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Friday, March 29, 2024

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बड़कागांव के बौद्ध स्तूप और सैकड़ों बुद्ध की मूर्तियों का अस्तित्व खतरे में

बड़कागांव : सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध के दर्जनों मूर्तियां व बौद्ध स्थलों का अस्तित्व खतरे में है. प्रशासनिक देख-रेख के अभाव में भगवान बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां खुली आसमान के नीचे पड़ी हैं. बड़कागांव के पंकरी बरवाडीह स्थित बौद्धस्तूप बरसातीय जल गिरने के कारण जर्जर होता जा रहा है. […]

बड़कागांव : सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध के दर्जनों मूर्तियां व बौद्ध स्थलों का अस्तित्व खतरे में है. प्रशासनिक देख-रेख के अभाव में भगवान बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां खुली आसमान के नीचे पड़ी हैं.

बड़कागांव के पंकरी बरवाडीह स्थित बौद्धस्तूप बरसातीय जल गिरने के कारण जर्जर होता जा रहा है. बरवाडीह के बौद्ध स्तूप व सैकड़ों मूर्तियां को देखने से ऐसा लगता है कि भगवान बुद्ध का हजारीबाग से विशेष लगाव रहा होगा. झारखंड को बौद्ध कल्‍ट के रूप में भी जाना जाता है. इसके कई उदाहरण भी देखने को मिलते हैं. जिसमें चतरा का इटखोरी इसके बड़े उदाहरण हैं. उसी तरह हजारीबाग में भी गौतम बुद्ध के कई अवशेष नजर आते हैं. आज भी बुद्ध की मूर्तियांऔर अवशेष हज़ारीबाग के कोने-कोने में मौजूद हैं. हजारीबाग जिले के कन्हेरी पहाड़ के आसपास एवं बहरोहन पुर में भी गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं.

बड़कागांव के कई स्थानों में है बुद्ध की मूर्तियां

इसी जिले के बड़कागांव प्रखंड के पंकरी बरवाडीह और आसपास के क्षेत्र में भगवान बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं. पंकरी बरवाडीह के परब दिशा में बौद्ध स्तूप है. इसे अब पांच पंडवा पहाड़ कहा जाता है. यह स्तूप राजगीर के बौद्ध स्तूप से मिलता-जुलता है. राजगीर बौद्ध स्तूप की अपेक्षा यह छोटा है. यहां भगवान बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. कई मूर्तियों को एक जगह सजाकर रखा गया है. इतना ही नहीं बड़कागांव मध्य पंचायत के पंडित मोहल्ला स्थित शिव मंदिर में एक प्रतिमा है, जो भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा जैसी दिखती है. हालांकि लोग इसे भगवान भोलेनाथ की मूर्ति मानकर पूजा-अर्चना करते हैं. बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 3 किमी दूर बड़कागांव-हजारीबाग रोड की पूरब दिशा में बौद्ध स्तूप है. इसे स्थानीय ग्रामीण पांच पंडवा पहाड़ कहते हैं. यहां गौतम बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां हैं.

प्रभात खबर ने ऐसी की खोज

जुलाई 2003 में बारिश नहीं होने के कारण बरवाडीह के ग्रामीण पांच पंडवा पहाड़ पर गौतम बुद्ध की मूर्तियों को पांडवों के मूर्ति समझ कर पूजा-अर्चना कर रहे थे. इस दौरान किसान बारिश होने की कामना कर रहे थे. इस स्थल के बारे में प्रभात खबर में कई बार खबरें प्रकाशित भी हुईं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गयी. लोगों का कहना है कि अगर हजारीबाग के बहरोनपुर की तरह यहां भी खुदाई की जाएतो गौतम बुद्ध के अवशेष और भी मिल सकते हैं.लोगों का यह भी कहना है किइस स्थल पर गौतम बुद्धका इतिहास छुपा हुआ है.

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