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गुमला : जर्जर बिल्डिंग व कम शिक्षक से पढ़ना हुआ कठिन

दुर्जय पासवान केओ कॉलेज गुमला में शिक्षकों और संसाधनों का अभाव, नहीं मिल पा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा गुमला : रांची विवि के कार्तिक उरांव कॉलेज में आज के दौर में 15 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. 1960 में 77 विद्यार्थियों से शुरू हुए कॉलेज में छात्रों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन संसाधन सिमटते चले […]

दुर्जय पासवान
केओ कॉलेज गुमला में शिक्षकों और संसाधनों का अभाव, नहीं मिल पा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
गुमला : रांची विवि के कार्तिक उरांव कॉलेज में आज के दौर में 15 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. 1960 में 77 विद्यार्थियों से शुरू हुए कॉलेज में छात्रों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन संसाधन सिमटते चले गये. जिन्हें पूरा करने को लेकर सरकार और विवि गंभीर नहीं हैं. यहां इंटर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई होती है.
कॉलेज में 100 शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन मात्र 47 के सहारे काम चलाया जा रहा है. पीजी में 11 विषयों की पढ़ाई होती है और इनमें 1800 छात्र नामांकित हैं, लेकिन इनके बैठने के लिए भवन नहीं है. पीजी व साइंस में शिक्षक नहीं हैं. जनजातीय क्षेत्रीय भाषा का भवन नहीं है. साइकिल स्टैंड की घेराबंदी कर और छत को चदरा से ढंककर क्लास ली जा रही है. आर्ट्स संकाय का भवन जर्जर हो गया है.
पुस्तकालय में नये सिलेबस के अनुरूप किताब नहीं
कॉलेज परिसर की पुस्तकालय में किताबें पुराने सिलबेस की हैं, जो वर्तमान छात्रों के उपयोग की नही हैं. अभी सभी संकायों में नये पैटर्न की पुस्तकें चल रही हैं. पुस्तकालय सहायक वाल्टर खलखो ने कहा कि कुछ छात्र आते हैं. पुराने पैटर्न की पुस्तक से पढ़ाई करते हैं, लेकिन उसका लाभ परीक्षा में नहीं मिलता है. नये पैटर्न की पुस्तक की मांग की गयी है, जो अभी तक नहीं मिली है.
बैंक में काउंटर की कमी, छात्र रहते हैं परेशान
कॉलेज परिसर में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा छात्रों के लिए संचालित है. लेकिन यहां तीन ही काउंटर हैं. जिस कारण छात्रों को परेशानी होती है. बैंक में स्टाफ की भी कमी है. छात्रों को चालान कटाने के बाद घंटों लाइन लगाना पड़ता है. कई बार तो छात्रों को बैंक से काम कराने में दो-तीन दिन लग जाता है.शौचालय और पेयजल का भी अभाव है.
प्रयोगशाला का हो पुनरुद्धार
साइंस भवन में प्रयोगशाला है. लेकिन यह भी बेकार है. यहां जिन सुविधाओं और संसाधनों की जरूरत है, वह नहीं है. सिर्फ नाम के वास्ते शिक्षक छात्रों को प्रयोगशाला ले जाते हैं. वहां बैठाकर पढ़ाते हैं, लेकिन प्रयोग का कोई काम नहीं होता है. आज भी प्रयोगशाला में केमिकल डाले शीशा के जार में मरे हुए सांप, बिच्छू, मेढ़क, केकड़ा और अन्य जीव जंतु रखे हुए हैं. कॉलेज की समस्याओं से कुलपति और अन्य अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है. समस्या बताने पर संविदा पर 32 शिक्षक मिले. इसके बाद भी अभी करीब 60 शिक्षकों की जरूरत है.
डॉ जीतवाहन बड़ाइक, प्राचार्य
केओ कॉलेज में कई समस्याएं हैं. जिनका समाधान होने से गुमला कॉलेज पूरे राज्य में बेहतर शिक्षा और रिजल्ट देने के लिए जाना जायेगा. लेकिन लगातार बताने पर दूर नहीं हो रही है.
कुणाल शर्मा, अध्यक्ष, छात्र संघ

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