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Thursday, March 28, 2024

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गुमला : शहीद के गांव की अनदेखी, पीने के पानी और सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड में उरू गांव है. यह शहीद नायमन कुजूर का गांव है. 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में नायमन कुजूर वीरगति को प्राप्त हुए थे. नायमन के शहीद होने के बाद प्रशासन ने उरू गांव के विकास का वादा […]

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड में उरू गांव है. यह शहीद नायमन कुजूर का गांव है. 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में नायमन कुजूर वीरगति को प्राप्त हुए थे. नायमन के शहीद होने के बाद प्रशासन ने उरू गांव के विकास का वादा किया था. परंतु तीन साल हो गये. अभी तक उरू गांव प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है. इस गांव में सिर्फ पक्की सड़क बन रही है. पानी पीने के लिए एक सोलर जलमीनार बना है.

इसके बाद किसी प्रकार की सुविधा इस गांव को नहीं मिली है. जबकि गांव के लोग लंबे समय से इस गांव के विकास का सपना देखते आ रहे हैं. शनिवार को गांव के लोग गुमला आये थे. इसमें शहीद के पिता महानंद कुजूर भी थे. साथ में गांव के जेबेनियुस टोप्पो, अमरजुस कुजूर, खोरस लकड़ा व मकुंदा मुंडा थे.

इन लोगों ने ‘प्रभात खबर’ को गांव की समस्याओं से अवगत कराया. साथ ही प्रशासनिक वादों को झूठा बताया. ग्रामीणों ने कहा कि गांव के लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं. आज भी कई घरों में शौचालय नहीं बना है. महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. गांव के अधिकांश चापानल खराब हैं.

एक सोलर जलमीनार बना है तो उसका उपयोग कुछ हिस्से के लोगों को ही मिल रहा है. कम से कम खराब चापानल की मरम्मत होना चाहिए. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र है जो गिरने के कगार पर है. इसी जर्जर केंद्र में बच्चे पढ़ते हैं. मजबूरी है. कोई उपाय भी नहीं. बारिश होने पर बच्चों को डर से घर भेज दिया जाता है.

खेल ग्राउंड जरूरी

गांव के बच्चों में खेल प्रतिभा है. लेकिन गांव में खेल ग्राउंड नहीं है. गांव के लोगों ने कहा है कि प्रशासन पहल करके एक खेल ग्राउंड गांव में बनवा दे. गांव में ढाई एकड़ परती जमीन है. अगर प्रशासन दिलचस्पी ले तो इस गांव में खेल ग्राउंड बन सकता है. क्योंकि हर साल 10 से 18 सितंबर तक गांव में शहीद नायमन कुजूर फुटबॉल प्रतियोगिता होती है. इसमें दर्जनों गांव के 60 से 62 टीमें भाग लेती है. अगर नया खेल ग्राउंड बन जाये तो खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा. शहीद के नाम पर सरकार कई योजना चला रही है. लेकिन उरू गांव को उपेक्षित रखा गया है.

सरकारी सहायता की मांग

शहीद के पिता व गांव के लोगों ने उपायुक्‍त को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें ग्रामीणों ने कहा है कि हर साल गांव में बड़े पैमाने पर फुटबॉल मैच व सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है. इसमें लाखों रुपये का खर्च आता है. लेकिन स्थानीय विधायक, सांसद व प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की मदद नहीं की जाती है. जबकि हर साल प्रतियोगिता के दौरान प्रशासन सहयोग का वादा करती है. परंतु बाद में भूल जाती है. लोगों ने प्रशासन से इस साल बृहत रूप से कार्यक्रम को करने के लिए सहयोग की गुहार लगायी है. जिससे मैच व सांस्कृतिक कार्यक्रम का लाभ इस क्षेत्र के युवा पीढ़ी व बच्चों को मिल सके.

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