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823 आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने का पानी नहीं, 786 केंद्र शौचालय विहीन, बच्चों को सुविधा देने में प्रशासन नाकाम

दुर्जय पासवान, गुमला : गांव के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह सुविधा नहीं मिल पा रही है. यह कोई कहानी नहीं, बल्कि सच्चाई है. जिले के 50 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधा नहीं है. सरकारी रिपोर्ट भी केंद्रों में व्याप्त समस्या का पर्दाफाश करती है. यही वजह है कि आंगनबाड़ी […]

दुर्जय पासवान, गुमला : गांव के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह सुविधा नहीं मिल पा रही है. यह कोई कहानी नहीं, बल्कि सच्चाई है. जिले के 50 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधा नहीं है. सरकारी रिपोर्ट भी केंद्रों में व्याप्त समस्या का पर्दाफाश करती है.
यही वजह है कि आंगनबाड़ी केंद्र से बच्चों को लाभ नहीं मिल पाता है. लेकिन इनसे जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों को फायदा ही फायदा है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक गुमला जिले में 1670 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 101 केंद्र का अपना भवन नहीं है. इसमें कई केंद्र भाड़े के घर या फिर पेड़ के नीचे संचालित होता है. जबकि जो आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी भवन में संचालित है, उनमें से सैकड़ों भवनों की स्थिति भी खराब है.
कुछ ही ऐसे केंद्र हैं, जहां नियम के अनुसार बच्चों को सभी प्रकार की सुविधा मिलती है. अगर केंद्रों की निष्पक्ष जांच हो, तो सच सामने आयेगा. सुविधा की बात करें, तो 1670 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 823 केंद्रों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, जबकि 315 केंद्र में चापानल खराब पड़ा हुआ है, जिसकी मरम्मत नहीं हो रही है. वहीं 786 केंद्र में शौचालय नहीं है, जबकि 437 शौचालय खराब है.
इस कारण सेविका, सहायिका या बच्चों को शौच के लिए खुले खेत में जाना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी पानी को लेकर होती है. गर्मी के दिनों में जब बच्चों को प्यास लगती है, तो केंद्र छोड़ कर पानी पीने के लिए घर जाना पड़ता है या फिर गांव के चापानल में पानी भरने जाना पड़ता है.
शौचालय विहीन केंद्रों की संख्या
गुमला सदर में 147 केंद्रों में शौचालय नहीं है. 16 खराब है. रायडीह में 68 केंद्र में शौचालय नहीं है और 25 में खराब है. चैनपुर प्रखंड में 104 में शौचालय नहीं है. 10 खराब है. बिशुनपुर प्रखंड में 94 में शौचालय नहीं और 18 में बेकार है. घाघरा प्रखंड में 80 में शौचालय नहीं है और 42 में बेकार पड़ा है. सिसई प्रखंड में 27 में शौचालय नहीं और 135 में बेकार है.
भरनो प्रखंड में 50 में शौचालय नहीं और 63 में बेकार है. पालकोट प्रखंड में 53 में शौचालय नहीं और 26 में बेकार है. कामडारा प्रखंड में 54 में शौचालय नहीं और 17 में बेकार है. बसिया प्रखंड में 35 में शौचालय नहीं और 52 में बेकार है. वहीं डुमरी प्रखंड में 74 में शौचालय नहीं और 33 में बेकार पड़ा हुआ है.
भवनविहीन आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या : सिसई प्रखंड में 170 में 17 में भवन नहीं है. इसी प्रकार चैनपुर में 130 में छह, बिशुनपुर में 136 में 17, डुमरी में 154 में चार, बसिया में 163 में एक, गुमला सदर में 243 में 62 व रायडीह में 130 में 11 केंद्रों का अपना भवन नहीं है.
सेविका सहायिका चयन में खेल
गुमला जिले के कई केंद्रों में सेविका व सहायिका चयन को लेकर गंभीर विवाद हो चुका है. वहीं कुछ केंद्रों में पैसा लेकर सेविका चयन का मामला सामने आया है. इसकी शिकायत डीसी के पास भी पहुंच चुकी है. कई बार विवाद में मारपीट तक की घटना घट चुकी है. पालकोट प्रखंड के एक गांव में तो सेविका चयन को लेकर हत्या तक हो चुकी है.
गुमला में अक्सर इस प्रकार की घटनाएं घटती रही है. इसमें कहीं न कहीं सीडीपीओ व सुपरवाइजर की भूमिका भी संदिग्ध रही है. हालांकि इस प्रकार की कई शिकायतें आयी है, लेकिन अभी तक एक भी मामला में कार्रवाई नहीं हुई है, क्योंकि जिसके ऊपर आरोप लगता है, उसी विभाग के अधिकारी से मामले की जांच करायी जाती है, जिससे मामला दब जाता है.

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