पति का प्रतिनियोजन फसिया विद्यालय में करने व वेतन शुरू कराने की मांग को ले भटक रही पत्नी
लकवा से ग्रसित शिक्षक का प्रतिनियोजन रद्द, वेतन भी रोका
पति का प्रतिनियोजन फसिया विद्यालय में करने व वेतन शुरू कराने की मांग को ले भटक रही पत्नी पैसे के अभाव में बीमार पति का समुचित इलाज कराने में हो रही परेशानी : सहोदरा देवी गुमला : सहोदरा देवी लकवा से ग्रसित अपने पति शिक्षक दशरथ बड़ाइक का प्रतिनियोजन सदर प्रखंड गुमला के फसिया के […]
पैसे के अभाव में बीमार पति का समुचित इलाज कराने में हो रही परेशानी : सहोदरा देवी
गुमला : सहोदरा देवी लकवा से ग्रसित अपने पति शिक्षक दशरथ बड़ाइक का प्रतिनियोजन सदर प्रखंड गुमला के फसिया के सरकारी विद्यालय में कराने और पति के रूके हुए वेतन को शुरू कराने की मांग को लेकर पिछले एक माह से जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश है. दशरथ बड़ाइक डुमरी प्रखंड के रहने वाले हैं.
वर्तमान में रायडीह प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय खुरसुता में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. 2016 के फरवरी माह में वे लकवा से ग्रसित हो गये. उस समय वे अपनी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ गुमला शहर के गोकुल नगर में रह रहे थे. लकवा से पीड़ित होने के बाद दशरथ ने तत्कालीन उपायुक्त श्रवण साय को आवेदन देकर अपना प्रतिनियोजन सदर प्रखंड गुमला अंतर्गत फसिया के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कराने की मांग की.
इस पर उपायुक्त के स्तर से उनका प्रतिनियोजन नवंबर 2016 में फसिया विद्यालय में हुआ, जहां वे वर्तमान में भी अपनी सेवा दे रहे हैं. इधर, दिसंबर 2018 में शिक्षा विभाग द्वारा दशरथ को उनके मूल विद्यालय खुरसुता में योगदान देने को कहा गया, परंतु शारीरिक स्थिति ठीक नहीं होने और आवागमन में परेशानी होने के कारण शिक्षा विभाग ने उनका प्रतिनियोजन रद्द कर दिया. साथ ही दिसंबर माह से ही उनके वेतन पर भी रोक लगा दी.
तब से लेकर अब तक शिक्षक की पत्नी सहोदरा देवी उपायुक्त के जनता दरबार में उपायुक्त को चार बार आवेदन सौंप कर अपने पति का प्रतिनियोजन फसिया विद्यालय में करने और रूके हुए वेतन को शुरू कराने की गुहार लगा चुकी है. परंतु अब तक उनकी गुहार पर किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई है.
इधर, गुरुवार को भी सहोदरा उपायुक्त के पास अपनी गुहार लेकर पहुंची थी. जहां सहोदरा ने बताया कि घर में एक ही व्यक्ति कमाने वाला है. दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. पति के बीमार होने के बाद उन्हें विभाग द्वारा काम से निकाल दिया गया है. पैसे के अभाव में बीमार पति का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. बच्चों के लालन-पालन में भी कठिनाई हो रही है.