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एड्स पीड़ित बच्ची ने प्रशासन से लगायी गुहार माता-पिता भी एड्स पीड़ित थे और दोनों की हो चुकी है मौत दुर्जय पासवान, गुमला : गुमला की एक एड्स पीड़िता अनाथ बच्ची (नौ वर्ष) ने सरकार व गुमला प्रशासन से जीने के लिए मदद की गुहार लगायी है. वह कई बार मरते-मरते बच चुकी है. अभी […]

  • एड्स पीड़ित बच्ची ने प्रशासन से लगायी गुहार
  • माता-पिता भी एड्स पीड़ित थे और दोनों की हो चुकी है मौत
दुर्जय पासवान, गुमला : गुमला की एक एड्स पीड़िता अनाथ बच्ची (नौ वर्ष) ने सरकार व गुमला प्रशासन से जीने के लिए मदद की गुहार लगायी है. वह कई बार मरते-मरते बच चुकी है. अभी वह अपनी चचेरी बहन के साथ रह रही है. बच्ची को सुबह-शाम दवा चल रही है, परंतु वह जीना चाहती है और पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहती है.
लेकिन उसके जीने व पढ़ाई में आर्थिक संकट आड़े आ रही है. इस संबंध में उसने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी गुमला (सीडब्ल्यूसी) को आवेदन सौंपा है, जिसमें उसने फोस्टर केयर के तहत लाभ देने की मांग की है.
सीडब्ल्यूसी के सदस्य संजय भगत व डॉ अशोक मिश्रा ने पीड़ित बच्ची की स्थिति की जानकारी ली. साथ ही फोस्टर केयर के लिए जरूरी कागजात की मांग की है, जिससे बच्ची को फोस्टर केयर के तहत हर महीने मिलनेवाली राशि समाज कल्याण विभाग गुमला से स्वीकृति करा कर खाता में दी जा सके.
संजय भगत सदस्य, सीडब्ल्यूसी गुमला ने बताया कि एड्स पीड़ित बच्ची की मदद के लिए आवेदन प्राप्त हुआ था. लेकिन कुछ कागजात की और जरूरत है. परिवार को कागजात लेकर सोमवार को बुलाया है. फोस्टर केयर के तहत हर महीने ढाई हजार रुपये की आर्थिक मदद मिल सकती है.
पहले मां की हुई मौत, बाद में पिता ने बच्ची को बेच दिया था
बस चालक था पिता, नहीं है अपना घर
जानकारी के अनुसार पिता गुमला का एक बस चालक था. उनका अपना घर नहीं है. पत्नी के साथ किराये के घर में रहता था. उसकी पत्नी 2011 में गर्भवती हुई. गर्भवती होने पर अस्पताल में जांच करायी,तो जांच में पता चला कि पति व पत्नी दोनों को एड्स है.
इसके बाद पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया. माता-पिता की दवा चल ही रही थी, तभी 2013 में मां की रांची रिम्स में इलाज के क्रम में मौत हो गयी. फिर 2014 में पिता की भी मौत हो गयी और बच्ची अनाथ हो गयी.
शराब के लिए बेच दिया था बेटी को
पत्नी की मौत के बाद पति ने अपनी बेटी को सिमडेगा ले जाकर एक परिवार को शराब के पैसे के लिए बेच दिया. जिस समय बेटी को उसने बेचा, उस समय बच्ची की उम्र तीन साल थी. बेटी को बेचने के कुछ दिन के बाद पिता की भी मौत हो गयी.
उधर, बच्ची जिस घर में बेची गयी थी. वहां वह बीमार हो गयी. उसके शरीर में घाव हो गया. जिस परिवार ने बच्ची को खरीदा था, उन लोगों ने कहीं से उसकी रिश्तेदार बहन का फोन नंबर खोज कर बच्ची के अपने पास होने की जानकारी दी. इसके बाद गुमला के एक गांव में रह रही बहन ने सिमडेगा से बच्ची को अपने घर लाकर इलाज कराया.
ऐसे पता चला कि बच्ची को एड्स है
चचेरी बहन ने कहा : बच्ची को जब 2015 में सिमडेगा से लाकर घाव का इलाज कराया, तो ठीक हो गयी. परंतु रिम्स से फोन आया, तो पता चला कि बच्ची को एड्स है. दवा चल रही है. हर महीने बच्ची को एक हजार रुपये भी मिलते हैं. परंतु हर महीना रांची दवा लाने जाना पड़ता है, जिससे बच्ची को मिलने वाले पैसे खत्म हो जाते हैं. बच्ची पढ़ना चाहती है व जीना चाहती है. इसलिए प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है.

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