।। दुर्जय पासवान ।।
गुमला अस्पताल में डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद रात साढ़े आठ बजे घायल को रांची रेफर कर दिया. लेकिन रास्ते में नगड़ी के समीप बुधराम की मौत हो गयी. परिजनों ने कहा कि अगर सिमडेगा जाने वाली सड़क ठीक रहती तो समय पर अस्पताल पहुंचाकर बुधराम की जान बचायी जा सकती थी.
* दो युवक आये और गोली मारकर भाग गये
घटना के संबंध में मृतक की पत्नी राधा उरांव ने बताया कि बुधराम पेशे से कृषक था. हमलोगों का घर सुनसान जगह टोंगरी में स्थित है. आसपास कोई घर नहीं है. शनिवार की सुबह बुधराम अपने खेत व बारी घूमकर 12 बजे घर लौटा था. उसके बाद खाना खाकर घर में सो रहा था. मैं भी सो रही थी. इसी बीच लगभग दो बजे दो नकाबपोश युवक घर में आये. एक युवक घर के बाहर खड़ा था. दूसरा युवक अंदर घुसकर मेरे पति के कमर के नीचे गोली मारने के बाद दौड़ते हुए भाग निकले.
पत्नी के अनुसार बुधराम की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. न ही डायन बिसाही का मामला था. जिस समय अपराधियों के घर में घुसकर गोली मारी उस समय मेरे बच्चे सभी लोग घर से बाहर टोला में खेल रहे थे. उन्होंने बताया कि दस वर्ष पूर्व मृतक के बड़े भाई सुशील भगत की हत्या भी माओवादियों ने गोली मारकर कर दी थी.
* कर्जा में पैसा मिली तो अस्पताल पहुंचे थे
राधा ने बताया कि मेरा घर गोंदलीपानी टोला से डेढ़ किमी दूर टोंगरी में है. जब मेरे पति को गोली मारी गयी और वह दर्द से कराहने लगा. तो मैं भागते हुए गांव गयी और लोगों से मदद की गुहार लगायी. कहीं कुछ सूझ नहीं रहा था. अंत में गांव की कमेटी ने कर्जा में पैसा दिया तो भाड़ा में गाड़ी करके बुधराम को गुमला लायी. चूंकि सिमडेगा जाने के लिए रास्ता नहीं था. इसलिए घायल को गुमला अस्पताल लाया गया. पत्नी ने कहा कि उसने 10 हजार रुपये कर्जा ली थी. परंतु वह अपने पति को बचा नहीं सकी.
* गांव से सिमडेगा जाने की सड़क खराब
गांव के कुछ लोग भी साथ में आये थे. उन लोगों ने बताया कि गोंदलीपानी से सिमडेगा तक की सड़क खराब है. दो पहिया व चार पहिया वाहनों के परिचालन में परेशानी होती है. जिसके कारण उक्त सड़क में वाहनों का परिचालन न के बराबर होती है. गांव में आपात स्थिति में परेशानी का सामना करना पड़ता है. सड़क खराब होने के कारण कई ग्रामीणों की जान बिना अस्पताल पहुंचे ही चली जाती है.