड़ कर रखते हैं और जीभ. अत: दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है. हममें से 90 प्रतिशत लोग डेंटिस्ट के पास तभी जाते हैं, जब दांतों में असहनीय दर्द हो. भारत में कैंसर से ग्रसित मरीजों में 30 प्रतिशत लोग मुंह के कैंसर से जूझ रहे हैं. पुरुषों में होनेवाली यह सबसे से खतरनाक बीमारी है.
प्रतिदिन दो बार यानी एक बार सुबह खाने से पहले और दूसरी बार रात का खाना खाने के बाद ब्रश जरूर करें. मुलायम ब्रिसेल्स वाले ब्रश का उपयोग ही करें. अधिक कड़े ब्रशों से मसूड़े घिस जाते हैं और सूजन का खतरा भी होता है. फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट उपयुक्त माने जाते हैं. तीन से पांच मिनट ही ब्रश करें. ब्रश करने की दिशा ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और गोलाकार मुद्रा में होनी चाहिए. ब्रश करने के बाद जीभिया से जीभ जरूर साफ करें, क्योंकि सबसे ज्यादा बैक्टीरिया जीभ पर ही जमें होते हैं. कुछ खाने के बाद कुल्ला जरूर करें.
मीठी चीजों से करें परहेज
दातों को सबसे ज्यादा नुकसान मीठे आहारों से होता है, क्योंकि मीठी चीजें खाने के बाद दांतों की सफाई ढ़ंग से न करें, तो उनमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. खासकर वैसे चॉकलेट्स से, जो दांतों में चिपक जाते हैं. ऐसे चॉकलेट ही बच्चों के दांतों में सड़न की समस्या पैदा करते है. इसलिए यदि बच्चों को चॉकलेट दें, तो खाने के बाद उनके दांत जरूर साफ करवाएं. मसूड़ों को साफ करने के लिए कुल्ला करने के साथ साफ ऊंगली से मसूड़ों की मालिश करवाएं. बच्चों की मुस्कुराहट तो खूबसूरत होती ही है, पर ये आगे भी बनी रहे, इसके लिए दांतों का स्वस्थ रहना जरूरी है. दूध के दांत 12 साल की उम्र में टूटते हैं, पर खेल-कूद में चोट लग जाने से छह-सात वर्ष की उम्र में यदि उनके दांत टूट जाएं और अगले सात सालों तक उनका वह दांत नहीं आये, तो पर्मानेंट दांत टेढ़े-मेढ़े निकल सकते हैं. इसलिए यदि ऐसा हो, तो डेंटिस्ट से जरूर मिलें. आधुनिक चिकित्सा पद्धति में दंत रोगों का इलाज संभव है. यदि मरीज समय से डॉक्टरी सलाह लें.
कैविटी से बचना जरूरी
दातों को सबसे ज्यादा परेशानी कैविटी से होती है. कैविटी बैक्टीरिया द्वारा बनायी गयी एक परत होती है, जिसके कारण दांत पीले नजर आते हैं. कैविटी को यदि नियमित साफ किया जाये, तो यह परेशान नहीं करता, पर कैविटी यदि जमकर ठोस हो जाये, तो उसे टार्टर कहते हैं. बहुत लोगों को लगता है कि टार्टर दांतों को सपोर्ट करता है, पर सच यह है कि टार्टर धीरे-धीरे मसूड़ों को कमजोर बनाता है और उसकी जड़ों को खोखला करता जाता है. यदि उसे नियमित समय पर साफ नहीं करवाया जाये, तो यह मसूड़ों के अंदर हड्डियों तक संक्रमण फैला सकता है. इससे असमय दांत टूट सकते हैं या उनमें सड़न हो सकती है.
सूजन को न करें इग्नोर
अक्सर हम मुंह के सूजन को इग्नोर करते हैं. सूजन कई बार विटामिन-सी की कमी के कारण भी होता है, पर मुंह का सूजन यदि 15 दिनों में ठीक न हो, तो यह कैंसर का लक्षण भी हो सकता है. यदि तालू में, गाल के अंदरूनी हिस्से में या मसूड़ों में सफेद रंग का दाग हो, तो तुरंत डेंटिस्ट से मिले. वहीं, यदि आपके मुंह से बदबू आये, दांतों में अधिक पीलापन हो, दांत काले हो गये हों, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, वरना हो सकता है कि आपको उस दांत के साथ उसके आस-पास के सटे दातों को भी खाेना पड़े. सबसे खराब मामले में भी यदि एक दांत टूट या सड़ गया हो, तो भी उसकी फीलिंग करायी जा सकती है, तो परमानेंट दांत की तरह ही दिखेंगे और आप उससे खाना भी आसानी से चबा सकेंगे.

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