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गांधी के अनुयायी जतरा टाना भगत के वंशज को सरकार से मिली जमीन पर दूसरे लोगों का कब्जा

दुर्जय पासवान, गुमला महात्मा गांधी के अनुयायी स्वतंत्रता सेनानी जतरा टाना भगत के वंशज 50 डिसमिल जमीन पर अपना अधिकार पाने के लिए भटक रहे हैं. 17 मई 1988 को बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जतरा टाना भगत के बेटे देशा टाना भगत को पांच एकड़ जमीन खेतीबारी के लिए दी […]

दुर्जय पासवान, गुमला

महात्मा गांधी के अनुयायी स्वतंत्रता सेनानी जतरा टाना भगत के वंशज 50 डिसमिल जमीन पर अपना अधिकार पाने के लिए भटक रहे हैं. 17 मई 1988 को बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जतरा टाना भगत के बेटे देशा टाना भगत को पांच एकड़ जमीन खेतीबारी के लिए दी गयी थी. लेकिन इस पांच एकड़ में से 50 डिसमिल जमीन पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है.

वर्षों से जतरा टाना भगत का पोता विश्वा टाना भगत 50 डिसमिल जमीन पर हक व अधिकार पाने के लिए सरकारी बाबुओं के कार्यालय का चक्कर काट रहा है. इसी जमीन के मामले को लेकर शुक्रवार को जतरा का पोता विश्वा टाना भगत, परपोता सुरेश टाना भगत, शिवचरण टाना भगत व मंत्री टाना भगत गुमला आये थे. वे वकील के पास गये थे. विश्वा टाना भगत ने कहा कि सरकार ने हमारे वंशज को जमीन दी है. लेकिन उस जमीन पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है. जिसपर हमें अधिकार चाहिए.

एक बेटा कर गया पलायन, खेतीबारी के बाद तीन बेटे और करेंगे पलायन

स्वतंत्रता सेनानी जतरा टाना भगत के वंशज रोजगार के लिए पलायन करने को विवश हैं. खेतीबारी से प्राप्त अनाज परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होने के कारण जतरा के पोते रोजगार के लिए दूसरे राज्य चले जाते हैं. वर्तमान में जतरा टाना भगत का सबसे छोटा परपोता रमेश टाना भगत अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आंध्र प्रदेश में काम करने के लिए गया हुआ है.

जतरा टाना भगत का बेटा देशा टाना भगत को 17 मई 1988 को बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा उसके पैतृक आवास बिशुनपुर के चिंगरी नवाटोली में पांच एकड़ भूमि दान में दिया गया था. जिसके बाद देशा टाना भगत का पुत्र विश्वा टाना भगत उस जमीन पर खेती करने लगा. कुछ सालों के बाद गांव के बंधन लोहरा को 50 डिसमिल जमीन साझा में दे दिया. इसके बाद बंधन उस जमीन को अपना बताने लगा और उक्त जमीन पर (50 डिसमिल) अपना कब्जा जमा लिया. जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है.

विश्वा के चार पुत्र हैं. जिसमें क्रमश: सुरेश टाना भगत, शिवचंद्र टाना भगत, मंत्री टाना भगत व रमेश टाना भगत है. इनमें से रमेश रोजगार के लिए आंध्र प्रदेश गया हुआ है. इसके अलावा इनके तीन बेटे सुरेश, शिवचंद्र व मंत्री टाना भगत ने बताया की हम सभी खेती के समय खेती-बारी करते हैं. जिससे हमारे परिवार का गुजर बसर नहीं हो पाता है. इसलिए खेती करने के बाद हम सभी भाई अलग-अलग राज्य में कमाने के लिए चले जाते हैं.

जर्जर हो चुका है पुराना घर

जतरा टाना भगत के परिवार के लोग अभी पुराने कच्चे मकान में रहते हैं. जिसमें बरसात के दिन घर के छत से पानी टपकता है. घर जर्जर स्थिति में है. जिस कारण परिवार वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालाकि उन लोगों को शहीद आवास योजना के तहत नये आवास के लिए चयन हो चुका है. नये घर का काम कुछ माह पहले शुरू किया गया था. दूसरा किस्त नहीं आने के कारण अभी तक घर अधूरा है. इसके अलावा राशन कार्ड बना हुआ है.

जतरा टाना भगत के परिवार में 17 सदस्य हैं

जतरा टाना भगत का पोता विश्वा टाना भगत उसकी पत्नी बुधमनिया देवी है. जिसके चार पुत्र क्रमश: सुरेश टाना भगत, शिवचंद्र टाना भगत, मंत्री टाना भगत व रमेश टाना भगत है. इन चारों भाईयों में तीन का विवाह हो चुका है. सुरेश की पत्नी हीरामुनी देवी के दो लड़के व दो लड़की हैं. शिवचंद्र टाना भगत की पत्नी सुशीला व उसके तीन बेटा है. मंत्री टाना भगत की पत्नी करमीला व एक बेटा है. जबकि छोटा भाई रमेश का विवाह नहीं हुआ है. इस प्रकार इनके परिवार में कुल 17 लोग हैं. परिवार अधिक होने के कारण ये लोग खेती से भरण पोषण नहीं हो पाते हैं.

हमारा जमीन वापस कराये प्रशासन : विश्वा टाना भगत

विश्वा टाना भगत ने कहा कि सरकार द्वारा दिये गये जमीन (50 डिसमिल) पर गांव के बंधना उरांव ने कब्जा कर लिया है. मुझे मेरा जमीन वापस चाहिए. साथ ही गांव में बिजली व पानी की घोर समस्या है. प्रशासन इस ओर ध्यान दे. नये घर बनाने के लिए दूसरे किस्त की राशि नहीं आयी है. जिस वजह से काम अभी रुका हुआ है. सुरेश टाना भगत, शिवचंद्र टाना भगत व मंत्री टाना भगत ने कहा कि गांव में पानी की घोर समस्या है. पानी व ट्रेक्टर की व्यवस्था होने पर खेती बढ़िया ढंग से होने लगेगा. जिससे हम सभी को रोजगार के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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