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बारूदी सुरंग में उड़ने से ग्रामीण की मौत, मदद नहीं मिली, जंगल में दर्द से कराहते हुए तोड़ा दम

दुर्जय पासवान, गुमला बिशुनपुर प्रखंड के मंगलेश्वर नगेसिया की बारूदी सुरंग के विस्फोट में मौत हो गयी. दो दिन पहले मंगलेश्वर का पैर जंगल में भाकपा माओवादियों द्वारा बिछाये गये बारूदी सुरंग पर पैर पड़ गया था. जिससे मंगलेश्वर बम के साथ उड़ गया था. उसके दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो गये थे. साथ ही उसके […]

दुर्जय पासवान, गुमला

बिशुनपुर प्रखंड के मंगलेश्वर नगेसिया की बारूदी सुरंग के विस्फोट में मौत हो गयी. दो दिन पहले मंगलेश्वर का पैर जंगल में भाकपा माओवादियों द्वारा बिछाये गये बारूदी सुरंग पर पैर पड़ गया था. जिससे मंगलेश्वर बम के साथ उड़ गया था. उसके दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो गये थे. साथ ही उसके पूरे शरीर में गंभीर चोट लगी थी. बम का बारूद भी शरीर में घुस गया था. जिससे उसकी मौत हो गयी.

बारूदी सुरंग विस्फोट गुमला व लोहरदगा जिला के सीमावर्ती इलाका सेन्हा थाना के दूधमटिया टांगीडीह जंगल में हुआ था. इस हादसे में मंगलेश्वर की पत्नी सुगइन नागेसिया और पुनीत नगेसिया भी घायल हुए थे. लेकिन ये दोनों इलाज के बाद सकुशल हैं. सबसे बड़ी बात की दो दिन पहले मंगलेश्वर बारूदी सुरंग के विस्फोट में उड़ा था. 24 घंटे तक वह जीवित था. दर्द से तड़प रहा था. मदद के लिए पुकार रहा था. लेकिन वीरान जंगल में कोई उसकी मदद के लिए समय पर नहीं पहुंचा.

लोहरदगा पुलिस को घटना की सूचना थी. लेकिन लोहरदगा पुलिस नहीं गयी. अंत में गुमला पुलिस घटना स्थल के लिए निकली. लेकिन गुमला पुलिस को घटना स्थल पहुंचने में काफी देर हो गयी. जिसका नतीजा है मदद व इलाज के आभाव में मंगलेश्वर ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया. परिजनों ने कहा है कि अगर समय पर पुलिस प्रशासन जंगल में घुसती तो घायल मंगलेश्वर को अस्पताल पहुंचाकर उसे बचाया जा सकता था.

इधर, मंगलेश्वर की मौत से पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि घटना लोहरदगा व गुमला के सीमावर्ती इलाके में हुआ. दोनों जिला की पुलिस को बारूदी सुरंग विस्फोट की सूचना मिली. गुमला पुलिस के अनुसार घटना स्थल लोहरदगा जिला में पड़ता है. फिर भी गुमला पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस माओवादियों के गढ़ जंगल में घुसी. लेकिन पुलिस के पहुंचते तक मंगलेश्वर मर चुका था.

यहां बताते चलें कि घायल मंगलेश्वर अपनी पत्नी सुगइन व बेटा पुनीत के अलावा अन्य ग्रामीणों के साथ अपनी बेटी के लिए लड़का देखने लोहरदगा थाना क्षेत्र स्थिति कुंवाडार गांव जा रहे थे. चूंकि मंगलेश्वर व कुंवाडार गांव के बीच में जंगल पड़ता है. जो भाकपा माओवादियों का सेफ जोन है. इस इलाके में लगातार पुलिस का ऑपरेशन भी चलता है. दोनों गांव के बीच जंगल में माओवादियों ने पुलिस को उड़ाने के लिए बारूदी सुरंग बिछा रखा था. लेकिन माओवादियों के इस जाल में पुलिस के फंसने की जगह मंगलेश्वर फंस गया.

परिजनों के अनुसार मंगलेश्वर का पैर जैसे ही बारूदी सुरंग पर पड़ा था. वह बम के धमाके के साथ आसमान में उड़कर नीचे आ गिरा था. मंगलेश्वर के साथ चल रहे अन्य लोग भी इधर-उधर गिर गये. घटना के बाद सभी लोग डर गये. मंगलेश्वर की हालात को देखकर परिजनों उसे उठाने का प्रयास किया. परंतु शरीर से टूटकर गिरते मांस के लोथड़े को देखकर परिजन उठाने में हिम्मत नहीं जुटा सके और वहां से भागते हुए पुलिस के पास पहुंचकर घटना की जानकारी दी.

लेकिन परिजनों के पुलिस तक पैदल आने व सूचना के बाद पुलिस की टीम को पैदल जंगल घुसने में काफी देर हो गयी थी. जिसका नतीजा है. 48 घंटे के जीवन व मौत की जंग में मंगलेश्वर मौत से हार गया. पुलिस पहुंची तो जंगल में उसका शव मिला. यहां बता दें कि जिस प्रकार माओवादियों द्वारा बिछाये गये बारूदी सुरंग विस्फोट हो रहा है. पुलिस इससे निपटने के कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है. खासकर लोहरदगा जिले में यह बम फट रहा है. परंतु पुलिस बमों को खोल पाने में विफल साबित रही है.

गुमला के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा गुमला पुलिस को जैसे ही सूचना मिली. पुलिस की टीम तुरंत जंगल में घुस गयी. लेकिन घटना स्थल बिशुनपुर से दूर था. जबतक पुलिस पहुंचती. मंगलेश्वर की मौत हो चुकी थी. गुरुवार को मंगलेश्वर के शव को बरामद कर लिया गया है.

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