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Friday, March 29, 2024

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साइकिल से कर रहे हैं प्रचार, थकते हैं तो रुक जाते हैं, फिर शुरू होता है अभियान

हजारीबाग : हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी रामेश्वर राम कुशवाहा का हौसला बुलंद है. इस सीट पर जहां कई करोड़पति चुनावी मैदान में हैं, वहीं रामेश्वर राम कुशवाहा अपने वैचारिक सिद्धांतों की लड़ाई लड़ रहे हैं. क्षेत्र के विकास के प्रति वह गंभीर है. उनका समर्पण ही […]

हजारीबाग : हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी रामेश्वर राम कुशवाहा का हौसला बुलंद है. इस सीट पर जहां कई करोड़पति चुनावी मैदान में हैं, वहीं रामेश्वर राम कुशवाहा अपने वैचारिक सिद्धांतों की लड़ाई लड़ रहे हैं. क्षेत्र के विकास के प्रति वह गंभीर है. उनका समर्पण ही है कि इस बार वह सातवीं बार चुनावी मैदान में हैं.

इन्होंने प्रचार-प्रसार के लिए साइकिल को साधन बनाया है. साइकिल में अपना चुनाव चिह्न का झंडा लगा कर प्रतिदिन 20-25 किमी प्रचार करते हैं. उनके साथ कोई तामझाम नहीं होता. अभी वह जनसंपर्क कर रहे हैं. कुशवाहा के अनुसार अंतिम दौर में वह साइकिल में लाउडस्पीकर बांध चुनाव प्रचार करेंगे. कुशवाहा सर्दी-गर्मी की परवाह किये बिना प्रचार में जुटे हुए हैं. थकते हैं तो कहीं रुक जाते हैं. आराम करने पर फिर अभियान पर निकल पड़ते हैं.
1995 से लड़ रहे हैं चुनाव: रामेश्वर राम सबसे पहले सदर विधानसभा से 1995 वे उम्मीदवार बने. उसके बाद 2009 में सदर विधानसभा से, 2010 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हजारीबाग के सदर पश्चिमी क्षेत्र से जिला परिषद के उम्मीदवार बने. 2011 में मांडू विधानसभा के उपचुनाव में खड़े हुए. 2014 में हजारीबाग लोकसभा एवं 2014 में सदर विधानसभा हजारीबाग के प्रत्याशी रहे. इस बार हजारीबाग लोकसभा सीट पर उम्मीदवार हैं.
व्यवस्था में बदलाव: रामेश्वर राम कुशवाहा ने बताया कि चुनाव लड़ना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. व्यवस्था में बदलाव हो, इसे लेकर वह बार-बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. उन्होंने कहा कि फारवर्ड ब्लॉक की नीति और सिद्धांतों को चुनाव के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना उनका उद्देश्य है. देश में राजनीतिक आजादी तो मिल गयी है, लेकिन अब तक जनता को आजादी नहीं मिली है.
कर चुके हैं आंदोलन: रामेश्वर राम ने कहा कि पगमिल से सिंदूर चौक तक सड़क जर्जर थी. कई बार प्रशासन से मरम्मत कराने की मांग की गयी, लेकिन पहल नहीं हुई. हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की. बाद में सड़क बनी. कटकमसांडी के लुदी गांव में मनरेगा से बननेवाले तालाब में काम करनेवाले मजदूरों को पैसा नहीं मिला था. लगभग 150 मजदूरों नेमजदूरी के लिए विधायक से सांसद तक गुहार लगायी थी. मैंने समाहरणालय के समक्ष धरना दिया. डीडीसी के समक्ष रैली निकाल मजदूरों को भुगतान कराया.
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