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Thursday, March 28, 2024

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बड़कागांव सामुदायिक स्वास्‍थ्‍य केंद्र में महज कोरम पूरा कर रहे है पदस्थापित 8 चिकित्सक

मामला, सांप काटने से महिला की मौत आपातकालीन के लिए मौजूद नहीं रहते एक भी डॉक्टर वैक्सीन रहते हुए मरीज को किया गया रेफर रास्ते में हुई मौत बड़कागांव : बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की इन दिनों ऐसी हालत है कि यहां पदस्थापित 8 चिकित्सक सिर्फ और सिर्फ सर्दी-खांसी बीमारी के लिए ही इलाज करते […]

मामला, सांप काटने से महिला की मौत

आपातकालीन के लिए मौजूद नहीं रहते एक भी डॉक्टर

वैक्सीन रहते हुए मरीज को किया गया रेफर रास्ते में हुई मौत

बड़कागांव : बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की इन दिनों ऐसी हालत है कि यहां पदस्थापित 8 चिकित्सक सिर्फ और सिर्फ सर्दी-खांसी बीमारी के लिए ही इलाज करते हैं. आपातकालीन सेवा का जब समय आता है तो यहां से चिकित्सक नदारद रहते हैं. कंपाउंडर, नर्स, ड्रेसर आदि निचले कर्मियों के माध्यम से आपातकालीन मरीजों को यह सोचकर रेफर कर दिया जाता है कि अस्पताल में कोई हंगामा ना हो.

एक ऐसी ही घटना 18 जून की शाम की है. जहां एक महिला को सांप काटने के बाद अस्पताल लाया गया एवं एंटी डॉट रहते हुए उसे एक ड्रेसर के माध्यम से रांची के लिए रेफर कर दिया गया. क्योंकि उस समय अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं थे. जबकि अस्पताल में 8 चिकित्सक पदस्थापित हैं. रेफर के बाद रांची पहुंचने के पूर्व ही महिला की मौत हो गयी. महिला बड़कागांव थाना क्षेत्र के ग्राम सांढ निवास सुधा देवी पति प्रेमचंद महतो की थी.

महिला को सांप काटने के बाद बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां मरीज को ड्रेसर सुभाष कुमार द्वारा मरीज रजिस्टर संख्या 72 में दर्ज करते हुए रांची रिम्स के लिए रेफर कर दिया गया. इस संबंध में अस्पताल कर्मियों से पूछे जाने पर बताया गया कि अस्पताल में सांप काटने का एंटी डॉट भी मौजूद है. बावजूद महिला को वैक्सीन नहीं लगाते हुए रेफर कर दिया गया. इस दिन डॉ शिवानी का ड्यूटी बताया गया जो दिन भर अनुपस्थित थी. दिन में कोई अन्य डॉक्टर आ-जाकर सर्दी खांसी जैसी बीमारियों के मरीजों को इलाज तो किया लेकिन गंभीर आपातकालीन मरीज को देखने के लिए 8 चिकित्सकों में कोई उपस्थित नहीं हो पाये.

ज्ञात हो कि बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करोड़ों रुपये की लागत से बनायी गयी है. प्रतिदिन सरकार द्वारा इस अस्पताल को संचालित करने के लिए लाखों रुपये की खर्च हो रही है. बावजूद सरकार के दावे को कि पूरे झारखंड में चिकित्सा सुविधा सुदृढ़ हो रही है, बड़कागांव अस्पताल में आपातकालीन मरीजों के लिए इलाज की सुविधा नहीं है. अस्पताल की रखरखाव, व्यवस्था एवं खर्च पर अवलोकन किया जाए तो लाखों रुपये प्रतिदिन सरकार का खर्च हो रहा है फिर भी यहां मरीज का इलाज ना कर रेफर कर देना, रास्ते में मौत हो जाना सरकार की नाकामी है.

क्या कहना है चिकित्सा प्रभारी का

चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर एस के कांत ने इस संबंध में बताया कि जैसे ही मुझे पता चला तो मैं बड़कागांव अस्पताल पहुंचा. शाम से लेकर रात भर मैं ड्यूटी पर था. स्वास्थ्य कर्मियों को इस संबंध में जब पूछताछ किया तो उन लोगों ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर थी. इसलिए उसे रेफर कर दिया गया. प्रभारी ने बताया कि चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर शिवानी मौखिक सूचना देकर छुट्टी पर थीं. लिखित सूचना नहीं दी थी. डॉक्टर शिवानी, डॉ अविनाश को मौखिक सूचना देकर चली गयी थी. डॉ अविनाश भी अस्पताल में आकर दो-तीन घंटे रहे. लेकिन वह भी बिना सूचना दिये अस्पताल से चल दिये. जब इसकी सूचना मुझे मिली तो मैं अस्पताल पहुंचा.

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