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विशेष परिस्थिति में ही निकलवाएं बच्चेदानी

मातृत्व किसी भी महिला के लिए जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है. महिलाओं में प्राकृतिक ने भ्रूण के विकास के लिए बच्चेदानी भेंट के तौर पर दिया है. कई बार स्थिति ऐसी प्रतिकूल हो जाती है कि बच्चेदानी को शरीर से अलग करना पड़ता है. जरूरी है कि हालात और विकल्पों का पूरा ज्ञान […]

मातृत्व किसी भी महिला के लिए जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है. महिलाओं में प्राकृतिक ने भ्रूण के विकास के लिए बच्चेदानी भेंट के तौर पर दिया है. कई बार स्थिति ऐसी प्रतिकूल हो जाती है कि बच्चेदानी को शरीर से अलग करना पड़ता है. जरूरी है कि हालात और विकल्पों का पूरा ज्ञान रख कर ही बच्चेदानी हटाने का निर्णय लिया जाये.

मातृत्व किसी भी महिला के लिए जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है. मातृत्व के लिए महिलाओं को शरीर में बच्चेदानी भेंट के रूप में मिला है. महिला के शरीर से जब बच्चेदानी को निकाल दिया जाता है तो उसके बाद वह मां नहीं बन सकती है. कई बार महिलाओं की जान बचाने के लिए बच्चेदानी को निकालना पड़ता है, लेकिन यह विशेष परिस्थिति में ही. बच्चेदानी हटाने के बाद से महिलाओं के शरीर में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है. चिकित्सकों को हर तरफ से असफल होने पर जब कोई दूसरा विकल्प न हो तब ही बच्चेदानी निकालना चाहिए.

बच्चेदानी निकालने पर शरीर पर पड़नेवाले विपरीत प्रभाव
बच्चेदानी निकालने से महिलाओं के शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है. महिलाएं विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने लगती हैं. महिलाओं के शरीर तथा हार्ट पर असर पड़ने लगता है. शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. महिलाएं अपने असली उम्र से ज्यादा उम्र की दिखने लगती हैं. भरसक यह प्रयास करना चाहिए कि 40 से 45 की उम्र होने के बाद ही इसे निकालना पड़े. हल्की समस्या में बच्चेदानी निकालने से बचें.

औरत मासिक में होनेवाली समस्याओं को लेकर चिकित्सक से बच्चेदानी निकालने की बात करती है, लेकिन बच्चेदानी को तब तक नहीं निकालना चाहिए, जब तक बच्चेदानी को निकालना जीवन बचाने के लिए जरूरी न हो. बच्चेदानी के मुंह में कैंसर होने पर इसे निकलवाना चाहिए. यह प्रयास करना चाहिए कि बच्चेदानी को दवा द्वारा ज्यादा से ज्यादा समय तक बचाया जाये. फिर भी सुधार न हो तब ही इसे निकालने के विकल्प के बारे में सोचना चाहिए.

एक अंडाशय बचाने पर, बिना बच्चेदानी समस्या होती है कम
अगर बच्चेदानी को निकालने की जरूरत पड़ ही जाये तो प्रयास करना चाहिए कि एक अंडाशय छोड़ा जा सके. एक अंडाशय छोड़ देने से हार्मोंन निकलता रहता है. इससे शरीर पर पड़नेवाले प्रभाव जैसे हड्डी कमजोर होना, हार्ट पर असर पड़ना एवं कम उम्र में ज्यादा उम्र का दिखने लगना आदि समस्या से छुटकारा मिल जाता है. यूं कह लें कि यथास्थिती बनाये रखने में यह कारगर उपाय साबित होता है.

बच्चेदानी निकलवाने के बाद इन बातों का जरूर रखें ख्याल
अगर बच्चेदानी को कम उम्र में ही निकालना पड़ जाये तो महिलाओं को हामोर्ंन सप्लीमेंट अवश्य लेना चाहिए. बाजार में हार्मोंन सप्लीमेंट की दवाएं उपलब्ध हैं. ध्यान रहे कि किसी भी सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें और उनके निर्देशानुसार ही दवा का सेवन करें. नियमित जांच कराते रहना चाहिए, खासकर हड्डियों की जांच अवश्य कराते रहना चाहिए. हो सकता है कैल्शियम और आयरन सप्लीमेंट की जरूरत पड़े.

बातचीत : राजीव पांडे, रांची

डॉ पुष्पा पांडेय

स्त्री रोग विशेषज्ञ,

आरजेश्योर अस्पताल, प्लाजा सिनेमा हॉल के नजदीक, रांची

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